- 31 जुलाई को दुनिया को अलविदा कह गए थे रफी
- बनाया 28 हजार गानों का महान रिकॉर्ड
- हार्ट अटैक से हुई थी मशहूर संगीतकार की मौत
नई दिल्ली: ये कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि मोहम्मद रफी जैसा गायक दोबारा शायद ही इस धरती पर जन्म ले। 28 हजार गानों का महान रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज करने वाला वो सादगी से भरा मखमली आवाज वाला फनकार, दुनिया को फिर कहां मिलेगा। गानों की तर्ज पर मूड को बदलना तो कोई रफी साहब से सीखे। सुरीली आवाज और सरल व्यवहार वाले मोहम्मद रफी का आखिरी गाना हर किसी को उनकी मौत की याद दिलाता है।
मौत से बस चंद घंटे पहले रिकॉर्ड किया जीवन का आखिरी गीत:
31 जुलाई साल 1980 में मोहम्मद रफी ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। अपनी आवाज के जरिए वो लोगों में आज भी जीवित हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके पसंदीदा इस महान गायक का आखिरी गाना कौन सा था और ये कब रिकॉर्ड हुआ था।
31 जुलाई 1980 का ही दिन था, जब रफी साहब ने आखिरी बार अपनी मखमली आवाज से स्टूडियो को गुंजायमान किया था। अपनी मृत्यु से बस चंद घंटे पहले ही वो उस गाने की रिकॉर्डिंग करके आये थे। फिल्म आसपास का गीत ‘शाम फिर क्यों उदास है दोस्त, तू कहीं आसपास है दोस्त’ ये रफी का आखिरी गीत था, जिसे उन्होंने अपनी आवाज में पिरोया था।
मरने से पहले अपराधी की आखिरी इच्छा थी रफी के गाने सुनना:
मोहम्मद रफी के बारे में एक बड़ा ही दिलचस्प किस्सा है। कहा जाता है कि एक बार एक अपराधी को फांसी पर लटकाया जा रहा था। उस वक्त उससे उसकी आखिरी इच्छा पूछी गई। अपराधी ने उस वक्त मोहम्मद रफी के गानों को सुनने की प्रबल इच्छा जाहिर की थी।
फांसी के तख्त पर लटकता वो अपराधी रफी साहब का फिल्म 'बैजू बावरा' का ‘ऐ दुनिया के रखवाले’ गाना सुनना चाहता था। इस गाने को गाने के लिए रफी साहब ने 15 दिनों तक रियाज किया था। इस गाने को गाते समय मोहम्मद रफी के गले से खून निकल आया था।
रफी की अंतिम यात्रा में रो पड़ी स्वयं मां सरस्वती:
31 जुलाई को जब मोहम्मद रफी का निधन हुआ तो उस दिन मुंबई में बहुत बारिश हो रही थी। तेज बरसात के बावजूद हजारों लोग अपने प्यारे गायक को अंतिम विदाई देने पहुंचे थे। मशहूर अभिनेता मनोज कुमार ने कहा था, ‘सुरों की मां सरस्वती भी अपने आंसू बहा रही हैं आज।’
मोहम्मद रफी जैसी शख्सियत कभी अलविदा नहीं कहती वो लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहते हैं। आज भी उनके गानों में उन्हें लोग याद करते हैं।