फिल्म: द जोया फैक्टर
स्टारकास्ट: दुलकर सलमान, सोनम कपूर, अंगद बेदी, संजय कपूर, सिकंदर खेर
डायरेक्टर: अभिषेक शर्मा
समय: दो घंटा 10 मिनट
रेटिंग: 3.5
मुंबई. कंटेंट इज किंग यानी कंटेंट ही राजा है। ये लाइन फिल्म इंडस्ट्री में पिछले दो साल से गुरुमंत्र बन गई है। यही वजह है कि अब कई अनोखे कॉन्सेप्ट के साथ फिल्म मेकर्स खुलकर एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। सोनम कपूर की फिल्म 'द जोया फैक्टर' ऐसा ही एक नया प्रयोग है। क्रिकेट में लकी चार्म जैसे सब्जेक्ट पर बनी 'द जोया फैक्टर' में एक्टिंग, कहानी से लेकर हर अहम फैक्टर गायब है।
कहानी
फिल्म की कहानी जोया सोलंकी (सोनम कपूर) की है। जोया का जन्म 25 जून 1983 को हुआ है। इसी दिन टीम इंडिया ने अपना पहला वर्ल्ड कप जीता है। इस कारण जोया के पिता (संजय कपूर) और उसका भाई (सिकंदर खेर) मानते हैं कि वह क्रिकेट के लिए लकी चार्म है। जोया एक एड एजेंसी में काम करती हैं।
जोया की लाइफ में टर्निंग प्वाइंट तब आता है जब उसे इंडियन क्रिकेट टीम के साथ एक एड फिल्म की शूटिंग के लिए श्रीलंका भेजा जाता है। यहां उसकी मुलाकात टीम इंडिया के कप्तान विक्रम खोड़ा (दुलकर सलमान) से होती है। जोया टीम इंडिया के साथ नाश्ता करती है और टीम जीतना शुरू कर देती है। इसके बाद से ही टीम इंडिया की लकी चार्म बन जाती हैं।
जोया का लकी चार्म धीरे-धीरे अंधविश्वास में बदल जाता है। वहीं, दूसरी तरफ विक्रम और जोया की लव स्टोरी भी शुरू हो जाती है। हालांकि, विक्रम जोया के लकी चार्म को नहीं मानता है और टीम के अंदर फूट पड़ जाती है। इसका फायदा उठाकर टीम का एक्स कप्तान रोबिन (अंगद बेदी) विक्रम से कप्तानी छीनना चाहता है।
क्रिकेट बोर्ड जोया को वर्ल्ड कप में टीम इंडिया का लकी मैस्कट घोषित कता है। इसके बाद कुछ ऐसा होता है जिससे न सिर्फ विक्रम-जोया के रिश्तों में दरार आती है, बल्कि वह मैच देखने भी नहीं आती। अब जोया के लकी चार्म के बिना टीम वर्ल्ड कप क्या जीतेगी? विक्रम कैसे ड्रेसिंग रूम की पॉलिटिक्स का सामना करेंगे। इन सवालों के जवाब के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
एक्टिंग
फिल्म में लीड एक्ट्रेस और सबसे अधिक स्क्रीन टाइम मिलने के बावजूद सोनम कपूर ने बेहद निराश किया है। वहीं, दुलकर सलमान अपनी पिछली फिल्म कारवां के किरदार के जोन से बाहर नहीं निकल पाए हैं।
दुलकर की बॉडी लैंग्वेज भी एक क्रिकेटर जैसी नहीं लग रही थी। निगेटिव किरदार में अंगद बेदी ने अच्छी कोशिश की है। वहीं, टीम इंडिया के खिलाड़ियों का किरदार निभा रहे एक्टर्स ने भी निराश किया है।
मजबूत कड़ी
फिल्म में किरदारों के डायलॉग्स जहां निराश करते हैं, लेकिन क्रिकेट मैच के दौरान कमेंट्री सबसे ज्यादा हंसाएगी। द जोया फैक्टर में क्रिकेट ड्रेसिंग रूम की राजनीति और प्लेयर के बीच आपसी खींचातान को भी बेहतरीन ढंग से दिखाया गया है।
दुलकर सलमान और सोनम कपूर ने जहां अपनी एक्टिंग से निराश किया। वहीं, दोनों की ऑनस्क्रीन केमेस्ट्री काफी अच्छी थी। फिल्म की शुरुआत और क्लाइमैक्स के बाद शाहरुख खान की आवाज फैन्स के लिए एक सरप्राइज पैकेज है।
कमजोर कड़ी
फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी है इसका डायरेक्शन। परमाणु के बाद डायरेक्टर अभिषेक शर्मा ने एक बार फिर अच्छा और अनोखा सब्जेक्ट चुना था लेकिन, डायरेक्शन और एग्जीक्यूशन दोनों ही मोर्चे पर फिल्म औंधे मुंह गिर गई है। डायरेक्शन के बाद दूसरी कमजोर कड़ी है फिल्म की स्क्रिप्ट। एक वक्त के बाद आप फिल्म में आगे क्या होगा इसका भी अंदाजा लगा सकेंगे।
फिल्म का पहला हाफ काफी उबाऊ है। फिल्म दूसरे हाफ में गति पकड़ती है लेकिन, अजीब और बेतुके ट्विस्ट और टर्न के कारण दूसरा हाफ भी ज्यादा लंबा हो गया है। इसके अलावा फिल्म के डायलॉग और पंच हंसाने की नाकाम कोशिश करते हैं।
स्पोर्ट्स फिल्म में सबसे अहम होता है क्लाइमैक्स का थ्रिलर। इस मोर्चे पर भी फिल्म असफल रहती है। फिल्म का क्लाइमैक्स ऐसा बिल्कुल भी नहीं है जो आपक सीटी या ताली बजाने पर मजबूर कर दे।