नई दिल्ली: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थितियों को बीजेपी के और अनुकूल बनाने के अपने प्रयासों के तहत बीजेपी के सीनियर स्टार प्रचारक एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेताओं से संवाद किया। बैठक में जाट समुदाय के करीब 250 से अधिक प्रबुद्ध वर्ग के लोग और अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभुत्व रखने वाले नेताओं के अलावा बीजेपी के उत्तर प्रदेश के प्रभारी व केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रधान, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और बागपत से सांसद सत्यपाल सिंह भी शामिल हुए। यह बैठक दिल्ली से बीजेपी सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा के आवास पर हुई। प्रवेश वर्मा ने पत्रकारों से चर्चा में दावा किया कि जाट नेताओं में भाजपा के प्रति जो नाराजगी थी, वह अब नहीं है।
दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक करने के बाद बीजेपी सांसद परवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा कि जयंत चौधरी जी ने एक गलत रास्ता चुना है यहां के समाज के लोग उनसे बात करेंगे और उनको समझाएंगे। हमारा दरवाजा उनके लिए खुला है। हम तो चाहते थे कि वो हमारे घर में आए लेकिन उन्होंने दूसरा घर चुना है।
उनके बयान के तुरंत बाद आएलडी चीफ जयंत चौधरी बीजेपी को कड़ा जवाब दिया। उन्होंने ट्वीट किया कि न्योता मुझे नहीं, उन 700+ किसान परिवारों को दो, जिनके घर आपने उजाड़ दिए!!
उन्होंने कहा कि आज यहां पर सभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश जाट समाज के प्रमुख व्यक्ति आए थे, सभी ने गृह मंत्री के सामने अपनी तकलीफें रखीं और गृह मंत्री ने सबकी तकलीफें सुनी। परवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा कि उन्होंने सबके सामने ये बात भी रखी कि उनके समाज और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए अभी तक क्या-क्या काम किए हैं और क्या-क्या काम करने जा रहे हैं। बहुत ही अच्छी बैठक हुई है और सभी ने गृह मंत्री को विश्वास दिलाया कि वो इस बार भी बीजेपी का समर्थन करेंगे।
गौर हो कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय की भूमिका हमेशा अहम होती है और वह परिणामों को प्रभावित करने की ताकत रखता है। इस क्षेत्र में राष्ट्रीय लोक दल का खासा प्रभाव है। जयंत के दादा चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं जबकि उनके पिता दिवंगत अजीत सिंह भी केंद्र सरकार में मंत्री रहे हैं। इस बार के चुनाव में आरएलडी ने सपा से गठबंधन किया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शाह ने जाट नेताओं को संबोधित करते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कानून व व्यवस्था में सुधार से लेकर किसानों की समस्याओं के मद्देनजर केंद्र व राज्य की भाजपा सरकारों की ओर से लिए गए निर्णयों का उल्लेख किया। सूत्रों के मुताबिक शाह ने यह भी कहा कि भाजपा ने तीन-तीन जाट नेताओं को राज्यपाल बनाया और सबसे अधिक विधायक और सांसद दिए तथा अलीगढ़ में एक विश्वविद्यालय का नाम प्रमुख जाट नेता राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर रखा।
बैठक में शामिल एक नेता के मुताबिक शाह ने जाट नेताओं से विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जिताने की अपील करते हुए कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश से ही राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा और जाट समुदाय ने हमेशा उनकी अपील का सम्मान किया। वह चाहे 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव हों या फिर 2017 का विधानसभा चुनाव।
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गौर हो कि उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में मतदान होना है। पहले चरण में 10 फरवरी को 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान होगा। इसमें शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, बुलंदशहर जिले प्रमुख हैं। दूसरे चरण में 14 फरवरी को नौ जिलों की 55 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। इसमें सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, अमरोहा, पीलीभीत प्रमुख जिले हैं।
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पहले दोनों चरणों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश इलाकों में मतदान होगा। पिछले चुनावों में बीजेपी ने इस इलाके में अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन इस बार किसान आंदोलन की वजह से क्षेत्र के किसानों और जाट समुदाय में बीजेपी के खिलाफ नाराजगी देखने को मिली है।
गौक हो कि किसानों, जाटों और दलितों के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की आबादी अच्छी है। हर चुनाव में बीजेपी पर इस इलाके में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश के आरोप लगते रहे हैं। इस बार बीजेपी की ओर से 'पलायन' और 80 बनाम 20 जैसे मुद्दों को उठाकर ध्रुवीकरण की कोशिश की जा रही है। अमित शाह ने पिछले दिनों कैराना का दौरा कर इन मुद्दों को हवा देने की भी कोशिश की।