टाइम्स नाउ समिट 2020 के दूसरे और अंतिम दिन लेखक और गीतकार प्रसून जोशी पहुंचे और कई मुद्दों पर उन्होंने बात की। इस दौरान उनसे पूछा गया कि ऐसा क्या किया जाए एक ऐसा हिंदुस्तान बने जो हम सबको जोड़ता है? इस पर प्रसून ने कहा कि हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं वहां बहुत सारा एक्सप्रेशन एक साथ है। आज हर किसी के आवाज है और उनके पास बात रखने के लिए मंच है। आज हम ऐसे समय में जी रहे हैं जहां बहुत सारी आवाजें एक साथ सुनाई देती हैं जिसमें कई लोग समझ नहीं पाते कि उन्हें किस आवाज पर फोकस रखना चाहिए।
प्रसून से उन्हीं के अंदाज में सवाल किया गया कि हमने उधड़ी हुईं चीजें सीना बंद कर दिया है, हमने जजबात का अहसास बंद कर दिया है, हमने किसी के सच को समझने की कोशिश कम कर दी है। कौन सी ऐसी मर्ज है जो इस वक्त इस समाज को लगी है। इस पर प्रसून ने कहा कि नेगेटिव को ज्यादा करेंसी मिलती है। पॉजिटिव चीजें बहुत बोरिंग लगती हैं। आज जरूरी है कि हमें भय नहीं विश्वास चाहिए। आंदोलन होने चाहिएं लेकिन सिर्फ हंगामे नहीं होने चाहिए बल्कि इससे बदलाव होने चाहिए। और यह केवल इंसानो से ही आ सकता है।
प्रसून जोशी बदलते समय के बारे में पूछा गया कि अब सोशल मीडिया और वॉट्सऐप पर प्यार, रोमांस और ब्रेकअप हो जाता है लेकिन पुराने समय में ऐसा नहीं होता था। क्या अब जिंदगी की इन छोटी खुशियों को हमने खो दिया है? इसके जवाब में उन्होंने 'सीखो ना नैनों की भाषा पिया' गाना गाया। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि ढोल में बांसुरी कहीं खो ना जाए। अपने जवाब को समझाते हुए उन्होंने कहा, 'मैं आपको समझने की कोशिश ही क्यों करूंगा जब आप खुद को मुझे समझाने पर उतारू हैं? आपको मुझपर विश्वास करना होगा कि मैं जो आपकी आंखों में झांक रहा हूं या आपके हाव भावों को पढ़ रहा हूं तो मैं आपमें इंटरेस्टेड हूं।'
प्रसून जोशी से उनके किसी ऐसे बेहतरीन गीत सुनाने को कहा गया जिसे सुनकर हर किसी को फिर से सुनने का मन होता रहा। इस पर प्रसून ने निर्भया पर लिखे अपने गाने 'बाबुल जिया मोरा घबराए' को सुनाया जिसमें एक बच्ची अपने पिता को अपनी परेशानी बताती है।
निर्भया केस पर ये बोले प्रसून जोशी
निर्भया को अब तक नहीं मिले इंसाफ पर उनसे बात की गई, पूछा गया कि निर्भया को अब तक इंसाफ नहीं मिला है। इसपर प्रसून ने कहा कि समाज बदल रहा है और लोगों का मन बदला है और जिस तरह से हम समाज में अपनी बेटियों के साथ रहे हैं, फिर वो चाहे कविता में हो, फिल्मों में हो या सरकार की योजनाओं में हो कहीं ना कहीं तो दिखता है। इसपर उन्होंने अपनी कविता, 'शर्म आ रही है ना' सुनाई, जिसे सुनकर हर कोई भावुक हो गया।