- अपने गांव बुढ़ाना में समय बिता रहे नवाजुद्दीन सिद्दीकी
- एक्टर ने घर से ही ज्यादातर काम करने की जताई इच्छा
- नवाज को भाई गांव की सुकून भरी जिंदगी, सब्जी-फसल उगाते हुए खेतों पर सो रहे सेक्रेड गेम्स एक्टर
मुंबई: नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक ऐसे एक्टर जिन्होंने बहुत संघर्ष के बाद सफलता हासिल की लेकिन भागदौड़ की इस जिंदगी में इतने लंबे समय इंतजार के बाद फिल्म इंडस्ट्री में पैर जमान के बाद भी उनके स्वभाव में असफलता और करियर डगमगाने का डर नजर नहीं आता। अभिनेता के लिए जितने मायने सफलता और फिल्मी इंडस्ट्री में आगे बढ़ने के हैं उतनी ही अहमियत वह सुकून और भीतर की शांति को देते हैं। लॉकडाउन के बाद शूटिंग और काम की रफ्तार धीमी होने के बाद अभिनेता अपने गांव बुढ़ाना आ गए थे और तब से यहां ज्यादातर समय बिता रहे हैं।
मनोरंजन पोर्टल स्पॉटबॉय से एक बातचीत में नवाजुद्दीन का कहना है कि उन्हें गांव की जिंदगी खूब रास आ रही है और वह अब यहीं अपना ज्यादा समय बिताना चाहते हैं। सेक्रेड गेम्स एक्टर का कहना है कि वह खेती करते हैं, खेतों पर ही सोते हैं और मां के करीब रहते हुए गांव की सुकून भरी जिंदगी पूरी तरह एन्जॉय कर रहे हैं।
नवाज ने गांव में रहने को लेकर पूछे एक सवाल के जवाब में कहा, 'यहां सब जगह बहुत सुकून है और कोरोना वायरस महामारी ने मुझे बहुत ही अच्छी चीज दे दी है, मैं शोर-शराबे और भाग-दौड़ से दूर आ गया हूं। मेरे गृहनगर में सब खुशहाल और शांति पसंद हैं और मैं आपको यहां की शांति की का अहसास और खुशी बयां भी नहीं कर सकता। मुंबई में काम ठप होने के बाद मैं घर आ गया था। पहले मैं आता था और कुछ वक्त मां के साथ बिताकर चला जाता था लेकिन इस बार ज्यादा समय बिताने का मौका मिला।'
घर से काम करने को लेकर बोले नवाज...
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने आगे काम को लेकर बात करते हुए कहा, ‘जबसे मुंबई में कोई काम नहीं हैं, मैं यहीं रुका हूं।देखते-देखते पूरा साल गुजर गया और मैं महसूस करता हूं कि घर पर मैं कितना खुश हूं। वर्क फ्रॉम होम अब आम बात हो गई है और शूटिंग नहीं होने के समय मैं यहां से कुछ भी कर सकता हूं- स्टोरी सेशन, नरैशन और डबिंग भी घर से की जा सकती है।'
खेतों पर सोने का आनंद:
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने घर और गांव को लेकर पूछे एक सवाल के जवाब में कहा, ‘पेशे से तो मैं एक एक्टर हूं, लेकिन दिल से मैं एक किसान ही हूं और जमीन के करीब रहना मुझे बहुत पसंद भी है। जब मैं जमीन पर काम करता हूं, तो गहरी खुशी होती है। जब मैं बुढ़ाना (नवाज का गांव) में होता हूं, तो मैं खेत में ही सोता हूं और जब भी खेती करता हूं तो खुशी का अहसास होता है।’