- यूपी में बीजेपी के 35 लाख से ज़्यादा कार्यकर्ता केवल सोशल मीडिया के माध्यम से उतर चुके है
- कांग्रेस ने 1800 से ज्यादा कैंपों के माध्यम से दो लाख प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की फौज तैयार की है
- समाजवादी पार्टी डिजिटल चुनाव के लिए बुनियादी ढांचा ना होने का राग अलाप रही है
Uttar Pradesh Election 2020: पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की ऐलान हो चुका है। उत्तर प्रदेश में सात चरणों में चुनाव होने हैं। पहले चरण का मतदान 10 फरवरी होगा जबकि अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च को होना है। देश में कोरोना वायरस का प्रकोप है और इसी वजह से लोकतंत्र का ये महा उत्सव बदले स्वरूप में नजर आएगी। भारत निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश का चुनाव कार्यक्रम (UP Chunav 2022) घोषित करते वक्त यह बात साफ कर दी कि चुनाव कोविड प्रोटोकॉल के तहत होगा और राजनैतिक रैलियों एवं सभाओं पर प्रतिबंध रहेगा। जिस तरह कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं, ऐसी परिस्थिति में ग्राउंड पर जाकर चुनाव प्रचार संभव होता नजर नहीं हो रहा है।
चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने कहा कि केवल डिजिटल रैलियों को प्रोत्साहन दिया जाएगा। मतलब साफ है कि यूपी के रण में इस बार डिजिटल दंगल होगा। सवाल अहम है कि इस 'डिजिटल दंगल' के लिए कितने तैयार हैं राजनैतिक दल। समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि वर्चुअल रैलियों की हम बात करें तो चुनाव आयोग को उन पार्टियों के बारे में भी सोचना चाहिए, जिनके पास वर्चुअल रैली के लिए पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है। भाजपा के पास पहले से ही बहुत इन्फ्रास्ट्रक्चर है। इलेक्शन बॉन्ड भी उन्हें ही सबसे ज्यादा मिलते हैं। मतलब साफ है कि दबी जुबान में ही सही अखिलेश यादव इस बात को स्वीकार करते हैं कि उनकी पार्टी डिजिटल दंगल में एक कमजोर पहलवान है।
भाजपा के साइबर योद्धा तैयार
भारतीय जनता युवा मोर्चा उत्तर प्रदेश की डिजिटल मीडिया प्रमुख डॉ. ऋचा राजपूत ने टाइम्स नाउ नवभारत को बताया, 'भारतीय जनता पार्टी की सबसे बड़ी शक्ति वह कार्यकर्ता और युवा है जो किसी संगठन के पद पर नहीं है, जो सरकार और पार्टी से कभी कुछ मांग नही करते हैं और केवल देशभक्ति के लिए, राष्ट्रवाद के लिए, विकास के लिए भारतीय जनता पार्टी का प्रचार प्रसार करते है। जातिवाद, परिवारवाद और वंशवाद की राजनीति करने वाली पार्टियों के पास ऐसे कार्यकर्ता नही है जो निःस्वार्थ होकर दिन रात कार्य करें। भारतीय जनता पार्टी के पास साइबर योद्धाओं की सबसे बड़ी शक्ति है। हमारे साइबर योद्धा ना केवल 365 दिन पार्टी के लिए प्रचार करते है बल्कि आम लोगों की सेवा भी इस सोशल मीडिया के माध्यम से करते हैं। जब कोरोना की पहली और दूसरी वेव अपने चरम पर थी तब हमारे कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया को सेवा का जरिया बनाया।'
बीजेपी नेत्री डॉ. ऋचा राजपूत के अनुसार, सोशल मीडिया की एक पोस्ट पर हमारे कार्यकर्ता लोगों के घर सिलेंडर दवाई मास्क और खाना लेकर पहुंचे। संगठन की दृष्टि से सोशल मीडिया विभाग की टीम मंडल स्तर तक गठित हो चुकी है। साथ ही युवा मोर्चा की सोशल मीडिया की टीम भी ज़िला और मंडल स्तर तक गठित हो चुकी है। लगभग 35 लाख से ज़्यादा कार्यकर्ता केवल सोशल मीडिया के माध्यम से चुनावी दंगल में उतर चुके है और हर बूथ पर सोशल मीडिया प्रभारी नियुक्त करने की योजना है। हम हर ज़िले में सोशल मीडिया की कार्यशाला कर चुके हैं और हर मंडल में सोशल मीडिया की कार्यशाला का कार्यक्रम चल रहा है। शीर्ष नेतृत्व संगठन महामंत्री सुनील बंसल, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष प्रांशु दत्त द्विवेदी भी समय समय पर समीक्षा बैठक करते हैं। हमने हर स्तर पर प्रदेश से लेकर मंडल स्तर तक हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए विशेषज्ञों की टीम नियुक्त की है जैसे ट्विटर विशेषज्ञ , WhatsApp विशेषज्ञ , फेसबुक विशेषज्ञ साथ यूटूब ,स्नैपचैट के विशेषज्ञ भी नियुक्त किए हैं। गूगल मीट, ज़ूम मीटिंग , तथा वट्स एप विडीओ कॉल के माध्यम से कार्यकर्ताओं से जनसम्पर्क का अभियान 365 दिन सुचारू रूप से जारी है।'
कांग्रेस ने तैयार की दो लाख प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की फौज
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता एवं डिजिटल मीडिया इंचार्ज अंशू अवस्थी ने कांग्रेस की तैयारी पर बात करते हुए बताया, 'हमने चुनाव आयोग को जब अपने सुझाव चुनाव आयोग को दिए थे और अनुरोध किया था कि कोरोना की लहर और भाजपा सरकार की लापरवाही को देखते हुए रैलियों पर रोक लगनी चाहिए। इससे पहले ही हमने वर्चुअल चुनाव की तैयारी कर ली थी। हमने प्रशिक्षण से पराक्रम के 1800 से ज्यादा कैंपों के माध्यम से 200000 (दो लाख) प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की फौज तैयार की है जिन को विशेष तौर से सोशल मीडिया का भी प्रशिक्षण दिया गया है। बूथ स्तर के संगठन को इसमें प्रशिक्षित किया गया है।'
कांग्रेस नेता अंशू अवस्थी के अनुसार, 'महासचिव प्रियंका गांधी के निर्देशन में कांग्रेस पार्टी लगातार पांच साल जनता के बीच में रही। सबसे ज्यादा हमने जनता के मुद्दों पर संघर्ष किया और चाहे कोरोना काल मे लोगों की मदद हो या नौजवानों की बेरोजगारी, पेपर लीक, किसानों पर अत्याचार, और महिलाओं पर बढ़े अपराध रहे हों, हमारे 18000 कांग्रेस कार्यकर्ता जनता के मुद्दों पर लड़ते जेल गए। कोरोना काल मे 65 लाख लोगों को राशन पहुंचाया और 10 लाख दवाओं की किट बांटकर सहयोग किया। हमने डेढ़ लाख व्हाट्सएप ग्रुपों के माध्यम से तीन करोड़ लोगों को जोड़ने का काम किया है और सदस्यता अभियान चलाकर हर एक विधानसभा में 40000 से 50000 नए लोगों को जोड़ा है।
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डिजिटल चुनाव में सपा और बसपा कमजोर
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का कहना है कि चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों को कुछ फंड देना चाहिए ताकि वे (राजनीतिक दल) एक कदम आगे बढ़ें और डिजिटल के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करें क्योंकि हम भाजपा के बुनियादी ढांचे के साथ मुकाबला नहीं कर सकते। मामला एक दम साफ है कि यूपी का चुनाव डिजिटल होते ही अखिलेश यादव को इस बात का डर सताने लगा है कि अपने कार्यकर्ताओं से उनका संपर्क कैसे हो सकेगा। वहीं बहुजन समाज पार्टी तो चुनाव के इस बदले स्वरूप में सबके निचले पायदान पर नजर आ रही है। टाइम्स नाउ नवभारत ने बसपा के प्रवक्ता एमएच खान से डिजिटल चुनाव के लिए उनकी तैयारियों पर बात की तो संतोष जनक जवाब नहीं मिला।
डिजिटल जंग में कौन कितने पानी में
उत्तर प्रदेश चुनाव के इस डिजिटल महाभारत में कौन कितने पानी में इसका अंदाजा संबंधित पार्टियों के सोशल मीडिया हैंडल्स को देखकर पता चल जाएगा। भारतीय जनता पार्टी यूपी के ट्विटर हैंडल (@bjp4up) को 2.9 मिलियन लोग फॉलो करते हैं। वहीं यूपी कांग्रेस के ट्विटर हैंडल (INCUttarPradesh) को 461K लोग फॉलो करते हैं। वहीं समाजवादी पार्टी के अधिकारिक हैंडल (samajwadiparty) को 2.8 मिलियन और बहुजन समाज पार्टी के ट्विटर हैंडल (@bspindia) के फॉलोअर्स की संख्या 24.4 K है। वहीं फेसबुक पर बीजेपी यूपी के पेज को 5,076,111, समाजवादी पार्टी के पेज को 3,213,458, कांग्रेस यूपी के पेज को 605,425 लोग फॉलो करते हैं।