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Shershaah: 30 हजार लोगों की मौजूदगी में फ‍िल्‍माया गया विक्रम बत्रा के अंतिम संस्कार का सीन, जानें कहां?

Updated Aug 19, 2021 | 07:19 IST

Shershaah Movie Captain Vikram Batra Antim Sanskar Scene: कारगिल वॉर के हीरो कैप्‍टन विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित फ‍िल्‍म शेरशाह 12 अगस्‍त को अमेजन प्राइम पर रिलीज हो चुकी है।

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Shershaah
मुख्य बातें
  • कैप्‍टन विक्रम बत्रा की बायोपिक 12 अगस्‍त को हो चुकी है रिलीज
  • कारगिल जंग के हीरो विक्रम बत्रा के जीवन पर बनी है फ‍िल्‍म शेरशाह
  • दर्शकों के साथ साथ समीक्षकों ने भी इस फ‍िल्‍म की सराहना की है

Shershaah Movie Captain Vikram Batra Antim Sanskar Scene: कारगिल वॉर के हीरो कैप्‍टन विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित फ‍िल्‍म शेरशाह 12 अगस्‍त को अमेजन प्राइम पर रिलीज हो चुकी है। दर्शकों, समीक्षकों और तमाम सितारों ने इस फ‍िल्‍म की तारीफ की है। फ‍िल्‍म में बॉलीवुड एक्‍टर सिद्धार्थ मल्‍होत्रा ने कैप्‍टन विक्रम बत्रा का रोल बेहद शानदार तरीके से निभाया है। फ‍िल्‍म को काफी खूबसूरती से बनाया गया है।

विष्‍णु वर्धन के निर्देशन में बनी इस फ‍िल्‍म के अधिकतर सीन रीयल लोकेशन पर फ‍िल्‍माए गए हैं, इसलिए यह काफी खास हो गई है। सिद्धार्थ मल्‍होत्रा ने हाल ही में एक वीडियो शेयर कर बताया कि कैसे कारगिल वॉर का सीन फ‍िल्‍माया गया है। इस फ‍िल्‍म में एक ऐसा सीन है जिसने दर्शकों को भावुक कर दिया था और देखने वालों की आंखें नम थीं। ये सीन है शहीद कैप्‍टन विक्रम बत्रा के अंतिम संस्‍कार का सीन। यह सीन फ‍िल्‍माने के लिए मेकर्स को काफी मशक्‍कत करनी पड़ी थी। ये सीन रीयल लोकेशन पर पालमपुर में फ‍िल्‍माया गया था।

इस सीन को फ‍िल्‍माना बिलकुल आसान नहीं था लेकिन कैप्‍टन विक्रम बत्रा के भाई विशाल बत्रा की मदद से यह सीन संभव हो सका। इस सीन को वहां फिल्माने की इजाजत के लिए शेरशाह की टीम की विशाल बत्रा ने काफी मदद की थी, वहीं जिस समय ये सीन शूट हुआ तो वहां 30 हजार लोग मौजूद थे। कहा जा रहा है कि ये सीन पूरी फ‍िल्‍म का सबसे भावुक करने वाला सीन था। सीन शूट होते वक्‍त माहौल गमगीन हो गया था और वहां मौजूद लोगों की आंखें नम थीं।

असल में ऐसे हुआ था अंतिम संस्‍कार 

विक्रम बत्रा के भाई विशाल बत्रा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनका अंतिम संस्कार किस तरह से हुआ था। उन्‍होंने कहा था, 'मुझे याद है कि मैं जब स्कूल में पढ़ता था तो डेड बॉडी को देखने से बेहद डरता था। लेकिन, जब विक्रम की डेड बॉडी आई तो पता नहीं मुझमे कैसे हिम्मत आई। मैं और मेरे जीजाजी ने ही विक्रम के शव की पहचान की। जब हम अंतिम यात्रा के लिए शमशान ले जा रहे थे तो शव को मैंने ताबूत से बाहर निकाला और अपने हाथों में लिया। ये मेरी लाइफ का पहला अंतिम संस्कार था।'

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