- इस चुनाव में यहां के भिक्षुओं की भी कई मांगें हैं।
- क्या एयरपोर्ट का उद्घाटन और बुद्ध सर्किट बीजेपी के पक्ष में रहेगा?
- कुशीनगर में करीब 15-16 बुद्ध मंदिर हैं।
कुशीनगर भगवान बुद्ध को यही पर महापरिनिर्वाण मिला था, यहीं पर ही भगवान बुद्ध ने अपना शरीर त्याग था, ये जगह विदेशी सैलनियों के लिए बड़ा तीर्थ हैं भगवान बुद्ध से जुड़ा हुआ, इस जगह से ही भगवान बुद्ध ने विश्व भर में शांति का संदेश दिया था। कुशीनगर में 3 मार्च को वोट पड़ने हैं और अगर 2017 की बात करें तो तब बीजेपी ने 7 में से 5 सीटें कुशीनगर जिले की जीती थी। लेकिन इस बार क्या एयरपोर्ट का उद्घाटन और बुद्ध सर्किट बीजेपी के पक्ष में रहेगा या फिर बदलाव के लिए जनता वोट करेगी ये देखना दिलचस्प होगा। कुशीनगर में करीब 15-16 बुद्ध मंदिर हैं और अगर पूरे जिले की बात करे तो 150 से ज्यादा बुद्ध मंदिर हैं। इस चुनाव में यहां के भिक्षुओं की भी कई मांगें हैं।
हम कुशीनगर में घुसते ही वियतनाम के एक बुद्ध मंदिर गए जहां देश के सैलनियों का ताता लगा था, हर तरफ सेल्फी खींचते पर्यटक और कुशीनगर का मुख्य व्यवसाय पर्यटन ही हैं क्योंकि लाखों की तादाद में घूमने के लिए लोग पहुंचते हैं। यहां के भिक्षुओं ने पर्यटन पर कई सवाल उठाए, भानते महेंद्र की माने तो कुशीनगर पूरा पर्यटन पर खड़ा हैं लेकिन यहां अभी भी कोई अस्पताल नहीं हैं पर्यटकों के लिए, इलाज कराने के लिए या तो गोरखपुर या लखनऊ जाना पड़ता हैं, उन्होंने बताया कोई बस स्टाप भी नही हैं। महाराज महेंद्र बताते हैं की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दिया तो फ्लाइट भी बढ़ानी थी। केवल एक स्पाइस जेट का विमान उड़ता हैं, अभी भी जो दूसरे बुद्ध पिल्ग्रिम हैं वहां से कोई कनेक्टिविटी नहीं हैं। महाराज आगे बोलते हैं जो सरकार विकास करेगी हम उसे वोट करेंगे।
गौरतलब हैं कि बौद्ध धर्म को फोलो करने वाले और बुद्ध की आराधना करने वाले बहुत हैं और इसलिए जो भिक्षु हैं उन्हें लगता हैं की जैसा विकास अयोध्या या वाराणसी का हुआ वैसा कुशीनगर का नहीं हुआ। भानते आलोक बताते हैं कि कुशीनगर में एक बुद्ध यूनिवर्सिटी तक नहीं हैं। उन्हें खुद पीएचडी के लिए बीएचयू जाना पड़ता हैं, बौध ज्ञान के लिए आवश्यक हैं कि केवल मोनास्ट्री ही नहीं बल्कि ज्ञान के अन्य स्त्रोतों को पैदा किया जाए और उस लिहाज से कुशीनगर अभी भी बहुत पीछे हैं, मैत्री योजना का शिलान्यास सपा सरकार में हुआ लेकिन उस योजना को अब तक शुरू नहीं किया गया। यही सारी समस्याओं का जिक्र करते भिक्षु नजर आ रहे हैं। कुशीनगर में भी हर गलियारे में कोई ये नहीं कह सकता की इस बार कोई लहर हैं, इस बार वोटर साइलेंट भी हैं और यहां पर भी सपा और भाजपा में काटे की टक्कर है।