- पानीपत के तीसरे युद्ध पर आधारित फिल्म पानीपत का ट्रेलर रिलीज हो गया है
- पानीपत में अर्जुन कपूर मराठा सेनापति सदाशिव भाऊ का किरदार निभा रहे हैं।
- सदाशिव भाऊ की एक छोटी सी गलती के कारण मराठाओं को इस युद्ध में हार का सामना करना पड़ा था।
मुंबई. संजय दत्त, अर्जुन कपूर और कृति सेनन स्टारर फिल्म पानीपत का ट्रेलर रिलीज हो गया है। आशुतोष गोवारिकर की ये फिल्म 1761 ई. में हुई पानीपत की तीसरी लड़ाई पर आधारित है। इस लड़ाई में अफगानिस्तानी के दुर्रानी वंश के राजा अहमद शाह अबदाली ने मराठाओं को हरा दिया था।
पानीपत में संजय दत्त अहमद शाह अबदाली के किरदार में नजर आएंगे। वहीं, अर्जुन कपूर मराठा सेनापति सदाशिव भाऊ का किरदार निभा रहे हैं। सदाशिव भाऊ की एक छोटी सी गलती के कारण मराठाओं को इस युद्ध में हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, सदाशिव भाऊ आखिरी दम तक लड़ते रहे।
सदाशिव भाऊ का जन्म साल 4 अगस्त 1730 में हुआ था। वह पेशवा बालाजी बाजीराव के चचेरे भाई थे। 18वीं सदी मेंमुगल शासन अपने ढलान पर था। वहीं, अपनी साम्राज्य की हिफजत के लिए मराठाओं पर निर्भर था। ऐसे में अफगान राजा अहमद शाह अबदाली ने दिल्ली पर आक्रमण कर दिया। इन्हें रोकने की जिम्मेदारी मराठाओं पर थी।
बचपन में हो गई थीं मां की मौत
सदाशिव भाऊ पेशवा बाजी राव के भाई चिमाजी अप्पा के पुत्र थे। सदाशिव जब एक माह के थे तो उनकी मां रखमाबाई का निधन हो गया था। वहीं, दस की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया था। सदाशिव ने उदगीर के युद्ध में हैदराबाद के निजाम सलावतजंग को हराया था। इसके बाद उनका कद काफी बड़ गया था।
सदाशिव भाऊ को इसके बाद पंजाब के पानीपत में अहमद शाह अबदाली से लड़ने के लिए भेजा था। पानीपत के युद्ध में बालाजी बाजीराव पेशवा के बेटे विश्वासराव भी शामिल हुए थे।शुरुआत में संख्याबल में कम मराठाओं की सेना अबदाली की सेना पर भारी पड़ रही थी। हालांकि, विश्वासराव को गोली लगने के बाद सदाशिव से बड़ी चूक हो गई।
इस गलती ने हरा दिया युद्ध
विश्वासराव को गोली लगने के बाद सदाशिव भाऊ को गिरते देख सदाशिव अपने हाथी से उतरे। वह बिना सोचे-समझे घोड़े पर सवार होकर दुश्मनों के बीच घुस गए। इस दौरान जब मराठा सैनिकों के उनके हाथी का हौदा खाली देखा तो उन्हें लगा कि उनकी मृत्यु हो गई है। ऐसे में पूरी सेना में दहशत फैल गई।
मराठा सेना में इसके बाद अफरा-तफरी मच गई। अफगान सेना ने इसका तुरंत फायदा उठाया और बेरहमी से मराठा सेना का कत्लेआम करते रहे। दूसरी तरफ सदाशिव भाऊ आखिरी सांस तक लड़ते रहे। तीन दिन बाद उनका बिना सिर वाला धड़ लाशों के ढेर से बरामद हुआ। उनका सिर एक अफ़गान सैनिक ने छुपा दिया जो बाद में मिला।