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Durgamati review : कैसी है भूम‍ि पेडनेकर की पहली हॉरर फ‍िल्‍म, 5 पॉइंट्स में देखें दुर्गामती का र‍िव्‍यूू

Updated Dec 11, 2020 | 12:13 IST
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भूम‍ि पेडनेकर फ‍िल्‍म में एक आईएएस ऑफ‍िसर के रोल में हैं जो अपने मंगेतर के मर्डर के आरोप में जेल में है। एक केस के ल‍िए उनको एक हवेली में शिफ्ट क‍ि या जाता है जो भूत‍िया है।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
Durgamati the myth movie review in hindi
मुख्य बातें
  • दुर्गामती में भूम‍ि पेडनेकर ने लीड रोल निभाया है
  • फ‍िल्‍म में माही ग‍िल भी स्‍पेशल रोल में हैं
  • ये साउथ की एक फ‍िल्‍म का रीमेक है

लॉकडाउन के बीच भूम‍ि पेडनेकर की दुर्गामती अमेजन प्राइम पर र‍िलीज हुई है। भूम‍ि पेडनेकर पहली बार क‍िसी हॉरर फ‍िल्‍म का ह‍िस्‍सा बनी हैं। वैसे ये फ‍िल्‍म भागमत‍ि का रीमेक है जिसमें अनुष्‍का शेट्टी ने लीड रोल न‍िभाया था। फ‍िल्‍म के डायरेक्‍टर जी अशोक हैं ज‍िन्‍होंने भागमत‍ि का भी निर्देशन क‍िया था। फ‍िल्‍म के निर्माता अक्षय कुमार हैं। 

बेशक तेलु्गु फ‍िल्‍म भागमत‍ि को खासी तारीफ म‍िली थी और अनुष्‍का के बेहतरीन अभ‍िनय के साथ इसकी एक वजह कसा हुआ निर्देशन में भी था। लेक‍िन क्‍या भूम‍ि की दुर्गामत‍ि इस कसौटी पर खरी उतरती है, देखें इस र‍िव्‍यू में - 

1. पहला पॉइंट भूम‍ि और अनुष्‍का की तुलना को लेकर। बॉलीवुड में भूम‍ि पेडनेकर को सहज अभ‍िनय के ल‍िए जाना जाता है और दुर्गामत‍ि में भी उनका काम अच्‍छा है। हां, लेक‍िन अगर आप अनुष्‍का शेट्टी से उनकी तुलना क‍िए बि‍ना फ‍िल्‍म देखेंगे तो ही। आईएएस ऑफिसर वाले दृश्‍यों में भूम‍ि खासी जमी हैं लेकिन हॉरर सीन में अनुष्‍का उन पर भारी रहीं। शायद इसकी वजह उनके पास पहले की फ‍िल्‍मों का अनुभव हो। 

2. डायरेक्‍टर की बात करें तो दोनों फ‍िल्‍मों को देखने वाला ये कह ही नहीं सकता है क‍ि इनका निर्देशक एक ही है। ह‍िंदी कड़ी को प‍िरोने में जी अशोक थोड़े कमजोर रहे हैं। इसकी वजह ये भी है क‍ि साउथ और ह‍िंदी मूवीज को बनाने के ट्रीटमेंट में थोड़ा फर्क होता है, उसको वह समझ नहीं पाए। साउथ में फ‍िल्‍म तेज चलती है लेकिन ह‍िंदी फ‍िल्‍मों में दर्शक पहले क‍िरदार के साथ उतरना चाहते हैं और उस समय के ब‍िना फ‍िल्‍म के एक्‍सेप्‍ट नहीं कर पाते। 

3. हॉरर फैक्‍टर में दुर्गामत‍ि बुरी तरह फेल हुई है। इन फ‍िल्‍मों में डर जगाने का एक बड़ा फैक्‍टर बैकग्राउंड म्‍यूज‍िक का होता है जो दुर्गामतक में खासा कमजोर है और फ‍िल्‍म को प्रभावी नहीं बनाता। 

4. दुर्गामत‍ि के संवाद भी बेहद खराब हैं। फ‍िल्‍म में कहानी तो मध्‍य प्रदेश की द‍िखाई गई है लेक‍िन क‍िसी की भी भाषा में वहां का टच नजर नहीं आता। माही ग‍िल को बांग्‍ला द‍िखाकर जो उनसे ह‍िंदी बुलवाई गई है, उनका दमदार स्‍क्रीन प्रेजेंस होने के बावजूद वो अखरती है। 

5. सिनेमैटोग्राफी, संपादन और कला निर्देशन में भी दुर्गामत‍ि प्रभावी नहीं है। फ‍िल्‍म में कड़‍ियां जुड़ी हुई नहीं लगती हैं। कुल म‍िलाकर दुर्गामत‍ि न तो थ्र‍िलर और हॉरर बन पाई और न ही राजनीत‍िक और सामाज‍िक ताने बाने पर प्रहार कर पाती है। 

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