Brahmastra Movie Review and Rating in Hindi: स्वदेस जैसी फिल्म के असिस्टेंट डायरेक्टर और वेक अप सिड के डायरेक्टर अयान मुखर्जी ने अपनी इन दोनों फिल्मों से एक छवि बनाई। ये दोनों ही फिल्में हिंदी सिनेमा की मजबूत फिल्में हैं। ऐसे में जब अयान मुखर्जी ने इस बात की घोषणा की कि वह जबरदस्त VFX के इस्तेमाल से बनी ऐसी फिल्म बनाना चाहते हैं जिसे देखकर लोग मार्वल को भूल जाएं तो दर्शकों में उत्सुकता और बेचैनी होना स्वाभाविक था। इस फिल्म का नाम रखा गया ब्रह्मास्त्र और ऐसा आभामंडल बनाया गया कि लगा जैसे हिंदी सिनेमा के इतिहास में बनी यह सबसे श्रेष्ठ फिल्म है जिसमें श्रेष्ठ कास्ट, श्रेष्ठ तकनीक का इस्तेमाल हुआ है। पैसा पानी की तरह बहाया गया और बजट 400 करोड़ के ऊपर चला गया।
रणबीर कपूर और आलिया भट्ट के अलावा सदी के महानायक अमिताभ बच्चन, दक्षिण के सुपरस्टार नागार्जुन, बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान, फिल्ममेकर करण जौहर इस फिल्म के लिए एक मंच पर आए और जब ये फिल्म तैयार हुई एडवांस बुकिंग में रिकॉर्ड टूट गए। फिल्म आज रिलीज (Brahmastra Release) हो चुकी है। दावा किया गया है कि यह देश में बनी सबसे महंगी फिल्म है। सिनेमाप्रेमियों के लिए रोमांच की बात ये है कि इस फिल्म में रणबीर कपूर और आलिया भट्ट की जोड़ी नजर आई है। ये दोनों पहली बार किसी फिल्म में साथ आएं हैं।
यह फिल्म दर्शकों को नया और अद्भुत अनुभव देती है क्योंकि फिल्म में वीएफएक्स इफेक्ट ऐसा है, जो शायद आप पहली बार देखेंगे। यह Sci-Fi फिल्म वीएफएक्स समेत टेक्नोलॉजी के प्रयोग से अनूठी बनी है। अगर आपने बाहुबली देखी है तो इसके आगे आपको वह एक औसत फिल्म ही लगेगी। फिल्म का बजट 400 करोड़ के आसपास है जिसमें वीएफएक्स पर करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं। इस फिल्म में सबसे ज्यादा खर्च टेक्नोलॉजी पर हुआ।
फिल्म में रणबीर कपूर स्पेशल पॉवर वाले कैरेक्टर का रोल प्ले कर रहे हैं जिसका नाम है शिवा है। ऋषि-मुनियों को वरदान के रूप में मिले अस्त्रों के देवता ब्रह्मास्त्र की कहानी उसके रक्षकों यानी ब्रह्मांश की जिम्मेदारी होती है। ब्रह्मास्त्र के तीन टुकड़े हैं, जो ब्रह्मांश के सदस्यों के पास हैं। ब्रह्मांश के इन सदस्यों में वैज्ञानिक मोहन भार्गव (शाहरुख खान), कलाकार अनीश (नागार्जुन) से लेकर मस्तमौला डीजे शिवा (रणबीर कपूर) तक शामिल है। शिवा को इस बात का अंदाजा नहीं होता है। जब वह गुरु जी (अमिताभ बच्चन) और ईशा (आलिया) से मिलता है तो उसे ताकत का अंदाजा होता है। अंधेरे के देवता को मानने वाली जुनून (मौनी रॉय) ब्रह्मास्त्र के तीनों टुकड़ों हासिल करना चाहती है। क्या वह अपने मंसूबे में कामयाब हो जाएगी, यह तो फिल्म देखकर ही पता चलेगा।
कहानी की शुरुआत काफी थ्रिलिंग है और ऐसा लगता है जैसे ये कोई सुपरहीरो वाली कहानी है। 45 मिनट आप बंधे रहते हैं और आगे क्या होगा ये सोचते हैं। फिर अचानक कहानी करवट लेती है और नाच गाने के साथ लव स्टोरी शुरू हो जाती है। फिल्म की शुरुआत शाहरुख करते हैं और जितनी देर वह स्क्रीन पर रहते हैं, दर्शकों का रोमांच बना रहता है। रणबीर संतोषजनक प्रदर्शन करते हैं, जबकि आलिया बड़े पर्दे पर चमकती है। कहानी कई बार थोड़ी बोरिंग भी हो जाती है और उसके बाद धीमी गति से चलती है लेकिन जब नए किरदार जुड़ते हैं तो नयापन आ जाता है।
एक दुष्ट शक्ति के रूप में मौनी रॉय जबरदस्त लगी हैं जबकि अमिताभ बच्चन, नागार्जुन, डिंपल कपाड़िया और शाहरुख खान के कैमियो शानदार रहे। सौरव गुर्जर पूरी फिल्म में बलशाली निगेटिव किरदार में नजर आते हैं और फिल्म में जान फूंकने में उनका अहम रोल है। फिल्म के संवाद हुसैन दलाल ने लिखे हैं और उनकी लिखा बोझिल लगता है। कई डायलॉग ऐसे हैं कि आपके पास माथा पीटने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं रहता है। 'लाइट एक ऐसी रोशनी है जो...'- इस डायलॉग को लिखने के लिए हुसैन दलाल 7 तोपों की सलामी चाहते हैं तो उनके लेखन कौशल पर शक होता है।
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक पसंद किया जाने वाला है लेकिन स्पीड से चलती कहानी के बीच में जबरदस्ती डाले गए गाने और कलाकारों को नचाना दर्शकों के रोमांच को कम कर देता है। मेकर्स इस बात को क्योंकि नहीं समझ पाते कि जरूरत ना हो तो कलाकारों को नचाने की और गानों की कोई आवश्यकता नहीं होती। कुल मिलाकर एक बार देखी जाने वाली फिल्म है ब्रह्मास्त्र लेकिन यह मन-मस्तिष्क पर कोई छाप नहीं छोड़ पाती है। कुल मिलाकर 400 करोड़ की 'ब्रह्मास्त्र' इतिहास रचने वाली कहानी बनने से चूक गई। कैमियो किरदारों ने इस फिल्म की लाज बचाई है। हिंदी सिनेमा को इस फिल्म से जिन अच्छे दिनों की उम्मीद थी लेकिन यह एक औसत फिल्म ही निकली।