मुंबई. 26/11 मुंबई हमला भारत के सीने पर ऐसा जख्म जो शायद ही कभी भर सके। ताज होटल से निकलती आग की लपटें इस हमले का प्रतीक बन गया था। होटल मुंबई जहां एक तरफ भारत के जख्म को कुरेदती है। वहीं, दूसरी तरफ ताज होटल के स्टाफ की बहादुरी और जज्बे को सलाम करती है।
कहानी
फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है लश्क ए तैयबा के 10 आतंकी मुंबई के तट पर पहुंचने से। मुंबई पहुंचकर ये आतंकी अपने टारगेट के लिए निकल जाते हैं। दूसरी तरफ ताज होटल अपने मेहमानों- डेविड डंकन (आर्मी हेमर) उनकी वाइफ जारा (नाजनीन बोनिडी), रशियन बिजनेसमैन वासिली गोर्दस्की (जेसन आईसेक) का स्वागत कर रहा है।
होटल के चीफ शेफ हेमंत ओबरॉय (अनुपम खेर) वेटर अर्जुन (देव पटेल) सहित होटल के दूसरे स्टाफ को निर्देश दे रहे हैं कि कैसे मेहमाननवाजी करनी है। उसी वक्त अजमल कसाब और इस्माइल मुंबई के छत्रपति शिवाजी स्टेशन पर हमला बोल देते हैं। दूसरी तरफ लियोपोल्ड कैफे पर आतंकी गोलीबारी करते हैं।
लियोपोल्ड कैफे की गोलीबारी से बचकर कई लोग ताज होटल में शरण लेते हैं। इन लोगों के साथ चार आतंकी- इमरान, होकाम, रशीद और अब्दुल्ला भी होटल के अंदर दाखिल होते हैं। इसके बाद शुरू होता है होटल ताज के अंदर नरसंहार, जो अगले दो दिन तक चलता है।
अब हेमंत ओबरोय, अर्जुन समेत होटल का स्टाफ आतंकियों को चकमा देकर फंसे अपने मेहमानों को कैसे बचाता है। किस तरह से पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका उन्हें इंस्ट्रक्शन देते हैं। इसके लिए आपको होटल मुंबई देखनी होगी।
एक्टिंग
होटल मुंबई के हर एक्टर ने अपने किदार के साथ न्याय किया है। हेमंत ओबरॉय और अर्जुन के रोल में अनुपम खेर और देव पटेल ने संयम, सूझ-बूझ और लाचारी को बखूबी दिखाया है। मेहमानों को बचाने के लिए अपनी पगड़ी उतारकर मेहमान के जख्मों पर पट्टी करने का दृश्य अंदर तक झकझोर सकता है।
हॉलीवुड एक्टर आर्मी हेमर, नाजनीन बोनिडी, जेसन आईसेक ने होस्टेज क्राइसेस में मेहमानों की पीड़ा और सदमे को बखूबी पर्दे पर जिया है। वहीं, चारों आतंकियो का किरदार निभा रहे एक्टर्स की एक्टिंग देख आतंकवाद के खिलाफ नफरत और बढ़ जाएगी।
मजबूत कड़ी
साल 2008 में न्यूज चैनल के जरिए ताज होटल के बाहर का हाल दिखा था। होटल मुंबई ने ताज के अंदर की उन तीन भयानक रातों को दो घंटे में समेट दिया है। फिल्म के निर्देशक एंथनी मारस ने हर एक सीन को गहराई के साथ पर्दे पर उतारा है। फिल्म को देखते-देखते आप खुद को उस होटल के अंदर फंसा हुआ महसूस करेंगे।
आतंकवादी का अपने परिवार को फोन करना, सल्लाह पढ़ती मुस्लिम महिला पर गोली ताने खड़ा आतंकी ये कुछ ऐसे सीन हैं जो सिहरन पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा पाकिस्तान में बैठे हमलों के मास्टरमाइंड की बातें सुन आप समझ जाएंगे कि किस तरह ब्रैनवॉश और पैसों का लालच देकर युवाओं को इसी खुनी खेल में शामिल किया जाता है।
क्यों देखें फिल्म
साल 2013 में इसी त्रासदी पर रामगोपाल वर्मा ने द अटैक्स ऑफ 26/11 बनाई थी। फिल्म को क्रिटिक्स और बॉक्स ऑफिस पर अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला था। वहीं, होटल मुंबई ने केवल ताज होटल के होस्टेज क्राइसिस पर फोकस किया है। 26/11 की त्रासदी को जानने और उससे ज्यादा पीड़ितों का दर्द महसूस करना है तो होटल मुंबई जरूर देखें।