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योगी आदित्यनाथ का दावा -यूपी चुनाव में 300 प्लस हासिल करेगी BJP, 100 सीटों पर सिमटेगा विपक्ष

Updated Jan 25, 2022 | 08:43 IST

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया है कि बीजेपी इस बार के विधानसभा चुनाव में 300 से ज्यादा सीटें लाएगी और विपक्ष 100 सीटों तक सिमट जाएगा।

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यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
मुख्य बातें
  • विपक्ष पर योगी आदित्यनाथ का पलटवार
  • सौ का आंकड़ा भी क्रास नहीं कर पाएगी सपा: योगी
  • गठबंधन से नहीं पड़ेगा फर्क, जीरो प्लस जीरो, जीरो ही रहेगा-योगी

नई दिल्ली:  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने  विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा भाजपा 300 प्लस के साथ एक बार फिर प्रचंड बहुमत की सरकार बनाएगी, इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए। समाजवादी पार्टी 100 का आंकड़ा भी क्रास नहीं कर पाएगी। सपा, बसपा कांग्रेस और निर्दलीय (इंडिपेंडेंट) सौ के नीचे ही रहेंगे । उन्होंने कहा 2014 से शुरू हुई 80 बनाम 20 की लड़ाई 2022 में जारी रहेगी।

20 फीसदी लोग भाजपा  के आने से इसलिए भयभीत हैं, क्योंकि इन लोगों ने प्रदेश को लूट-खसोट, दंगा कराने का जो सपना देखा था, उसे जनता जनार्दन ने चकनाचूर कर दिया। ऐसे लोगों से बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। हमारी सरकार ने भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम किया है। जनता को सपा से कोई उम्मीद भी नहीं है। यह सोचना भी नहीं चाहिए कि सपा कोई करिश्मा कर पाएगी । सपा के लिए सौ सीट क्रास करना सपना ही रहेगा।

योगी का हमला-सपा के राज मे हुए दंगे

मुख्यमंत्री योगी ने कुछ पत्रकारों से बातचीत में तंज़ किया  कि सपा वही है । 2012 में सरकार बनते ही सपा ने आतंकवादियों से मुकदमा वापस लेने की कार्यवाही की थी, रामभक्तों पर गोली चलवायी। जो व्यापक अराजकता का कारण बनी थी । दंगे-फसाद, लूट-खसोट करना, बाबा साहब अंबेडकर का अपमान करना, कांशीराम के नाम से जुड़े संस्थानों का नाम बदलने वाली सपा से जनता को कोई उम्मीद नहीं है। सपा की संवेदना माफिया, पेशेवरअपराधियों ,उपद्रवियों और कैराना में हिन्दुओ को पलायन कराने वाले तत्वों के साथ है । वह बड़ी बेशर्मी से तालिबान का समर्थन करते हैं। उनकी सूची (उम्मीदवारों की लिस्ट) तो यही बताती है।

बीजेपी राज में हुआ विकास

भाजपा ने 43 लाख गरीबों को आवास और 2.6 करोड़ लोगों को शौचालय दिये । पीएम मोदी की प्रेरणा से हमने बिना भेदभाव किये कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया। योजनाओं और विकास में कोई भेदभाव नही किया। हाँ लेकिन तुष्टिकरण भी नहीं किया। राजनीतिक तुष्टिकरण लोकतंत्र का सबसे बड़ा खतरा है।  प्रदेश की  25 करोड़ जनता की सुरक्षा मेरी नैतिक जिम्मेदारी है।

सपा के गठबंधन के सवाल पर मुख्यमंत्री एवं भाजपा के फायर ब्रांड नेता योगी ने कहा कि इन दलों ने 2014 और 2017 में भी गठबंधन किया था। 2019 का गठबंधन सबसे बड़ा था जिसमें सपा, बसपा और रालोद भी शामिल रही, परिणाम क्या रहा? जीरो प्लस जीरो, जीरो ही रहेगा ।


 लखीमपुर में वर्ग संघर्ष कराना थी विपक्ष की साजिश

लखीमपुर के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी । सरकार ने कार्रवाई की । तथ्यों को एकत्र करने में समय लग सकता है, लेकिन विपक्ष उस दौरान संघर्ष की स्थिति पैदा करना चाहता था। हमारे लिए सबसे पहले शांति और सौहार्द कायम कर दोनों समुदायों में विश्वास अर्जित करना और फिर नियमानुसार कार्रवाई करना था। सरकार ने कानून के अनुसार जो कार्रवाई हो सकती थी, उसे आगे बढ़ाया। हाँ सरकार किसी को अराजकता, दंगा फसाद की छूट नहीं दे सकती है।

80 बनाम 20 के सवाल पर बोले योगी

यह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले का मेरा बयान है कि यह चुनाव 80 और 20 में सिमटेगा। 20 प्रतिशत वह हैं जो उप्र के विकास, गरीब कल्याणकारी योजनाओं, बेहतर सुरक्षा और विकास के विरोधी हैं, आस्था का वह सम्मान नही अपमान करने के आदी हैं।  80 लोग जो उत्तर प्रदेश के विकास, सुरक्षा, गरीब कल्याणकारी योजनाओं और आस्था के सम्मान समर्थन कर भाजपा के पक्ष में आएंगे।  20 फीसदी भाजपा के पहले भी विरोधी थे और आगे भी रहेंगे।  80 बनाम 20 की लड़ाई 2014, 2017 और 2019 में भी चली थी और  2022 में भी यही देखने को मिलेगा।

स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेताओं के पाला बदलने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अपना दल (एस) और निषाद पार्टी भाजपा के पुराने सहयोगी दल हैं। मेरा अभिप्राय किसी व्यक्ति से नहीं है । भाजपा तीन सौ से अधिक सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत की सरकार बनाएगी।  इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा किराजनीति में एक अवसरवादिता है और दूसरा व्यक्ति वैचारिक मुद्दों से जुड़ता है। है, जिससे लोग जुड़ते हैं।  दोनों में अंतर है।

चुनाव के समय दलबदल होता है तो इसके निगेटिव और पाजीटिव  ब्यूज देखने को मिलता है।एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भाजपा वंशवादी और पारिवारिक दल नहीं अपितु एक राजनीतिक दल है। यहाँ लोग भाजपा की नीतियों से प्रभावित होकर पार्टी की सदस्यता लेते हैं और काम करते हैं। कोई टिकट का वायदा लेकर नहीं आता है।  पार्टी को लगता है कि वह व्यक्ति पार्टी और समाज के लिए उपयोगी हो सकता है तो अवसर देती है। कोई कहे कि आज ही शामिल और सब कुछ बना दिया जाए, यह चीजें कम देखने को मिलती हैं । जबकि सपा एक परिवार की पार्टी है, जिसका मुखिया, पदाधिकारी और कार्यकारिणी में परिवार का सदस्य ही दिखेगा। यह भाजपा और सपा में अंतर है। भाजपा की वैचारिक प्रतिबद्धता है। इन्ही मुद्दों पर हम लोग सार्वजनिक जीवन में काम करते हैं।