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Amrish Puri Birthday: लोगों का बीमा किया करते थे अमरीश पुरी, हीरो के रोल के ल‍िए रिजेक्‍ट होकर बने विलेन

Updated Jun 22, 2021 | 07:30 IST

Amrish Puri Birthday: बॉलीवुड के मशहूर खलनायक अमरीश पुरी का आज ही के दिन यानी 22 जून को 1932 को पंजाब राज्य के जालंधर में जन्‍म हुआ था।

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Amrish Puri
मुख्य बातें
  • बॉलीवुड के मशहूर खलनायक अमरीश पुरी का आज जन्‍मदिन है।
  • 22 जून को 1932 को पंजाब राज्य के जालंधर में उनका जन्‍म हुआ था।
  • अमरीश पुरी बॉलीवुड में हीरो बनने का ख्वाब लेकर मुंबई आए थे।

Amrish Puri Birthday: बॉलीवुड के मशहूर खलनायक अमरीश पुरी का आज ही के दिन यानी 22 जून को 1932 को पंजाब राज्य के जालंधर में जन्‍म हुआ था। साल 1967 में उनकी पहली मराठी फिल्म 'शंततु! कोर्ट चालू आहे' आई थी। इस फिल्म में उन्होंने एक अंधे व्‍यक्‍त‍ि का रोल प्‍‍‍‍ले क‍िया था। वहीं बॉलीवुड में उन्‍होंने  1971 में 'रेशमा और शेरा' से डेब्‍यू क‍िया था। अमरीश पुरी बॉलीवुड में हीरो बनने का ख्वाब लेकर मुंबई आए थे लेकिन किस्मत ने उन्हें विलेन बनाकर अमर कर दिया। आज अमरीश पुरी इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन अपने किरदारों के रूप में वह दर्शकों के दिलों में हमेशा रहेंगे। 

वह जब भी पर्दे पर विलेन बनकर आते थे तो वाकई लोग डर जाते थे। वह भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिभाशाली अभिनेताओं में से एक थे। उनकी दमदार संवाद अदायगी के लोग कायल थे। फ‍िल्‍म विश्‍वात्‍मा का 'अजगर किसे कब और कहां निगल जाता है ये तो मरने वाले को भी पता नही चलता', फ‍िल्‍म शहंशाह का 'जब भी मैं किसी गोरी हसीना को देखता हूं, मेरे दिल में सैकड़ों काले कुत्ते दौड़ने लगते हैं', 'फूल और कांटें' फिल्म का 'जवानी में अक्सर ब्रेक फ़ेल हो जाया करते हैं', नगीना फिल्म का 'आओ कभी हवेली पर', फिल्म मिस्टर इंडिया का 'मोगैंबो खुश हुआ' उनके चर्चित डायलॉग हैं।

अमरीश पुरी को आज भी बॉलीवुड का बेस्ट विलेन माना जाता है। मिस्टर इंडिया, दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे, घातक, दामिनी, करण-अर्जुन इन सभी फिल्मों में बड़े-बड़े सुपरस्टार हीरो के किरदार में थे, लेकिन इन फिल्मों को सुपरहिट बनाने में फ‍िल्‍म के व‍िलेन अमरीश पुरी का बड़ा योगदान था।

करते थे बीमा एजेंट की नौकरी

अमरीश पुरी शुरुआत में बीमा ऐजेंट के रूप में काम करते थे, लेक‍िन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। कुर्बानी, नसीब, हीरो, अंधाकानून, दुनिया, मेरी जंग और सल्तनत जैसी कई फ‍िल्‍मों में उनके क‍िरदार को आज भी याद किया जाता है। अमरीश पुरी, मदन पुरी के भाई हैं। अमरीश पुरी ने जब फ‍िल्‍मों में काम मांगना शुरू किया तो उनसे कहा गया कि तुम्‍हारा चेहरा हीरो की तरह नहीं है जिससे वह काफी निराश हुए। हीरो नहीं बन सके तो अमरीश पुरी ने थिएटर में काम शुरू किया और खूब ख्‍याति पाई। 30 साल के कर‍ियर में उन्‍होंने 400 से ज्‍यादा फ‍िल्‍में कीं। 

'रामायण' में रावण के लिए थे पहली पसंद

रामायण में एक्टर अरविंद त्रिवेदी ने रावण का रोल निभाया था और उन्हें इस किरदार काफी पसंद भी किया गया, लेकिन वो इस रोल की पहली पसंद नहीं थे। दरअसल शो में राम का रोल निभाने वाले एक्टर अरुण गोविल समेत अन्य सदस्य चाहते थे कि एक्टर अमरीश पुरी इस रोल को निभाएं। उनका मानना था कि वो इस रोल के लिए परफेक्ट हैं लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।

मोगैम्बो के रोल के लिए नहीं थे पहली पसंद

मिस्टर इंडिया का फिल्म का नाम सुनते ही सबसे पहले अगर कुछ याद आता है, तो वह नाम है मोगैम्बो का। मोगैम्बो और मोगैम्बो का डायलॉग - मोगैम्बो खुश हुआ, अमर हो चुके हैं। मोगैम्बो के किरदार ने अमरीश पुरी (Amrish Puri) को भी अमर कर दिया। अमरीश पुरी अपने बहुत से किरदारों के लिए जाने जाते हैं लेकिन उन सबमें सबसे मजेदार और शानदार किरदार मोगैम्बो का है। ‘मोगैम्बो’ के किरदार के लिए निर्देशक शेखर कपूर की पहली पसंद अमरीश पुरी नहीं अनुपम खेर थे। 

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