- मुंबई पुलिस कमिश्नर ने लिया बड़ा फैसला
- पुराने विवादों में आरोपी पर इस तरह के आरोप लगाकर कराई जाती है बदनामी
- शिकायत पर जांच के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा
Mumbai Crime News: छेड़खानी और पाक्सो को लेकर मुंबई पुलिस कमिश्नर ने एक अहम फैसला लेते हुए आदेश जारी किया है। पॉक्सो या छेड़खानी का मामला दर्ज करने से पहले डीसीपी की अनुमति लेनी होगी। मामले में जांच पड़ताल की जाएगी। इसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा। मुंबई पुलिस कमिश्नर संजय पांडेय ने आदेश जारी किया है। इसके पीछे का उद्देश्य यही है किसी भी निर्दोष को किसी भी प्रकार की बदनामी से बचाया जा सके।
जानकारी के लिए बता दें कि मुंबई पुलिस आयुक्त संजय पांडेय ने हाल ही में एक आदेश जारी कर कहा था कि पुराने विवाद, संपत्ति विवाद या किसी अन्य रंजिश को लेकर थाने में पाक्सो या छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज कराई जाती है। अधिकतर ऐसे मामले में अक्सर आरोपी बरी हो जाता है। गिरफ्तारी के कारण आरोपी को काफी बदनामी का सामना करना पड़ता है और समाज में संदिग्ध की छवि काफी प्रभावित होती है, आरोपी को कई तरह से सामाजिक स्तर पर नुकसान होते हैं।
ये है मामला दर्ज कराने का नियम
मिली जानकारी के अनुसार ACP ऐसी किसी भी शिकायत की पहले जांच करेंगे और फिर डीसीपी इस पर अंतिम आदेश देगें, जिसके बाद मामला दर्ज किया जाएगा। पुलिस कमिश्नर संजय पांडेय ने आदेश जारी करते हुए कहा कि पॉक्सो या छेड़खानी की आगे कोई शिकायत होने पर वह पहले एसीपी के पास जाएंगे और फिर डीसीपी स्तर के अधिकारी अंतिम फैसला देंगे। पॉक्सो एक्ट वर्ष 2012 में बनाया गया था। पॉक्सो एक्ट यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम है। बच्चों को यौन शोषण से बचाने और ऐसी घटनाओं के अपराधियों को दंडित करने के लिए वर्ष 2012 में भारत सरकार द्वारा कानून बनाया गया था
ऐसे होता है कानून का गलत प्रयोग
जानकारी के लिए बता दें कि पॉक्सो एक्ट और छेड़खानी के मामले में केस दर्ज कराकर इसका गलत इस्तेमाल भी किया जाता है। किसी से विवाद होने पर उसको इन मामलों में फंसाने के लिए ये आरोप लगाकर केस दर्ज करवा दिया जाता है। आरोपी पर कार्रवाई होती है। वह कुछ दिन में मामले में बरी भी हो जाता है। लेकिन सामाजिक स्तर पर बदनामी जीवन भर के लिए कलंक बन जाती है। इसीलिए मुंबई पुलिस कमिश्नर ने ऐसे मामलों में बिना जांच के कार्रवाई करने के लिए मना किया है।