- मनोज बाजपेयी ने अपने स्ट्रगल के दिनों को याद किया।
- मनोज बाजपेयी ने बताया कि वह मुंबई में उनके पास कभी खाने के भी पैसे नहीं थे।
- मनोज बाजपेयी ने कहा मुंबई आने के बाद जिंदगी बेहद मुश्किल हो गई थी।
मुंबई. मनोज बाजपेयी इन दिनों प्रवासी मजदूरों की तकलीफों पर आधारित भोजपुरी म्यूजिक वीडियो 'बम्बई में का बा' में नजर आए थे। मनोज बाजपेयी ने अब अपने स्ट्रगल के दिनों को याद किया। मनोज बाजपेयी ने बताया कि वह मुंबई में उनके पास कभी खाने के भी पैसे नहीं थे।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में मनोज बाजपेयी ने कहा फिल्म बेंडिट क्वीन के बाद कई एक्टर मुंबई शिफ्ट हो गए। मुंबई आने के बाद जिंदगी बेहद मुश्किल हो गई थी। दिल्ली में कम से कम थिएटर कर रहे थे।
बकौल मनोज बाजपेयी- 'दिल्ली में हमें भले ही पैसे नहीं मिलते लेकिन, दोस्त हमेशा मदद के लिए तैयार रहते थे। हम एक दूसरे को खाना खिलाया करते थे। जब मुंबई आए तो न हमारे पास काम था और न ही खाना खाने के लिए पैसे।
चार-पांच साल थे बेहद मुश्किल
मनोज बाजपेया ने कहा कि पर्सनली और प्रोफेशनली दोनों तरफ से शुरुआत के चार से पांच साल बेहद ही मुश्किल भरे हुए थे। हमें ये तक नहीं पता था कि खाना कब मिलेगा। यही नहीं, उस दौरान मेरे पापा की भी सेहत ठीक नहीं चल रही थी।
मनोज आगे कहते कि मेरी फैमिली को भी आर्थिक मदद की जरूरत थी और बड़े बेटे के नाते मुझ पर ही सभी जिम्मेदारियां थी। फिल्म पाना तो काफी मुश्किल था और मुंबई में कोई नौकरी भी नही थी। उस वक्त कास्टिंग डायरेक्टर भी नहीं थे।
सेट के लगाते थे चक्कर
मनोज बाजपेयी ने कहा कि हम लोग काम ढूंढने के लिए फिल्मों के सेट के चक्कर लगाया करते थे। इसके अलावा प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के ऑफिस तक जाया करते थे। वह बहुत ही मुश्किल भरा वक्त था अपने घर से दूर था।
मेंटल हेल्थ पर मनोज बाजपेयी ने कहा कि मुझे कभी भी प्रोफेशनल लेवल में बैचेनी नहीं महसूस है। बस पहली बार जब मैं एनएसडी में सिलेक्ट नहीं हुआ था तब मुझे मेंटल प्रेशर या फिर बैचेनी महसूस हुई थी। वर्कफ्रंट की बात करें तो मनोज बाजपेयी सूरज पर मंगल भारी फिल्म में नजर आने वाले हैं।