- किसान आंदोलन का 34वां दिन, बुधवार को विज्ञान भवन में दोनों पक्ष आपस में करेंगे बातचीत
- कृषि कानूनों को वापस लिए जाने पर अड़े हैं किसान
- किसानों का कहना है कि आंदोलन समाप्त करने की एक मात्र शर्ते कृषि कानूनों की वापसी
नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का 34वां दिन है। किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 30 दिसंबर को दोपहर में 2 बजे विज्ञान भवन में बातचीत होनी है। लेकिन उससे पहले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि अगर कोई समाधान नहीं निकला तो वो जनवरी में किसानों के समर्थन में विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि आखिर सरकार को किसान संगठनों की मांगों को मानने में दिक्कत क्या है। यह सच्चाई किसी से छिपी नहीं है कि किस तरह से किसानों को शोषण होता रहा है। एक तरह पीएम मोदी समृद्ध भारत की बात करते हैं तो दूसरी तरफ किसानों की मांगों को अनसूनी कर रहे हैं।
केंद्र सरकार को अन्ना का खत
अन्ना हजारे ने अपने खत में लिखा है कि किसानों की खेती उपज का सही दाम नहीं मिलने से आत्महत्या करते हैं, आखिर किसानों को उनकी उपज की सही कीमत क्यों नहीं मिल पाती है। हर राज्य में कृषि मूल्य आयोग होता है। यह आयोग केंद्रीय कृषि मंत्री के दायरे में काम करता है। वर्षों से देखा गया है कि आयोग बातें तो बड़ी बड़ी करता रहा है लेकिन जमीन पर कुछ ठोस नहीं उतरा। सरकार को आखिर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों पर अमल करने में क्या परेशानी है।
कृषि कानून के विरोध में 40 संगठन
कृषि कानूनों के विरोध में करीब 40 संगठन दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। यह बात अलग है कि केंद्र सरकार बार बार भरोसा दी रही है कि एमएसपी या मंडी समिति के मुद्दे पर किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी इस विषय पर विपक्ष पर निशाना साध चुके हैं।उन्होंने कहा था कि कुछ राजनीतिक दलों के पास अब मुद्दों की कमी हो गयी है लिहाजा वो तथ्यों से परे जाकर टोकाटोकी कर रहे हैं। वो अन्नदाताओं से एक बार फिर अपील करते हैं कि इस सरकार के रहते हुए किसानों के हितों के साथ किसी को समझौता नहीं करने दिया जाएगा।