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बॉलीवुड में ड्रग्स पर बोले जावेद अख्तर- 'इस बारे में केवल सुना, कभी आंखों से नहीं देखा'

Updated Sep 18, 2020 | 13:51 IST

फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स पर संसद तक में बहस हुई है। इसके बाद फिल्म इंडस्ट्री से भी दो तरह की राय सामने आ रही है। अब गीतकार जावेद अख्तर ने कहा कि उन्होंने ड्रग्स के बारे में सुना पर कभी देखा नहीं...

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Javed Akhtar
मुख्य बातें
  • बॉलीवुड में ड्रग्स पर काफी चर्चा हो रहा है।
  • जावेद अख्तर ने कहा कि उन्होंने ड्रग्स के बारे में सिर्फ सुना है पर देखा नहीं है।
  • जावेद अख्तर ने कहा कि लोग विरासत और नेपोटिज्म में कन्फ्यूज होते हैं।

मुंबई. ड्रग्स मामले में फिल्म इंडस्ट्री के अंदर से दो तरह की राय आ रही है। कुछ सितारों का मानना है कि ड्रग्स बॉलीवुड को बर्बाद कर रहा है। वहीं, कई सेलेब्स इससे इंकार कर रहे हैं। अब गीतकार जावेद अख्तर ने भी ड्रग्स और नेपोटिज्म पर जवाब दिया है। 

हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में जावेद अख्तर ने कहा- 'मैंने सिर्फ सुना है और कभी कोई ड्रग्स अपनी आंखों से नहीं देखा है। मैंने सुना है कि युवा ड्रग्स लेते हैं, लेकिन ये सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री तक ही सीमित नहीं है।'

जावेद अख्तर बातचीत में आगे कहते हैं-'ड्रग्स की बात है तो ये फिल्म इंडस्ट्री ही नहीं, पूरे समाज के लिए एक रोग है। बात इस पर होनी चाहिए। हालांकि, मुझे पता नहीं है कि क्या चीज कानूनी है और क्या चीज गैर कानूनी है।' 



विरासत और नेपोटिज्म में कन्फ्यूज 
कंगना रनौत के नेपोटिज्म के आरोप पर जावेद अख्तर ने कहा कि लोग विरासत और नेपोटिज्म में कन्फ्यूज होते हैं। अगर कोई फिल्मी घराने में पैदा होता है तो उसके लिए फिल्म इंडस्ट्री के दरवाजे आसानी से खुल जाते हैं, लेकिन ये सब कुछ नहीं है।

जावेद अख्तर आगे कहते हैं- 'कई बार स्टार किड्स ने खुद कहा है कि फिल्मी परिवार से होने के कारण उन्हें काम के मौका मिलना आसान हो जाता है। हालांकि, ये जरूरी नहीं कि उन्हें सफलता ही मिले।'

संसद में उठा मामला
फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स का मामला एक्टर और गोरखपुर सांसद रवि किशन ने संसद में उठाया था। उन्होंने कहा था क‍ि ड्रग्‍स के मामले की गंभीरता से जांच होनी चाह‍िए ताकि फिल्म जगत पर लगा धब्‍बा साफ हो सके।    

जया बच्चन ने इसके जवाब में राज्यसभा में कहा था कि- 'एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री हर रोज 5 लाख लोगों को सीधा रोजगार देती है। लेक‍िन इस पर न‍िशाना साध कर बड़े मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए हमारा इस्तेमाल किया जा रहा है। लोग जिस थाली में खाते हैं, उसमें छेद नहीं करना चाहिए।'

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