- पंकज त्रिपाठी कई लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं
- दर्शकों ने उनको तमाम किरदारों में पसंद किया है
- मिर्जापुर करने के बाद उनका करियर चमका है
कर्मठ और बेहतरीन कलाकार पंकज त्रिपाठी को हम आज 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' और 'मिर्जापुर' में उनके काम की वजह से जानते हैं। वैसे तो बॉलीवुड की उनकी कई फिल्में बहुत पॉपुलर रही हैं लेकिन 'मिर्जापुर' में कालीन भैया के किरदार ने पंकज त्रिपाठी को उनकी सही पहचान दिलाई है। पंकज अब मिर्जापुर वेब सीरीज के दूसरे सीजन में नजर आए हैं।
ऑडिशन के लिए घंटों किया इंतजार
पंकज त्रिपाठी एक ऐसे कलाकार हैं जो करोड़ों लोगों के लिए इंस्पिरेशन हैं। आज वह जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, वह सब उनके दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत का परिणाम है। एक इंटरव्यू के दौरान बहुत ही भावुकता के साथ पंकज त्रिपाठी ने बताया था कि उनके करियर में कितना बदलाव आया है। वह अपने स्ट्रगल के दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि उन्हें पहले ऑडिशन देने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता था और अपनी पहचान एक्टर बताते हुए लोगों से काम के लिए पूछना पड़ता था।
तमाम किरदारों में फूंकी जान
पंकज त्रिपाठी अपने टैलेंट के बल पर करोड़ों लोगों के दिलों में छा रहे हैं। इस अभिनेता ने अपनी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखा है और अब जाकर उन्हें बॉलिवुड फिल्मों में मीनिंगफुल रोल्स मिल रहे हैं। बड़े पर्दे पर 'स्त्री', 'न्यूटन' और 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' जैसी फिल्में उनके जिंदगी की कुछ शानदार फिल्में हैं जिनमें पंकज त्रिपाठी के रोल को काफी सराहा गया था।
कालीन भैया ने बदल दी किस्मत
'मिर्जापुर 2'में पंकज त्रिपाठी ने 'कालीन भैया' के किरदार को निभाया है। अपने काम को लेकर पंकज त्रिपाठी बताते हैं कि बीते कुछ साल में मेरी जिंदगी बहुत चेंज हुई है। पहले मुझे काम ढूंढना पड़ता था, अब वह मुझे ढूंढ रहा है। अपने पुराने दिनों को याद करते हुए पंकज ने बताया - मैं ऑडिशन देने के लिए ऑफिस-ऑफिस भटकता था। मुझे ऑफिसों के बाहर घंटों तक इंतजार करना पड़ता था और मैं कहता था कि मैं एक कलाकार हूं, मुझे काम दो। लेकिन अब जिन फिल्मों की शूटिंग 2021 के सेकंड हाफ में शुरू होनी है, उनकी स्क्रिप्ट मुझे पहले ही मिल चुकी है।
कैसे ढूंढा करते थे काम
आपने पुराने दिनों को याद करते हुए पंकज त्रिपाठी बताते हैं कि उस समय काम ढूंढना कितना मुश्किल होता था। उससे भी ज्यादा मुश्किल होता था यह पता लगाना की काम कहां चल रहा है। वह बताते हैं कि कभी-कभी काम ढूंढते समय ऐसा भी हुआ था जब वह किसी जगह पहुंचे हों और उन्हें जाकर पता चला हो की शूटिंग हो गई है और अब उनके हाथ से मौका निकल गया है। वह बताते हैं कि ऐसा इसलिए होता था क्योंकि उस समय कोई सोशल मीडिया नहीं था और उस समय कास्टिंग डायरेक्टर जैसा कोई कंसेप्ट नहीं होता था।
कैसे करते हैं किसी रोल के लिए इनकार
जब उनसे पूछा गया कि आज किसी फिल्ममेकर को मना करना या उनके ईगो को आहत करना कितना मुश्किल है? पंकज त्रिपाठी कहते हैं कि किसी फिल्म को रिजेक्ट करना उतना मुश्किल नहीं है। बस सामने वाले को मना करने का तरीका पता होना चाहिए। वह यह भी कहते हैं कि अगर वह किसी फिल्म के लिए मना करते हैं तो वह इसके कारण को भी बताते हैं।