- आशिकी फेम राहुल रॉय को मंगलवार को आया था ब्रेन स्ट्रोक।
- कारगिल में कर रहे थे आने वाली फिल्म एलएसी- लिव द बैटल की शूटिंग।
- अब उनके को-एक्टर निशांत सिंह मलखानी ने बताया उस दिन कैसा था राहुल का हाल।
साल 1990 में फिल्म आशिकी में नजर आए एक्टर राहुल रॉय अपनी आने वाली फिल्म एलएसी- लिव द बैटल के लिए कारगिल में शूटिंग कर रहे थे, जहां उन्हें ब्रेन स्ट्रोक आया। राहुल को आईसीयू में भर्ती करवाया गया है।
अब बिग बॉस 14 के पूर्व कंटेस्टेंट और फिल्म में उनके साथ काम कर रहे निशांत सिंह मलखानी ने बताया कि 52 साल के राहुल को किस तरह ब्रेन स्ट्रोक आया। उन्होंने बताया कि यह सब मंगलवार को हुआ। इससे पहले सोमवार की रात जब वो सोने गए, तब वो ठीक थे। लेकिन हो सकता है कि वहां के तापमान के चलते उन्हें परेशानी हुई हो, क्योंकि इस समय कारगिल का तापमान -15 डिग्री है।
सुबह से था असामान्य बर्ताव
ईटाइम्स से बात करते हुए निशांत ने बताया कि मंगलवार सुबह से ही राहुल की तबीयत खराब थी। उन्होंने कहा, 'मंगलवार सुबह से ही राहुल थोड़े सुस्त थे और अचानक हमें एहसास हुआ कि वो अपने डायलॉग नहीं बोल पा रहे हैं। वो अपने डायलॉग भूल नहीं रहे थे बल्कि वो उन्हें पूरा करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वो अपने वाक्य पूरे नहीं कर पा रहे थे। फिर शाम के समय उन्होंने थोड़ा असामान्य बर्ताव करना शुरू कर दिया, इधर- उधर देखने लगे तब हमें लगा कि कुछ गड़बड़ है।'
मुंबई अस्पताल में करवाया गया भर्ती
निशांत ने बताया कि राहुल की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें तुरंत कारगिल के मिलिट्री अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इसके बाद राहुल की सेहत के बारे में जानने के लिए बुधवार सुबह उनका सीटी स्कैन किया गया। निशांत ने बताया कि गुरुवार को सेना की मदद से राहुल को हैलीकॉप्टर में श्रीनगर ले जाया गया। जहां से बाद में उन्हें मुंबई के नानावती अस्पताल में भर्ती किया गया।
क्या होता है ब्रेन स्ट्रोक (What is Brain Stroke):
ब्रेन स्ट्रोक के दौरान खून की आपूर्ति में रुकावट के चलते मस्तिष्क को नुकसान होता है। स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है। स्ट्रोक के लक्षणों में चलने, बोलने और समझने में परेशानी जैसी चीजें शामिल है, साथ ही चेहरे या हाथ या पैर का लकवा या सुन्न होना भी इसके लक्षण हैं।
टीपीए (क्लॉट बस्टर) जैसी दवा के साथ प्रारंभिक उपचार मस्तिष्क की क्षति को कम कर सकता है। इसके अलावा डॉक्टर अन्य उपचार जटिलताओं को सीमित करने और अतिरिक्त स्ट्रोक को रोकने की दिशा में काम करने के लिए भी करते हैं।