- 13 अगस्त, 1936 को हुआ था वैजयंती माला का जन्म
- हिंदी में उनके करियर की शुरुआत 1951 में आई फिल्म 'बहार' से हुई
- वह पहली ऐसी दक्षिण की हिरोइन थीं जिन्हें अपने डायलॉग डब नहीं करने पड़े
Vyjayanthimala Birthday: वैजयंती माला को देखकर ऐसा लगता था जैसे वाकई बदन पे सितारे लपेटे हुए, होठों में ऐसी बात दबाके वो जवां दिलों पर कहर बरपाने जा रही हैं। जो उन्हें देखता वो कहता- उड़ें जब जब जुल्फें तेरी...। हिंदी सिनेमा की सफलतम अभिनेत्रियों की बात आती है तो वैजयंती माला का नाम जरूर आता है। वह सिनेमा जगत की सबसे खूबसूरत अदाकारा भी कही जाती रहीं और उन्हें 'ट्विंकल टोज' के नाम से भी जाना जाता है। 13 अगस्त, 1936, मद्रास में पैदा हुईं वैजयंती माला पहली ऐसी दक्षिण भारतीय अभिनेत्री हैं जिन्होंने हिंदी सिनेमा में ऊंचाइयों को छुआ और सुपरस्टार का दर्जा पाया। वह जितनी शानदार अदाकारी करती थीं, उससे कहीं ज्यादा अद्भुत उनका डांस था। वह शास्त्रीय नृत्य कला में पारंगत हैं। फिल्मों में नायिकाओं के डांस को अहम बनाने में वैजयंती माला का ही योगदान है। वह भरतनाट्यम की डांसर, कर्नाटक शैली की सिंगर और डांस टीचर भी रही हैं। वैजयंती माला ने गुरु वझूवूर रमिआह पिल्लै से भरतनाट्यम सीखा था।
वह दक्षिण सिनेमा से हिन्दी सिनेमा में सबसे पहले सफल होने वाली अभिनेत्री हैं। वैजयंती माला सर्वगुण संपन्न अदाकारा हैं। अपने अभिनय और कला के दम पर वैजयंती माला ने ऐसे मानक स्थापित किए जिस पर चलकर आज की नायिकाएं खुद को सफल बनाने की कोशिश करती हैं। वैजयंती माला ने छोटी उम्र में ही परफॉर्म करना शुरू कर दिया। वैजयंती माला ने 13 साल की उम्र में ही डेब्यू कर लिया था। 1949 में आई तमिल फिल्म 'वड़कई' में वह सबसे पहले नजर आईं। हिंदी में उनके करियर की शुरुआत 1951 में आई फिल्म 'बहार' से हुई। उनके पिता का नाम एम.डी. रमन और मां का नाम वसुंधरा देवी था। उनकी मां 1940 के दशक की फेमस तमिल एक्ट्रेस थीं।
डॉक्टर को दे बैठीं दिल
वैजयंती माला इतनी खूबसूरत थीं कि हर कोई उनको अपना बनाना चाहता था लेकिन उनका दिन एक डॉक्टर पर आ गया। वैजयंती को एक बार निमोनिया हो गया था। उनका इलाज डॉ. चमनलाल बाली कर रहे थे। बाली उनके प्रशंसक थे। इलाज करते-करते दोनों में प्यार हो गया। 10 मार्च 1968 को दोनों ने शादी कर ली। वैजयंती माला ने दिलीप कुमार के साथ ‘मधुमती’, ‘नया दौर’, ‘पैग़ाम’, ‘लीडर’ और ‘संघर्ष’ जैसी हिट फिल्में कीं। दिलीप कुमार के साथ उनकी जोड़ी काफ़ी लोकप्रिय रही। एक समय दोनों के अफेयर की खूब चर्चा थी। जब राज कपूर की पत्नी ने उनके रिश्ते पर उंगली उठाई तो राज कपूर ने वादा किया कि वह वैजयंती के साथ काम नहीं करेंगे। 'संगम' के बाद वैजयंती माला और राज कपूर की लोकप्रिय जोड़ी टूट गई।
वैजयंती माला की सदाबहार फिल्में
वैजयंती माला पहली ऐसी दक्षिण की हिरोइन थीं जिन्हें अपने डायलॉग डब नहीं करने पड़े। उन्होंने हिन्दी में डायलॉग बोलने के लिए हिन्दी भी सीखी थी। उन्होंने 1957 में आई फिल्म 'देवदास' में चंद्रमुखी का किरदार निभाया था जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। 1959 में फिल्म 'मधुमती', 1962 में 'गंगा जमुना' और 1965 में 'संगम' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया। 1996 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया। वैजयंती माला ने ‘संगम’, ‘साधना’, ‘सूरज’, ‘प्रिंस’, ‘मधुमती’, ‘गंगा जमुना’, ‘आम्रपाली’ जैसी हिट फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया।