- हिंदी सिनेमा के मशहूर गीतकार मनोज मुंतशिर का आज जन्मदिन है।
- मनोज मुंतशिर ने जब अपने नाम से शुक्ला शब्द हटाया तो घर में छा गया था मातम।
- पिता को लगा था कि उनके बेटे ने बदल लिया है अपना धर्म।
Manoj Muntashir Birthday Lesser known Facts: 27 फरवरी 1976 को उत्तर प्रदेश के अमेठी के गौरीगंज में पैदा हुए मनोज मुंतशिर ने हरदम औकात से बड़े सपने देखे। वह कहते हैं- "जूते फटे पहन कर आकाश पर चढ़े थे, सपने हर दम हमारी औकात से बड़े थे।" केसरी के गाने 'तेरी मिट्टी' से लेकर एक विलेन के गाने 'तेरी गलियां', एमएस धोनी के गाने 'कौन तुझे यूं प्यार करेगा' जैसे गानों को अपनी कलम से सजाने वाले हिंदी सिनेमा के उसी मशहूर गीतकार का आज जन्मदिन है। जिनकी फितरत है मस्ताना और कलम की स्याही में भरा है इश्क, जिनके प्रेम गीत लबों पर चढ़ जाते हैं और सीधे दिल में बस जाते हैं। 'बाहुबली कलम’ जिनकी पहचान है, ऐसे हर दिल अजीज गीतकार, शायर, संवाद लेखक मनोज मुंतशिर का आज जन्मदिन है।
'देवसेना को किसी ने हाथ लगाया तो समझो बाहुबली की तलवार को हाथ लगाया' और 'औरत पर हाथ डालने वाले का हाथ नहीं काटते, काटते हैं उसका गला' जैसे शानदार डायलॉग्स को अपनी कलम से लिखने वाले जाने माने गीतकार मनोज मुंतशिर युवाओं के दिलों पर राज करते हैं। आज वो जिस मुकाम पर हैं, वो हर किसी को लाख मेहनत के बाद भी नसीब नहीं होता। मनोज जब तक मनोज शुक्ला थे, उन्हें कोई नहीं जानता था लेकिन जब वह मुंतशिर हुए तो कलम से ऐसे गीत निकले जो इजहार-ए-मोहब्बत की तरकीब बन गए।
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2 रुपये की किताब ने बदली जिंदगी
मनोज मुंतशिर को बचपन से ही लिखने का शौक था। 7 या 8 क्लास में थे तो दीवान-ए-ग़ालिब किताब पढ़ी लेकिन उर्दू नहीं आती थी, इसलिए उस किताब को समझना मुश्किल था। गाना लिखने के लिए उर्दू जानना जरूरी था। वह पंडित परिवार से थे और उर्दू सीखना मुश्किल था। फिर एक दिन मस्जिद के नीचे से 2 रुपए की उर्दू की किताब खरीदी, उसमें हिंदी के साथ उर्दू लिखी हुई थी। इस किताब से उन्होंने उर्दू की तालीम हासिल की।
ऐसे बदला नाम
मनोज मुंतशिर बताते हैं- 'साल 1997 में एक सर्द रात मैं अपने घर से चाय की तलाश में निकला और एक टपरी पर पहुंच गया। टपरी पर रेडियो बज रहा था और उस पर पहली बार एक शब्द सुना “मुंतशिर।” बस यह नाम मनोज को भा गया और चाय की आखरी चुसकी के साथ ही मनोज मुंतशिर नाम कर लिया। अब समस्या थी कि पिता जी को कैसे बताया जाए। इसके लिए एक तरकीब निकाली और घर की नेम प्लेट पर मनोज मुंतशिर लिखवा दिया। पिता जी को लगा कि कहीं मनोज ने धर्म परिवर्तन तो नहीं कर लिया। घर में मानो मातम छा गया था। जब उन्होंने ठान लिया कि उन्हें फिल्मों में गाने लिखना है तो उनके फैसले को खुद उनके पिताजी भी बदल न पाए।
अनूप जलोटा ने दिया मौका
1999 में अनूप जलोटा के लिए उन्होंने भजन लिखा था और पहली बार 3000 रुपये मिले थे। मुंबई में फुटपाथ पर कई रात बिताने वाले मनोज ने साल 2005 में कौन बनेगा करोड़पति के लिए लिरिक्स लिखे। वह बताते हैं कि स्टार टीवी के एक अधिकारी ने मेरा काम देखा था, एक दिन उन्होंने मुझे बुलाया और पूछा कि अमिताभ बच्चन से मिलोगे। वो मेरे संघर्ष के दिन थे, तो मुझे लगा कि मजाक हो रहा। फिर वो मुझे एक होटल ले गए, जहां मेरी मुलाकात अमिताभ बच्चन से हुई।
गाने लिखने की वजह से टूट गई शादी
आईफा, उत्तर प्रदेश गौरव, यश भारती सहित कई पुरस्कार एवं सम्मान अपने नाम कर चुके मनोज मुंतशिर बताते हैं कि कैसे उन्हें अपने करियर ऑप्शन की वजह से जिंदगी में काफी कुछ झेलना पडा। 13 मई 1997 को उनकी शादी होने वाली थी। कार्ड छप चुके थे लेकिन दो महीने की कोर्टशिप के बाद शादी टूट गई। शादी से कुछ दिन पहले लड़की का भाई मिलने आया और बोला कि जीजा आगे क्या करना चाहते हैं? कहां से इंजीनियरिंग करेंगे? तो मनोज ने कहा कि भाई मैं तो गीत लिखूंगा। इस पर लड़की के भाई ने कहा कि वो तो ठीक है आप गीत लिखते रहिएगा लेकिन करियर में क्या करेंगे? तो फिर मनोज मुंतशिर ने जवाब दिया कि भाई देख, मैं ताउम्र केवल गीत ही लिखूंगा। मनोज बताते हैं कि उसके बाद वो अपने घर गया और शादी टूटने की खबर आई।