- जैकलीन फर्नांडिस श्रीलंकाई मूल की बॉलीवुड एक्ट्रेस हैं
- जैकलीन ने साल 2009 में बॉलीवुड डेब्यू किया था
- वह अब तक करीब 20 फिल्मों में काम कर चुकी हैं
एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद बॉलीवुड में नेपोटिज्म (भाई-भतीजावाद), गुटबाजी, इनसाइडर और आउटसाइडर की बहस फिर से छिड़ गई है। अब तक कई कलाकार इन मुद्दों पर अपनी राय का इजहार कर चुके हैं। किसी ने जहां फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म पर खुलकर निशाना साधा तो कइयों ने कहा कि गुटबाजी ज्यादा बड़ी समस्या है। वहीं, अब एक्ट्रेस जैकलीन फर्नांडिस ने नेपोटिज्म पर अपनी बात रखी है। उनका कहना है कि वह नेपोटिज्म के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने साथ ही फिल्म इंडस्ट्री को दुनिया का सबसे खूबसूरत धोखा बताया है।
जैकलीन ने इंडिया टुडे से बातजीत में कहा, 'मुझे इंडस्ट्री के बारे में लगता है कि यह दुनिया का सबसे खूबसूरत धोखा है। मुझे यहां दस साल हो गए। हम जो करते हैं वो वास्तविक नहीं है। बतौर एकटर्स हम जो भी करते हैं वह एक दिखावा होता है। यह स्किल है जिससे ऐसा होता है। एक चीज जो मैंने सीखी वो यह कि आप सबसे प्रतिभाशाली हो सकते हैं, सबसे अधिक मेहनत करने वाले हो सकते हैं, लेकिन साथ ही इंडस्ट्री को जरूरत होती है कि आप लोगों के चहेते भी हों।'
उन्होंने कहा, 'लोगों का पसंदीदा होना बहुत अहम होता है। किस्मत से या बदकिस्तमती से फर्क पड़ता है कि आप लोगों के साथ कैसे बातजीत करते हैं? या आपका लोगों से मेलजोल कितना अच्छा है? फिल्म बनाना किसी एक व्यक्ति के बारे में नहीं है। इसमें सैकड़ों लोग शामिल होते हैं। यह टीम वर्क है। आपको इन सभी लोगों के साथ काम करने में सक्षम होना पड़ता है।'
जैकलीन ने नेपोटिज्म को लेकर कहा, 'नेपोटिज्म ने मुझे कभी प्रभावित नहीं किया, क्योंकि मुझे अब तक काम मिल रहा है। भले ही उस तरह का काम नहीं हो, जैसा मैं करना चाहती थी। मुझे अभी भी अपने काम का उचित हिस्सा मिल रहा है। मैंने इससे अपने आपको बहुत प्रभावित होते नहीं देखा। मैं नेपोटिज्म के खिलाफ नहीं हूं, मगर मुझे फेवरेटिज्म से दिक्कत है। मुझे यह भी लगता है कि हमारे कास्टिंग सिस्टम में गड़बड़ है।'
उन्होंने आगे कहा, 'मैं अन्य स्टूडियो के बारे में जानती हूं। मुझे मालूम है कि अन्य देशों में फिल्म इंडस्ट्री में कास्टिंग कैसे होती है? उनके यहां वाकई मुश्किल कास्टिंग बोर्ड होता है। सभी को ऑडिशन से गुजरना पड़ता है। उन्हें खुद को साबित करने की जरूर होती है। बॉलीवुड में मुझे नहीं पता कि क्या ऐसा कोई कास्टिंग सिस्टम है? यह सेकेंडरी एकटर्स के लिए हो सकता है, लेकिन जब कोई अपने लोगों के साथ फिल्म बनाना चाहता है तो मुझे नहीं लगता कि हम इसके बारे में कुछ भी कर सकते हैं।'