- दीपिका पादुकोण की छपाक और अजय देवगन की तान्हाजी शुक्रवार को रिलीज हो गई
- फिल्म की शुरुआत की बात करें तो दीपिका की फिल्म के मुकाबले अजय की फिल्म की शुरुआत बेहतर रही
- क्या दीपिका की फिल्म अजय देवगन की फिल्म को टक्कर दे पाएगी
इस हफ्ते शुक्रवार को यानी 10 जनवरी को दो बड़ी फिल्में रिलीज हुईं हैं जिनमें दीपिका पादुकोण की छपाक और अजय देवगन, सैफ अली खान व काजोल की फिल्म तान्हाजी: द अनसंग वॉरियर शामिल है। जहां पिछले कुछ समय से दोनों फिल्में लगातार चर्चा में थीं वहीं हाल ही में दीपिका जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्रों का समर्थन करने पहुंचीं जिसके बाद उनकी फिल्म सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई।
छपाक का सोशल मीडिया पर काफी विरोध भी हुआ जिसके बावजूद दिल्ली और बैंगलोर में फिल्म ठीक ठाक ओपनिंग करने में कामयाब रही, फिल्म शुरुआत में ही दर्शकों की संख्या 15-20% रही। वहीं अजय देवगन- सैफ अली खान की फिल्म तान्हाजी ने 20-25% दर्शकों की संख्या से अपनी शुरुआत की जो कि दीपिका की फिल्म से कहीं ज्यादा है। हालांकि क्षेत्रीय अपील के चलते देश के दूसरे हिस्सों के मुकाबले तान्हाजी को महाराष्ट्र में बेहतर ओपनिंग मिली।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि महिला प्रधान फिल्म होने के चलते छपाक की ये शुरुआत ठीक है और इसका टारगेट आलिया भट्ट की 'राजी' और कंगना रनौत स्टारर 'मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी' जैसी फिल्मों को टक्कर देना होगा। जहां सोशल मीडिया पर कई सेलेब्स दोनों फिल्मों को प्रमोट कर रहे हैं वहीं यह देखना दिलचस्प होगा कि दर्शक दो बेहतरीन फिल्मों में से किसे चुनते हैं। और क्या दीपिका पादुकोण अजय देवगन की फिल्म को टक्कर दे पाएंगी?
अगर दीपिका पादुकोण की छपाक की बात करें तो फिल्म की कहानी लक्ष्मी अग्रवाल नाम की एसिड अटैक सर्वाइवर की जिंदगी पर आधारित है। फिल्म में दीपिका उनका रोल निभा रही हैं और उनके कैरेक्टर का नाम मालती है। लक्ष्मी पर साल 2005 में नदीम नाम के एक शख्स ने उस समय तेजाब फेंका था जब उन्होंने शादी के लिए इंकार कर दिया था। लक्ष्मी उस समय केवल 15 साल की थीं। इसके बाद लक्ष्मी ने खुद अपनी लड़ाई लड़ी।
वहीं तान्हाजी की कहानी मराठों और मुगलों के बीच की जंग को दिखाती है। जिसमें अजय देवगन सुबेदार तानाजी के रोल में हैं तो वहीं सैफ उदय भान राठौड़ के नेगेटिव रोल में हैं। फिल्म में मराठा योद्धाओं द्वारा मुगलों से अपने किले लेने की लड़ाई है, जिसमें मराठाओं की जीत होती है।