- सबकी नजर रामपुर सदर सीट पर रहेगी। जहां से सपा के दिग्गज नेता आजम खां चुनाव लड़ रहे हैं। वह इस समय सीतापुर जेल में बंद हैं।
- इस चरण में योगी सरकार में मंत्री सुरेश खन्ना, गुलाबो देवी और बलदेव सिंह औलख, महेश चंद्र गुप्ता की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।
- 9 में से 7 जिलों में मुस्लिम वोटर की निर्णायक भूमिका और सपा के साथ रालोद और महान दल का बना गठबंधन इस बार कई समीकरण साध रहा है।
नई दिल्ली: सोमवार को उत्तर प्रदेश के 9 जिलों की 55 सीटों पर वोटिंग होगी। दूसरे चरण का चुनाव भाजपा और सपा प्लस गठबंधन के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है। 2017 में भाजपा ने जहां पर 55 में से 38 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं सपा और कांग्रेस गठबंधन ने भी इसी इलाके में सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए 17 सीटें हासिल की थी। जबकि बसपा और रालोद का खाता नहीं खुला था। इस बार सपा,रालोद और महान दल जहां साथ हैं, वहीं कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ रही है।
कैसा है 9 जिलों का हाल
दूसरे चरण में सहारनपुर, रामपुर, बरेली, मुरादबादा, अमरोहा, संभल, बिजनौर, बदायूं और शाहजहांपुर की 55 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी। इन 9 जिलों में रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, बरेली, बिजनौर, संभल और बदायूं में मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में है। रामपुर और मुरादाबाद में 50 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। जबकि दूसरे जिलों में भी 20-40 फीसदी मुस्लिम आबादी है। मुस्लिम के अलावा इन 9 जिलों में जाट वोटर भी प्रभावी है। और इसी समीकरण को देखते हुए सपा-रालोद गठबंधन को इस इलाके में बड़ी जीत की उम्मीद है। वहीं भाजपा के लिए नए समीकरण में पुराना प्रदर्शन करना आसान नहीं होगा।
इन सीटों पर रहेगी नजर
दूसरे चरण के चुनाव में सबसे ज्यादा नजर रामपुर सदर सीट पर रहेगी। जहां से रामपुर से सांसद और सपा के दिग्गज नेता आजम खां चुनाव लड़ रहे हैं। वह इस समय सीतापुर जेल में बंद हैं। उनके खिलाफ भाजपा के आकाश सक्सेना हैं। जिनकी आजमा खां के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने और गवाही देने में अहम भूमिका रही है। इसके अलावा आजम खां के बेटे अब्दुल्ला खां भी मैदान में हैं।
इसके अलावा योगी सरकार में मंत्री सुरेश खन्ना, गुलाबो देवी और बलदेव सिंह औलख, महेश चंद्र गुप्ता की प्रतिष्ठा दांव पर है। सहारनपुर के नकुड़ से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे डा धर्म सिंह सैनी पर भी नजर है। योगी सरकार में मंत्री रह चुके सैनी भाजपा छोड़ सपा में हाल ही में शामिल हुए थे। नकुड़ सीट इसलिए भी अहम है कि कांग्रेस छोड़ सपा में शामिल हुए इमरान मसूद अहमद की क्या भूमिका होगी, उस पर भी सबकी नजर रहेगी। ऐन वक्त पर मसूद और उनके साथियों को सपा से टिकट नहीं मिला था। ऐसे में वह सपा की जीत के लिए कितनी ताकत लगाएंगे यह देखने वाली बात होगी।
इस बार भाजपा की राह आसान नहीं
9 में से 7 जिलों में मुस्लिम वोटर की निर्णायक भूमिका और सपा के साथ रालोद और महान दल का बना गठबंधन इस बार कई समीकरण साध रहा है। अखिलेश यादव गठबंधन के जरिए मुस्लिम, जाट और ओबीसी वोट का लाभ मिलने की उम्मीद कर रहे है। ऐसे में साफ है कि भाजपा के लिए 2017 जैसी स्थिती नहीं है। इसके अलावा किसान आंदोलन और गन्ने का भुगतान का मामला भी इस इलाके में असर डालेगा।
ओवैसी कितने होंगे कारगर
हालांकि इस इलाके में AIMIM भी एक अहम भूमिका निभा सकती है। पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दूसरे चरण के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। और हिजाब विवाद के बाद जिस तरह वह खुलकर मुस्लिम महिलाओं के समर्थन में आएं हैं और अखिलेश यादव ने मुद्दे पर बोलने से दूरी बना रखी है। उससे संभावना है कि ओवैसी मुस्लिम वोट में सेंध लगा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो उसका फायदा भाजपा को मिल सकता है।