- बॉलीवुड अदाकारा डिंपल कपाड़िया की बहन थीं सिंपल कपाड़िया
- 1977 में अनुरोध फिल्म से सिनेमा की दुनिया में रखा था कदम
- इस फिल्म में जीजा राजेश खन्ना थे सिंपल कपाड़िया के हीरो
Ranjeet and Simple Kapadia Love story: बॉलीवुड अदाकारा डिंपल कपाड़िया की छोटी बहन सिंपल कपाड़िया ने 18 साल की उम्र में जीजा राजेश खन्ना के अपोजिट बॉलीवुड डेब्यू किया था। 15 अगस्त 1958 को पैदा हुईं सिंपल ने साल 1977 में अनुरोध फिल्म से सिनेमा की दुनिया में कदम रखा था। उन्होंने शाका और चक्रव्यूह जैसी फिल्मों में जीतेंद्र के साथ भी काम किया था। अपने फिल्मी करियर में सिंपल ने कम ही फिल्में कीं। वह लूटमार, जमाने को दिखाना है, जीवन धारा, दूल्हा बिकता है जैसी फिल्मों में सहायक अदाकारा के रूप में नजर आईं।
सिंपल कपाड़िया की चर्चा मशहूर खलनायक रंजीत के साथ अफेयर को लेकर अक्सर होती है। सिंपल कपाड़िया रंजीत की हर अदा पर फिदा थीं। उनकी हेयर स्टाइल, उनका अंदाज उनका अभिनय उनके हर अंदाज सिंपल को पसंद था। दोनों काफी समय तक एक दूसरे के करीब थे लेकिन सिंपल कपाड़िया के जीजा यानि राजेश खन्ना को दोनों का रिश्ता पसंद नहीं था। राजेश खन्ना रंजीत को पसंद नहीं करते थे। वजह थी रंजीत की विलेन वाली छवि।
जब सिंपल कपाड़िया और रंजीत की नजदीकियों की चर्चा ज्यादा होने लगी तो राजेश खन्ना ने सिंपल को खूब डांटा। सिंपल कपाड़िया की वजह से राजेश खन्ना और रंजीत के बीच भी खूब तल्खी नजर आने लगी। फिल्म छैला बाबू के सेट पर दोनों के बीच खूब बहस हुई थी। कहा तो ये भी जाता है कि दोनों के बीच बहस मारपीट तक पहुंच गई थी।
एक्टिंग छोड़ बन गईं कॉस्ट्यूम डिजाइनर
साल 1986 में उनकी आखिरी फिल्म आई और उसके बाद उन्होंने कॉस्ट्यूम डिजाइन करना शुरू कर दिया। सिंपल ने साल 1987 में सबसे पहले विनोद खन्ना और डिंपल कपाड़िया की फिल्म इंसाफ के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन किए। उसके बाद दर्जनों फिल्मों के लिए उन्हें काम मिला। बरसात, चाची 420, अजूबा, इंडियन, प्यार जिंदगी है जैसे कई फिल्मों के कॉस्ट्यूम उन्होंने ही डिजाइन किए। खासबात ये है कि फिल्म रुदाली के कॉस्ट्यूम के लिए उन्हें नेशनल फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया था।
कैंसर से हुआ निधन
सिंपल ने एक सिख इंसान से शादी की थी और उनका एक बेटा है करण कपाड़िया। सिंपल और सिख इंसान की शादी लंबी नहीं चली और दोनों जल्द ही अलग हो गए। साल 2006 में सिंपल कपाड़िया को कैंसर होने की बात सामने आई थी। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। तीन साल तक इलाज के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। 10 नवंबर 2009 को अंधेरी के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया।