- केबीसी का 11वां सीजन 29 नवंबर को खत्म होने जा रहा है
- सुधा इंफोसिस के को- फाउंडर एन.आर नारायण मूर्ति की पत्नी हैं और वो खुद भी इसकी चेयरपर्सन हैं
- सुधा ने साल 1968 में इंजीनियरिंग करने का फैसला किया था और वो 599 लड़कों के बीच क्लास में अकेली लड़की थीं
छोटे पर्दे के सबसे पसंदीदा शोज में से एक कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) का 11वां सीजन आज शुक्रवार को यानी 29 नवंबर को खत्म होने जा रहा है। शो का यह सीजन भी इसके पिछले सीजन की तरह खास और यादगार रहा। केबीसी में कई कंटेस्टेंट आए और जीतकर गए। इस दौरान अमिताभ ने भी अपनी जिंदगी के कई किस्से शेयर किए।
शो में कई मौके ऐसे आए जब कंटेस्टेंट भावुक हो गए तो कुछ पल ऐसे भी रहे जब खुद बॉलीवुड के शहंशाह भी भावुक नजर आए। यह पूरा सीजन काफी मजेदार और रोचक रहा और क्योंकि आज इसका आखिरी दिन है तो शुक्रवार के कर्मवीर एपिसोड में नजर आएंगी, वो महिला जो अपने आप में लाखों- करोड़ों लोगों के लिए मिसाल हैं और वो हैं सुधा मूर्ति।
केबीसी के कर्मवीर एपिसोड में आने वाली सुधा टीचर हैं और जानी मानी लेखिका भी हैं। इंफोसिस के को- फाउंडर एन.आर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा ने 60 हजार लाइब्रेरी की स्थापना की है। इतना ही नहीं उन्होंने बाढ़ में नष्ट हो चुके करीब 2600 घरों को फिर से खड़ा किया।
599 लड़कों के बीच क्लास में अकेली लड़की थीं सुधा
आज एयर होने जा रहे इस शो का तीन दिन पहले एक वीडियो आया था। जिसमें यह सामने आया कि वो हुबली की पहली महिला इंजीनियर थीं, जिसके चलते उका काफी विरोध भी हुआ। सुधा ने बताया कि 1968 में उन्होंने इंजीनियरिंग जॉइन करने का फैसला किया, जिसका उनकी नानी और परिवार ने विरोध किया। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया जहां 599 लड़कों के बीच क्लास में वो अकेली लड़की थीं।
कॉलेज में उनके सामने रखी गईं थीं ये तीन शर्तें
सुधा ने बताया कि कॉलेज में उनके प्रिंसिपल ने कहा कि आपके नंबर अच्छे हैं इसलिए आपको एडमिशन देना ही है, लेकिन हमारी कुछ शर्तें हैं जिन्हें आपको मानना होगा। पहली शर्त है कि वो साड़ी पहनकर कॉलेज आएंगी, दूसरी शर्त हैं कि आप कॉलेज कैंटीन में नहीं जाओगी और तीसरी शर्त थी कि आप लड़कों से बात नहीं करोगी। सुधा ने बताया कि इसके बाद मैं हमेशा साड़ी पहनती थी, कैंटीन इतनी खराब थी कि मैं वहां कभी नहीं गई और क्लास के लड़कों से पहले साल मैंने बात नहीं की और जब उन्हें पता चला कि मुझे एग्जाम में पहला रैंक मिला है तो वो ही मुझसे बात करने लगे।
सुधा ने बनवाए 16 हजार टॉयलेट
सुधा ने बताया कि उनके कॉलेज में टॉयलेट नहीं थी और इंजीनियरिंग के इन चार सालों में उन्हें टॉयलेट का महत्व समझ आया। उन्होंने बताया कि जब इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरमैन होने के बाद मैंने 16 हजार टॉयलेट बनवाए। इसके साथ ही सुधा ने शो में कई बड़े मुद्दों पर बात की।