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सुशांत सिंह राजपूत मामले पर बोले अनुपम खेर, 'आंख मूंदना कायरता की निशानी, कसूरवार का फैसला होना जरूरी'

Updated Aug 04, 2020 | 20:31 IST

Anupam Kher on Sushant Singh Rajput: एक्टर अनुपम खेर ने सुशांत सिंह राजपूत मामले पर कहा है कि कसूरवार का फैसला होना जरूरी है।

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सुशांत सिंह राजपूत और अनुपम खेर।
मुख्य बातें
  • सुशांत सिंह राजपूत ने 14 जून को खुदकुशी कर ली थी
  • उनका शव मुंबई में अपार्टमेंट में पंखे से लटका मिला था
  • सुशांत का परिवार लगातार इंसाफ की गुहार लगा रहा है

बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के निधन को अगले हफ्ते दो महीने होने जाएंगे। सुशांत के यूं दुनिया से चले जाने से हर कोई हैरान है। सभी के जेहन में यही सवाल है कि सुशांत ने ऐसा जानलेवा कदम क्यों उठाया? खुदकुशी के मामले में मुंबई पुलिस लगातार जांच कर रही है। पुलिस पता लगाने में जुटी है कि आखिर किन परिस्थितियों के कारण सुशांत ने अपनी जान दी। एक तरफ जहां पुलिस पड़ताल कर रही है वहीं दूसरी तरफ आम लोगों से लेकर सेलेब्स इस मामले पर अपनी राय रख रहे हैं। अब बॉलीवुड एक्टर अनुपम खेर ने सुशांत मामले पर कहा कि कसूरवार का फैसला होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आंख मूंदे रखना कायरता की निशानी है। 


अनुपम खेर ने अपने ट्विटर अकाउंट पर वीडियो शेयर कर कहा, 'सुशांत की मौत का मामला 14 जून के बाद से अब तक जहां पहुंचा है। उसमें काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। इसपर न बोलना आंख मूंदने वाली बात है। बहुत दिनों तक मैं नहीं बोला या बहुत सारे लोगों ने बोला है। शायद लोगों को समझ नहीं आ रहा कि क्या बोलें। अब जो स्थिति नजर आ रही है, उसमें बिना किसी को दोष दिए हुए, इतना तो हमारा फर्ज बनता है कि इसे लॉजिकल एंड तक तो लेकर जाएं। एक को-एक्टर होने के नाते, एक इंसान होने के नाते, वो किसी का बेटा है, वो किसी का भाई है। हम सबने उसकी प्रशंसा की है। उसने फिल्मों में बहुत अच्छा काम किया है। इस समय चुप रहना ठीक नहीं है।'

उन्होंने आगे कहा, 'जरूरी नहीं कि हम किसी की आलोचना करें। मगर उसकी मौत का एक लॉजिकल एंड बहुत जरूरी है। कौन कसूरवार है और कौन कसूरवार नहीं है, इसका फैसला तो होना चाहिए। मेरी या सुशांत के फैंस की बात नहीं है। बेशुमार थ्योरीज हैं। हमें उन्हें मानें या नहीं मानें। लेकिन इतना तो बनता है कि हमें यह तो पूछें कि जो भी हो रहा है, उसका अंत तो होना चाहिए। सुशां के पिता, बहनें और रिश्तेदार जो इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं, उनको तो हमें यह महसूस कराना चाहिए कि हम उनके साथ हैं। आंख मूंदना कायरता की निशानी है और कायर होना अच्छी बात नहीं है।'

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