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Bulbul: जेब में 16 रुपये लेकर दिल्ली के लिए निकले थे दादा जी, आज जो कुछ भी हूं उनकी वजह से हूं: तृप्ति डिमरी

प्रदीप कुमार तिवारी | सीनियर रिपोर्टर
Updated Jul 05, 2020 | 23:48 IST

Bulbul Actress Tripti Dimri Exclusive: बुलबुल  फिल्म में बंगाली लड़की का किरदार निभाने वालीं तृप्ती डिमरी ने Times Now से खास बातचीत की। जानिए क्या कहा तृप्ति डिमरी ने...

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Tripti Dimri
मुख्य बातें
  • फिल्म 'बुलबुल' को लोगों द्वारा काफी सराहा भी जा रहा है।
  • तृप्ति डिमरी ने अपने 'बुलबुल' के किरदार से दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया है।
  • तृप्ति की ख्वाहिश है कि बॉलीवुड में वो एक्शन, रोमांस, कॉमेडी जैसे दमदार किरदार निभाएं।

मुंबई. पोस्टर बॉय और लैला-मजनू जैसी बड़ी फिल्मों का हिस्सा बनने के बाद तृप्ति डिमरी ने एक बार फिर से अपने 'बुलबुल' के किरदार से दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'बुलबुल' को लोगों द्वारा काफी सराहा भी जा रहा है।

 फिल्म में बंगाली लड़की का किरदार निभाने वालीं तृप्ती डिमरी ने Times Now से खास बातचीत की। बुलबुल के किरदार को सराहना मिलने के बाद तृप्ति की ख्वाहिश है कि बॉलीवुड में वो एक्शन, रोमांस, कॉमेडी जैसे दमदार किरदार निभाएं।

अपने फ्यूचर प्लान और प्रॉजेक्ट के बारे में तृप्ति डिमरी कहती हैं, 'इस समय मैं केवल सोशल मीडिया पर लोगों के कॉमेंट्स पढ़ रही हूं और मुझे काफी खुशी मिल रही हैं।'

आपने दिल्ली में अपनी पढ़ाई की, लेकिन पढ़ाई से ज्यादा आपका मन एक्टिंग में लगता था?
मैंने दिल्ली में ही अपनी पढ़ाई-लिखाई की। हालांकि, इस दौरान पढ़ाई में मेरा मन नहीं लगता था। मैं शुरुआत से ही अभिनेत्री बनना चाहती थीं। मेरे माता-पिता कहते थे कि पढ़ाई पूरी करके कोई नौकरी कर लो, कुछ और कर लो। 

मैं एक छोटी सी जगह से थी इसलिए मेरे माता-पिता को मेरी बहुत चिंता रहती थी लेकिन, मेरे अंदर बचपन से ही एक्टिंग का कीड़ा था। दिल्ली में ही मैंने ऑडिशन दिए और यहीं से मेरे एक्टिंग करियर की शुरुआत हुई।

उत्तराखंड के छोटे से गांव नाग से बॉलीवुड का सफर कैसे तय किया? आपकी पहली फिल्म पोस्टर बॉय थी?
जी बिल्कुल, मैं उत्तराखंड के चमोली जिले के छोटे से गांव नाग की रहने वाली हूं। चूंकि मेरी पढ़ाई दिल्ली में ही हुई है। जैसा मैंने आपको बताया ही मुझे एक्टिंग का काफी शौंक था।

दिल्ली में जब मैंने पोस्टर बॉय के लिए ऑडिशन दिया उस वक्त मैं कैमके के सामने आने से भी डरती थी। लेकिन मैंने कई वॉर्कशॉप कीं और कैमरे फोबिया से बाहर निकलकर एक्टिंग पर ध्यान दिया।

पहली फिल्म में सनी देओल और बॉबी देओल थे, कैसे ब्रेक मिला?
जी हां, मैंने ये कभी नहीं सोचा था कि मैं किसी बड़ी फिल्म का हिस्सा बनूंगी। इस फिल्म में मेरे ऑपोज़िट सनी और बॉबी देओल थे। जिस वक्त मेरा फिल्म के लिए ऑडिशन दिया था उस वक्त कैमरा कैसे फेस करना है, इस बात का डर था। 

मेरे भाई के एक दोस्त ने मेरी काफी फोटोज़ खींची और उन्हें आगे सर्कुलेट किया। फिर यूट्यूब के एक चैनल में काम किया और वहीं कैमरा फेस करना सीखा। मैं उस समय दिल्ली में ही थी तब इस फिल्म के निर्माताओं ने मुझसे मेरा ऑडिशन मांगा। मैं डर रही थी लेकिन जैसे तैसे करके मैंने फिल्म के लिए ऑडिशन दिया और मेरा चुनाव हो गया।

आपकी दूसरी फिल्म लैला-मजनू थी, जो एक मॉडर्न लव स्टोरी थी?
बिल्कुल,  फिल्म लैला-मजनू एक मॉडर्न लव स्टोरी थी। हालांकि, फिल्म ‘लैला मजनू’ के लिए वर्ष 2016 में हुए ऑडिशन में रिजेक्ट हो गई थी, लेकिन कुछ समय बाद मुंबई में हुए दूसरे ऑडिशन में चयन हो गया। लैला-मजनू के बाद मैंने एक्टिंग की कई वर्कशॉप्स भी कीं।

अपने दादा के संघर्ष को याद करके आज भी भावुक हो जाती हैं आप?
मैं अपने दादा जी के बेहद करीब हूं। आज जो कुछ भी हूं उन्हीं की वजह से हूं। मेरे दादाजी 16 साल की उम्र में अपनी जेब में 16 रुपये लेकर दिल्ली के लिए निकले और उन्होंने दिल्ली में अपने नए जीवन की शुरुआत की। अगर वह इतनी कम उम्र में अपना गांव छोड़कर बाहर नहीं निकलते होते तो शायद हम लोग अभी भी उसी गांव में रह रहे होते और मैं आज यहां नहीं होती।

बुलबुल के किरदार के लिए खुद को कैसे तैयार किया? कई वॉर्कशॉप भी किए थे इस किरदार के लिए?
इस किरदार को निभाने के लिए मुझे कड़ी मेहनत करनी पड़ी है। बुलबुल को समझने के लिए दो महीने तक लगातार बहुत सारी वर्कशॉप भी की। बुलबुल के किरदार को समझने के लिए मुझे काफी अनुभव की जरूरत थी। किरदार मुश्किल होने के कारण मुझे इसके लिए काफी तैयारी करनी पड़ी।

बुलबुल की शूटिंग कोलकाता में हुई...ज्यादातर outskirts में हुई है...शूटिंग एक्सपीरियंस कैसा था?
ये काफी शानदार रहा था। बावली राजबाड़ी में शूटिंग हुई थी और यहां हम करीब 30 से 35 दिन रहे थे। कोलकाता में शूट के दौरान बंगाली खाने का खूब मजा लिया।

बुलबुल में बेख़ौफ़ लड़की की भूमिका निभाने वाली तृप्ति रात को बाहर नहीं निकलती?
मैं अपने परिवार के साथ अब दिल्ली में रहने लगी हूं। दिल्ली के माहौल में उन्हें खुद को काफी सीमित करके रखना पड़ता था। यहां तक कि जब मैं घर वापस जाती हूं तो मैं भी 8 या 9 बजे के बाद घर से बाहर नहीं निकलती हूं। हालांकि, इसकी एक वजह ये भी है कि सब परिवार साथ मिलकर डिनर करें, इसलिए मैं देर रात घर से नहीं निकलती।

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