- 'शेरशाह' से पहले भी बॉलीवुड फिल्म में दिख चुकी है कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी
- सिद्धार्थ मल्होत्रा एक बार फिर फिल्मी पर्दे पर ला रहे कारगिल युद्ध के हीरो की कहानी
- इससे पहले अभिषेक बच्चन भी निभा चुके हैं इस दिलेर सैनिक का किरदार
Shershah Film- The Story of Captain Vikram Batra: शेरशाह (Shershah)- ये कारगिल युद्ध (Kargil War) के समय से ही एक मशहूर नाम है जिसके चर्चे 1999 के उस भारत-पाक संघर्ष में ना सिर्फ भारतीय सेना के बीच थे बल्कि एलओसी पर भारतीय इलाके की चोटियों पर बैठे पाकिस्तानी भी अच्छी तरह इससे वाकिफ थे। हो भी क्यों ना, ये उस हीरो का नाम था जो घुसपैठियों के नापाक मंसूबों के रास्ते में बड़ी रुकावट बनकर खड़ा हो गया। गुरुवार को सिद्धार्थ मल्होत्रा की फिल्म शेरशाह का टीजर वीडियो रिलीज हुआ है (Sidharth Malhotra Shershah film Teaser VIDEO)। यह फिल्म भारतीय सेना के दिलेर शहीद अफसर कैप्टन विक्रम बत्रा (Captain Vikram Batra) की कहानी पर आधारित है।
शेरशाह फिल्म के टीजर के साथ इसकी रिलीज डेट भी सामने आ चुकी है जोकि 12 अगस्त है (Shershah Film Release Date), मतलब इस 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बॉलीवुड फिल्म में शहीद विक्रम बत्रा की कहानी लोगों के सामने होगी। आइए आपको कैप्टन विक्रम बत्रा के बारे में कुछ बातें बताते हैं जोकि उनकी दिलेरी का अहसास आपको कराएगी। (Who is Captain Vikram Batra)
जब पाकिस्तानी सेना के घुसपैठियों ने कारगिल की चोटियों पर कब्जा किया तो 24 साल के युवा अफसर कैप्टन विक्रम बत्रा भी भारतीय सेना के ऑपरेशन 'विजय' के तहत लड़ाई का हिस्सा बने और उन्हें कोडनेस दिया गया- 'शेरशाह', इस शब्द का मतलब होता है 'शेरों का राजा।'
'पाक घुसपैठियों को माधुरी दीक्षित... प्यार के साथ...'
कैप्टन विक्रम बत्रा से जुड़े कई किस्से हैं। युद्ध के दौरान एक बार एक पाकिस्तानी विक्रम बत्रा की ओर लड़ाई के दौरान चिल्लाया। हमें माधुरी दीक्षित दे दो। हम तुम्हारे प्रति नरमदिल हो जाएंगे। इस बात पर कैप्टन बत्रा ने अपनी एके-47 की गोलियों से जवाब देते हुए कहा- 'ये लो माधुरी दीक्षित के प्यार के साथ।' घुसपैठिया सैनिक मौके पर ही ढेर हो गया।
'तिरंगे से लिपटा ही सही लेकिन आऊंगा जरूर...'
विक्रम बत्रा ने कारगिल युद्ध में जाने से पहले कहा था, 'या तो मैं लहराते तिरंगे के पीछे आऊंगा, या फिर तिरंगे में लिपटा हुआ आऊंगा... लेकिन मैं आऊंगा जरूर।'
'ये दिल मांगे मोर...'
19 जून और साल 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा की अगुवाई में भारत की सैन्य टुकड़ी पाकिस्तानी घुसपैठियों को कारगिल की चोटी पॉइंट 5140 से खदेड़ने में सफल रही। यह कारगिल के बेहद ऊंचे पॉइंट पर बेहद अहम जीत थी। जिसे विक्रम बत्रा की टीम ने सीधी चढ़ाई में ऊपर छिपे बैठे घुसपैठिए सैनिकों की गोलियों का सामना करते हुए हासिल किया था। लेकिन कैप्टन बत्रा यहीं नहीं रुकना चाहते थे।
उनका अगला लक्ष्य था पॉइंट 4875 जोकि समुद्र तल से 17 हजार फीट ऊपर है। कैप्टन बत्रा अपनी हर जीत के बाद कोड में कहते थे 'ये दिल मांगे मोर...' और एक के बाद दूसरी जीत के लिए उनका जुनून भी यही कहता है कि 'ये दिल और चाहता है...' यह डायलॉग बाद में अभिषेक बच्चन की ओर से एलओसी फिल्म में बोले जाने के दौरान काफी मशहूर हुआ था।
LOC फिल्म में अभिषेक बच्चन ने निभाया था रोल:
सिद्धार्थ मल्होत्रा की शेरशाह फिल्म से पहले कारगिल युद्ध पर बनी फिल्म एलओसी में बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन फिल्मी पर्दे पर विक्रम बत्रा की बहादुरी को दर्शा चुके हैं। उन्होंने साल 2003 में जेपी दत्ता की फिल्म 'LOC कारगिल' में कैप्टन विक्रम बत्रा का किरदार निभाया था और इसके लिए उनकी काफी प्रशंसा भी हुई थी। लोगों को फिल्म देखकर पहली बार ऐसा लगा मानो विक्रम बत्रा की दिलेरी को वह सीधे अपनी आंखों से हकीकत में देख रहे हैं।
कैप्टन बत्रा 7 जुलाई 1999 को युद्ध में शहीद हुए और उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। 7 जुलाई 199 को एक अफसर की जान बचाते हुए भारतीय सेना के बहादुर सिपाही ने अपनी जान कुर्बान कर दी थी। खुद चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ वेद प्रकाश मलिक ने एक बार कहा था कि यदि कैप्टन विक्रम बत्रा जिंदा वापसी करते तो वह इंडियन आर्मी के हेड बन गए होते।