- मशहूर गीतकार संतोष आनंद का आज जन्मदिन है
- संतोष आनंद ने 30 से ज्यादा फिल्मों में 109 के करीब गाने लिखे हैं
Santosh Anand Birthday: हिंदी सिनेमा के महान गीतकारों की बात होती है तो संतोष आनंद का जिक्र सूची में शीर्ष पर होता है। वही संतोष आनंद जिनकी कलम ने हिंदी सिनेमा के लिए लिखना शुरू किया था तो पहला गाना निकला 'पुरवा सुहानी आई रे....'! 1970 में आई मनोज कुमार, सायरा बानो और अशोक कुमार की फिल्म पूरब और पश्चिम का यह गाना हमेशा हमेशा के लिए फैंस की जुबां पर स्थापित हो गया। इसके बाद उनकी कलम ने वो गाना लिखा जिसे सॉन्ग ऑफ मिलेनियम कहा गया। 1972 में आई मनोज कुमार, जया बच्चन और प्रेम नाथ की फिल्म शोर का गाना 'एक प्यार का नगमा है, मौजों की रवानी है, जिंदगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है।'
प्रेमिका के लिए लिखा था गाना
एक हजार साल का सर्वश्रेष्ठ गीत 'एक प्यार का नगमा है...' लिखने वाले संतोष आनंद का आज यानि 5 मार्च को जन्मदिन है। इस गीत को लता मंगेशकर ने आवाज दी थी और यह ऐसा छाया कि अमर हो गया। आज भी यह गाना उसी शिद्दत से पसंद किया जाता है। इस गीत के लिए उन्हें दो बार फिल्मफेयर और यश भारती अवॉर्ड से नवाजा गया। वो कहते हैं कि हर हसीन घटना के पीछे कोई कहानी होती है। यह गीत संतोष आनंद ने दिल की उस गहराई से रचा था, जहां केवल उनकी प्रेमिका की जगह रही होगी। यह बात खुद संतोष आनंद कह चुके हैं कि उन्होंने यह गीत अपनी प्रेमिका के लिए लिखा था।
नाम आनंद पर झेला दर्द
लता मंगेशकर, महेंद्र कपूर, मोहम्मद अजीज, कुमार शानू और कविता कृष्णमूर्ति जैसे प्लेबैक सिंगर्स ने उनके गीतों को आवाज दी। गीतकार संतोष आनंद के साथ कुदरत ने हमेशा मजाक किया। उनकी जिंदगी में आनंद से ज्यादा दर्द रहा। जवानी में एक टांग टूट गई तो वह एक टांग के सहारे चलते रहे और कलम को सहारा बनाकर गीत लिखते रहे। जिस बेटे की चाहत में 10 साल तक कोई मंदिर, कोई दरगाह नहीं छोड़ी, वो भी साथ छोड़ गया। सात साल पहले उनके बेटे और बहू के सुसाइड कर लिया था। उनके बेटे संकल्प आनंद 15 अक्टूबर 2014 को अपनी पत्नी के साथ ही दिल्ली से मथुरा पहुंचे थे। कोसीकलां कस्बे के पास रेलवे ट्रैक पर इंटरसिटी एक्सप्रेस के सामने कूदकर दोनों ने जान दे दी थी। इस हादसे में संकल्प की बेटी बच गई थी।
इंडियन आइडल के मंच पर पहुंचकर संतोष आनंद भावुक हो जाते हैं क्योंकि एक हजार साल का सर्वश्रेष्ठ गीत यानि सॉन्ग ऑफ मिलेनियम जिस गीतकार की कलम से निकला, वह आर्थिक रूप से कमजोर हो गया है। रानू मंडल जैसे लोग जिसके गाने गाकर ख्याति पा जाते हैं और उसकी गीतकार ये दुनिया भुला देती है, ये दर्द उनकी आंखों में साफ नजर आता है।
लाइब्रेरियन से बने गीतकार
गीतकार संतोष आनंद का पूरा नाम संतोष कुमार मिश्र है। संतोष आनंद ने प्राइमरी स्कूल से पढ़ाई और फिर हायर एजुकेशन के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी गए। यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली के मिंटो ब्रिज स्थित स्कूल में लाइब्रेरियन के तौर पर काम शुरू कर दिया। कविताएं लिखने का शौक था। चांदनी चौक के रहने वाले फिल्मकार और एक्टर मनोज कुमार अक्सर दिल्ली आया करते थे। उन्होंने एक बार संतोष आनंद को सुना तो अपनी फिल्म ‘पूरब और पश्चिम’ के लिए गाना लिखने का मौका दे दिया। मनोज कुमार की फिल्मों जैसे शोर, क्रांति, पूरब पश्चिमी और रोटी कपड़ा फिल्म में लिखे गीत काफी मशहूर हुए।
इन गीतों ने दिलाई लोकप्रियता
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के सिकंद्राबाद में पैदा हुए संतोष आनंद ने 30 से ज्यादा फिल्मों में 109 के करीब गाने लिखे हैं। उनके लोकप्रिय गीतों में फ़िल्म: प्यासा सावन (1981) का मेघा रे मेघा रे, मत परदेस जा रे, फ़िल्म क्रांति (1981) का ज़िन्दगी की ना टूटे लड़ी, फ़िल्म प्रेम रोग (1982) का ये गलियाँ ये चौबारा, यहाँ आना न दोबारा शामिल हैं। संतोष आनंद ने 1995 के बाद से ही फिल्मों में गाना लिखना बंद कर दिया था।