- राजेश खन्ना की फिल्म आनंद के लिए थे गीत
- संगीत में योगदान के लिए मिला था दादासाहब फाल्के पुरस्कार
- 19 मार्च 1973 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था जन्म
Lyricist Yogesh Gaur dies: 'जिंदगी कैसी है पहेली हाय', कहीं दूर जब दिन ढल जाए जैसे सदाबहार नगमों से हिंदी सिनेमा को सजाने वाले गीतकार योगेश गौर नहीं रहे। 77 साल की उम्र में शुक्रवार को उनका निधन हो गया। गीतकार योगेश ने 60-70 के दौर में कई बेहतरीन गीत हिंदी सिनेमा को दिए। इनमें 'आनंद' फिल्म के गीत शामिल हैं।
19 मार्च 1973 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मे योगेश गौर ने फिल्मी करियर की शुरुआत निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी के साथ की थी। फिल्म 'आनंद' के अलावा उन्होंने 'मिली', 'आजा मेरी जान', 'मंजिलें और भी हैं', 'बातों-बातों में', 'रजनीगंधा', 'मंजिल' और 'बेवफा सनम' जैसी फिल्मों के गाने लिखे।
मिला था दादा साहेब फाल्के पुरस्कार
सैकड़ों फिल्मों में हजारों गीत लिख चुके योगेश गौर को संगीत के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए दादासाहब फाल्के पुरस्कार के अलावा यश भारती पुरस्कार भी मिला था। योगेश को अपना पहला ब्रेक गीतकार के रूप में फिल्म सखी रॉबिन (1962) से मिला, जिसमें उन्होंने छह गीत लिखे।
लता मंगेशकर ने दी श्रद्धांजलि
मशहूर गीतकार योगेश गौर (Yogesh Gaur) के निधन पर गायिका लता मंगेशकर ने सोशल मीडिया पर ट्वीट लिखकर शोक जताया है। लता मंगेशकर ने लिखा- झे अभी पता चला कि दिल को छूने वाले गीत लिखने वाले कवि योगेश जी का आज स्वर्गवास हुआ। ये सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ। योगेश जी के लिखे कई गीत मैंने गाए। योगेश जी बहुत शांत और मधुर स्वभाव के इंसान थे। मैं उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पण करती हूं।'
सोशल मीडिया पर भावुक हुए फैंस
योगेश गौर ने अपनी जादुई कलम से हिंदी सिनेमा को और समृद्ध बनाया। एक दौर था जब उनके गाने हर युवा की जुबां पर होते थे। उनके निधन से सोशल मीडिया पर फैंस में शोक की लहर है। फैंस भावुक मन से उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं।