- बॉलीवुड अभिनेत्री श्रेया नारायण हाल में एक शॉर्ट फिल्म में काम करने दिल्ली आई थीं।
- श्रेया नारायण को यारा और रॉक स्टार जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है।
Shreya Narayan interview: साहब बीवी और गैंगस्टर, सुपर नानी, सम्राट एंड कंपनी, यारा और रॉक स्टार जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखा चुकीं बॉलीवुड अभिनेत्री श्रेया नारायण हाल में एक शॉर्ट फिल्म में काम करने दिल्ली आई थीं। क्या थी ये फिल्म और क्या शॉर्ट फिल्म्स का बाजार अब इतना बड़ा हो चुका है कि बॉलीवुड के बड़े कलाकार भी इन्हें करने से हिचक नहीं रहे? ऐसे तमाम सवालों को लेकर नैना यादव ने श्रेया से बात की।
सवाल- श्रेयाजी, आपका दिल्ली किस प्रोजेक्ट के सिलसिले में आना हुआ।
जवाब- मैं यहां कुछ दिन शॉर्ट फिल्म ‘पार्ट टाइम जॉब’ की शूटिंग कर रही थी। दिल्ली-एनसीआर के अलग अलग लोकेशन पर इसका शूट था, जो लगभग चार-पांच दिन चला।
सवाल- ‘पार्ट टाइम जॉब’ के विषय में बताइए।
जवाब- पार्ट टाइम जॉब एक ऐसी फिल्म है, जो आपको चौंकाएगी, रुलाएगी और सोचने को मजबूर करेगी। ये एक मध्यवर्गीय परिवार की कहानी है, जहां माता-पिता अच्छी तरह से घर चलाने और अपने इकलौते बेटे को अच्छी परवरिश देने के इरादे से पार्ट टाइम जॉब करते हैं ताकि अधिक आय हो सके लेकिन इस पार्ट टाइम जॉब की वजह से बेटा ही उपेक्षित होने लगता है। लेकिन, इस उपेक्षा के भाव में एक छोटा बच्चा किस राह पर निकलता है, ये दर्शकों को चौंकाएगा।
सवाल- इन दिनों कई बड़े कलाकार शॉर्ट फिल्म कर रहे हैं। क्या ये अब फीचर फिल्म का विकल्प बन रही हैं।
जवाब- कतई नहीं। फीचर फिल्म का विकल्प शॉर्ट फिल्म्स नहीं हो सकतीं। लेकिन, इसमें कोई शक नहीं कि शॉर्ट फिल्म्स का अपना बाजार है, जो बढ़ रहा है। आजकल लोग मेट्रो में, लोकल ट्रेन्स में और यहां तक कि कार की पिछली सीट पर बैठे बैठे शॉर्ट फिल्म्स देख रहे हैं, जो अमूमन 20-25 लंबी होती हैं। शॉर्ट फिल्म के कई बड़े प्लेटफॉर्म आए हैं, जहां अच्छी शॉर्ट फिल्म्स उपलब्ध हैं। डिज्नी हॉटस्टार से लेकर फ्लिपकार्ट, अमेजन और लार्ज शॉर्ट फिल्म्स जैसे कई बड़े प्लेटफार्म हैं, जहां शॉर्ट फिल्म दिख रही हैं।
सवाल- लेकिन, बड़े कलाकारों की इसमें दिलचस्पी क्यों है।
जवाब- कई वजह हैं। पहली वजह ये कि शॉर्ट फिल्म्स शूट करने में ज्यादा वक्त नहीं लगता, जबकि फीचर फिल्म का शूट तीस चालीस दिन से कम नहीं होता। इसका मतलब ये कि कलाकार कितना भी व्यस्त हो, साल में एक-दो शॉर्ट फिल्म कर सकता है। शॉर्ट फिल्म्स के विषय कई बार चौंकाते हैं, तो कलाकारों के पास खुद को एक्सप्लोर करने का मौका होता है। कई बड़े एक्टर-एक्ट्रेस शॉर्ट फिल्म के बहाने नए निर्देशकों को समझते परखते हैं। इसके अलावा, बड़े प्लेटफार्म पर शॉर्ट फिल्म के रिलीज होने से इनकी रीच बढ़ी है। आजकल तो फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में शॉर्ट फिल्म के लिए अलग कैटेगरी है यानी आपकी मेहनत को पहचान भी मिलती है। और शायद यही वजह है कि मनोज बाजपेयी, पीयूष मिश्रा, अनुराग कश्यप, गजराज राव जैसे तमाम कलाकार आपको लघु फिल्म करते दिख जाएंगे।
सवाल- तो क्या आप शॉर्ट फिल्म ही कर रही हैं।
जवाब- (हंसते हुए )। नहीं। ऐसा बिलकुल नहीं है। एक वेबसीरिज व्हाइट गोल्ड रिलीज होने वाली है। दो फिल्में तैयार हैं। सभी मीडियम, चाहे फिल्म हो, वेबसीरिज या शॉर्ट, सबमें काम करने की कोशिश है। कोविड के बाद हालात अब सुधर रहे हैं और अब काम के अवसर भी बढ़ रहे हैं।
सवाल- आपने कोविड की बात की। क्या आप मानती हैं कि कोविड की वजह से ओटीटी प्लेटफार्म को लोकप्रियता मिली और इसकी वजह से अब लोग थिएटर में फिल्म देखने से हिचक रहे हैं।
जवाब- आपकी बात कुछ हद तक सही है। लेकिन, सच ये है कि कंटेंट इज तक किंग और अगर कंटेंट में दम है तो लोग फिल्म देखेंगे ही। प्लेटफार्म कोई हो। और दर्शक अगर थिएटर में फिल्म नहीं देख रहे होते तो केजीएफ, आरआरआर और भुल भुलैया जैसी फिल्में सुपरहिट नहीं होती। ये जरुर है कि ओटीटी ने दर्शकों को विकल्प ज्यादा दे दिए हैं तो वो सिर्फ उन्हीं फिल्मों को थिएटर में देखेंगे, जिसमें उन्हें लगता कि उस फिल्म को थिएटर में देखने में ज्यादा मजा आएगा।