- अमजद खान की मुसीबत में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे थे चेतन आनंद।
- अमजद खान का फिल्मी दुनिया से था पुराना नाता।
- आज भी अभिनेता अपनी एक्टिंग और डायलॉग लोगों के दिलों में हैं जिंदा ।
Sholay Throwback: यहां से पचास कोस दूर गांव में जब बच्चा रोता है तो मां कहती है कि बेटा सो जा नहीं तो गब्बर आ जाएगा, शोले फिल्म का ये डायलॉग आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर रिलीज होते ही गदर मचा दिया था। आज भी सोशल मीडिया पर फिल्म की क्लिप दिखने पर उंगलियां थम जाती हैं। फिल्म में गब्बर के किरदार में बेरहमी दिखाने में अमजद खान ने कोई कसर नहीं छोड़ा था। लेकिन आप शायद ही जानते होंगे की अभिनेता सिल्वर स्क्रीन पर जितने खूंखार रोल में नजर आते थे, असल जिंदगी में उतने ही सकारात्मक थे। उन्होंने अपनी जिंदगी में कई उतार चढ़ाव देखे।
आपको शायद ही पता होगा कि अमजद की जिंदगी में एक ऐसा भी वक्त आया था, जब उनके पास डिलीवरी के बाद अपनी पत्नी को डिस्चार्ज कराने के पैसे नहीं थे। जी हां अमजद के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह अपनी पत्नी और बच्चे को हॉस्पिटल से घर ला सकें। हाल ही में अमजद के बेटे और बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता शादाब खान ने अपने पिता को लेकर बड़ा खुलासा किया है।
चेतन आनंद ने थामा था हाथ
एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में शादाब ने खुलासा किया कि उनके पिता अमजद खान ने कड़ी मेहनत व मशक्कत से बॉलीवुड में अपना नाम बनाया था। शादाब ने बताया कि जब उनका जन्म हुआ तो पिता के पास उनकी मां शेहला को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कराने के पैसे नहीं थे। शादाब इसे बताते हुए मुस्कुरा रहे थे, लेकिन उनके चेहरे पर भावुकता साफ झलक रही थी।
उन्होंने बताया कि इस दौरान मां रोने लगी थी और पिता शर्मिंदगी के कारण उन्हें अस्पताल में देखने भी नहीं आ रहे थे। इस मुसीबत की घड़ी में चेतन आनंद ने उनका हांथ थामा, उन्होंने मेरे पिता को हिंदुस्तान की कसम में काम दिया। इसके लिए उन्होंने अमजद को 400 रुपये दिए ताकि वो अपनी पत्नी और बच्चे को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करवा सकें।
गब्बर के लिए पहली पसंद नहीं थे अमजद खान
इंटरव्यू के दौरान शादाब शोले फिल्म की एक घटना का जिक्र करते हुए भावुक हो उठे। उन्होंने बताया कि, शोले फिल्म में गब्बर के रोल के लिए सलीम साहब ने रमेश सिप्पी से उनके पिता की सिफारिश की थी। सलीम साहब ने ही इस फिल्म की कहानी को लिखा था। यही कारण था कि उनके कहने पर अमजद खान को गब्बर का रोल दिया गया। लेकिन आपको बता दें गब्बर के रोल के लिए फिल्म निर्माताओं की पहली पसंद अमजद खान नहीं बल्कि डैनी डेंग्जोगपा थे। इसलिए अमजद खान को फिल्म साइन करने बाद भी डर सता रहा था कि कहीं गब्बर का रोल डैनी साहब को ना मिल जाए।
फिल्म की शूटिंग बैंगलोर के आउस्कर्ट्स में होनी थी, इसके लिए अमजद खान को जल्द से जल्द बैंगलोर पहुंचना था। लेकिन टरब्यूलेंस के कारण फ्लाइट को सात बार लैंड करना पड़ा। शादाब ने बताया कि इस दौरान लोग डर के कारण फ्लाइट से नीचे उतर गए थे, लेकिन उनके पिता अमजद खान फ्लाइट के अदंर ही बैठे रहे। उन्हें डर सता रहा था कि कहीं ये फिल्म उनके हांथ से निकल ना जाए।
51 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा
अमजद खान आज बॉलीवुड के चमकते सितारों में से एक हैं। भले ही आज वह दुनिया में नहीं रहे, लेकिन आज भी उनकी एक्टिंग और डायलॉग लोगों के दिलों में जिंदा हैं। अमजाद खान साल 1975 में शोले रिलीज के 17 साल बाद जुलाई 1992 में इस दुनिया को अलविदा कह गए। अभिनेता 51 साल की उम्र में हार्ट अटैक के शिकार हो गए थे।