- आवारा मवेशियों पर विपक्षी दल साधते हैं निशाना
- पूर्वांचल के ज्यादातर जिलों में यह बड़ा मुद्दा
- बीजेपी का कहना कि आवारा मवेशियों के मुद्दे पर उठाए गए हैं कई कदम
चौथे चरण के बाद होने वाले चुनाव में आवारा पशुओं के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जा रहा है। जमीनी स्तर पर भी लोगों को इस मुद्दे पर बीजेपी सरकार से नाराजगी है। आवरा पशुओं को लेकर विपक्षी दल योगी सरकार पर पहले से ही हमलावर रहे हैं। पूर्वांचल की सभी रैलियों में विपक्षी दल इसे मुद्दा भी बना रहे हैं। इन सबके बीच अमेठी की रैली में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जो लोग आवारा मवेशियों को गोंद लेंगे उन्हें महीने में 900 से हजार रुपए दिए जाएंगे।
योगी के ऐलान पर लोगों की राय
पूर्वांचल के तीन जिलों आजमगढ़, बलिया और गाजीपुर में हमने इस मुद्दे पर लोगों से समझने की कोशिश की आखिर यह मसला इतना अहम क्यों है। आजमगढ़ की लालगंज तहसील के गोमाडीह के रहने वाले किसान अखिलानंद का कहना है कि अब तो आवारा मवेशियों की वजह से रतजगा करना पड़ना है। प्रदेश सरकार कहती है कि गोशालाओं को खोला गया है लेकिन वो संख्या में पर्याप्त नहीं है। आवारा पशुओं की वजह से लोगों को रखवाली के लगाना पड़ता और उसकी कीमत अदा करनी होती है। एक तरह से खेती में होने वाला खर्च और बढ़ गया है।
कुछ नहीं से कुछ बेहतर
बलिया के सिकंदरपुर तहसील के लीलकर गांव के संजय यादव की राय भी अखिलानंद की तरह है। वो बताते हैं कि उनके पास करीब 20 बीघा खेत है वो अच्छी खेती भी करते हैं। लेकिन योगी सरकार की नीति की वजह से उनको नुकसान उठाना पड़ रहा है। आवारा मवेशियों से होने वाले नुकसान के बारे में सरकार ने कुछ भी नहीं किया। जब उनको बताया गया कि योगी जी ने ऐलान किया है कि जो लोग आवारा पशुओं को गोंद लेंगे उन्हें 900 से हजार रुपए मिलेंगे तो उनका जवाब बदल गया। उन्होंने कहा कि चलिए कुछ नहीं से कुछ तो बेहतर होगा।
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