- स्वर कोकिला लता मंगेशकर 28 सितंबर को 91वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं।
- लता मंगेशकर एक वक्त गायन छोड़कर समाज सेवा में आना चाहती थीं।
- वीर सावरकर की सलाह ने उनकी जिंदगी बदल दी थी।
मुंबई. भारत रत्न लता मंगेशकर आज 91वां बर्थडे मना रही हैं। साल 1942 से अभी तक तीन हजार से ज्यादा गाने गा चुकीं स्वर कोकिला लता मंगेशकर एक वक्त राजनीति और समाज सेवा में आना चाहती थीं। वह स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर से काफी प्रभावित थीं।
यतींद्र मिश्रा द्वारा लिखी गई लता मंगेशकर की बायोग्राफी- लता एक सुर गाथा के 40वें पन्ने में लता मंगेशकर और वीर सावरकर की बातचीत का जिक्र है। बुक के मुताबिक- लता मंगेशकर ने अपनी किशोरावस्था में समाज का प्रण लिया था। वह राजनीति में आना चाहती थी।
लता मंगेशकर की क्रांतिकारी वीर सावरकर के साथ इस मामले में काफी दिनों तक विचार विमर्श हुआ था। किताब के मुताबिक वीर सावरकर ने उनसे कहा कि- 'आप एक ऐसे पिता की संतान हैं, जिनका शास्त्रीय संगीत के जगत पर नाम चमक रहा है। '
वीर सावरकर ने दी ये सलाह
लता दीदी की बायोग्राफी के मुताबिक वीर सावरकर ने लता मंगेशकर को सलाह दी- अगर तुम्हें देश की सेवा करनी है तो तुम संगीत के जरिए भी ऐसा कर सकती हो। इसी के बाद लता मंगेशकर का मन बदल गया था।
लता मंगेशकर ने बाद में वीर सावरकर के लिखे गीत- ‘हे हिन्दू नरसिम्हा’को गाया था। इसके अलावा भी उन्होंने वीर सावरकर के लिखे कई गीतों को भी अपनी आवाज दी है। लता दीदी वीर सावरकर के अलावा जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी को अपने करीबियों में बताती हैं।
लता मंगेशकर ने किया था ये ट्वीट
लता मंगेशकर ने ट्वीट कर लिखा था कि वीर सावरकर और उनके परिवार के बीच काफी अच्छे संबंध थे। लता दीदी लिखती हैं- 'वीर सावरकर ने मेरे पिता जी की नाटक कंपनी के लिए नाटक संन्यस्त खड्ग लिखा था। इस नाटक का पहला प्रयोग 18 सितंबर 1931 को हुआ था, इस नाटक से एक गीत बहुत ज्यादा लोकप्रिय हुआ था।'
लता ने वीर सावरकर के बर्थडे पर लिखा- आज स्वतंत्रता के वीर सावरकर जी की जयंती है। मैं उनके व्यक्तित्व को, उनकी देशभक्ति को प्रणाम करती हूं। आजकल कुछ लोग सावरकर जी के विरोध में बातें करते हैं, लेकिन वे लोग यह नहीं जानते कि सावरकर जी कितने बड़े देशभक्त और स्वाभिमानी थे।'