पुणे : महाराष्ट्र में सोलापुर के एक सरकारी अस्पताल से हैरान करने वाली घटना सामने आई है। यहां एक परिवार ने न सिर्फ टीबी से संक्रमित एक युवक को खो दिया, बल्कि उस वक्त उनकी भावनाएं और आहत हो गईं, जब वे अस्पताल में युवक का शव लेने पहुंचे तो वहां उस पर चींटियों को रेंगता पाया। युवक के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर इलाज में लापरवाही का आरोप भी लगाया है। अस्पताल ने मरीज के बेड पर चीटिंयों के रेंगने की बात स्वीकार की है।
यह मामला सोलापुर के एक सरकारी अस्पताल का है, जहां 20 वर्षीय युवक को उसके परिजनों ने इलाज के लिए भर्ती कराया था। उसे टीबी का संक्रमण था। यहां सिविल अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। लेकिन रविवार दोपहर उन्हें अस्पताल से युवक की स्थिति के गंभीर होने और फिर मौत की सूचना मिली, जिसके बाद जब वे शव लेने के लिए अस्पताल पहुंचे तो वहां उसके शव पर चींटियों को रेंगता देख वे और भी शोकाकुल हो गए।
'ऑक्सीजन मास्क पर भी थी चींटियां'
परिजनों का कहना है कि युवक के शव पर चींटियां रेंग रही थीं। यहां तक कि उसके मुंह के पास ऑक्सीजन मास्क पर भी चींटियां थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि यहां युवक के इलाज के दौरान भी लापरवाही बरती गई। मामले के प्रकाश में आने के बाद अस्पताल प्रशासन ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। अस्पताल के अधिकारियों ने हालांकि मरीज के बेड पर चींटी होने की बात स्वीकार की है, लेकिन उन्होंने इलाज में लापरवाही के आरोपों से इनकार किया।
शर्मनाक! मोर्चरी में किसान के शव को कुतर गए चूहे, आंदोलन में ही हुई थी मौत
अस्पताल के अधिकारियों के हवाले से आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं हुई। मरीज की हालत पहले से ही गंभीर थी। मरीज की मौत के बाद शव को परिवार को सौंपने की औपचारिकताएं पूरी होने तक उसे सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था। उसे रविवार दोपहर मृत घोषित किया गया। इससे पहले ही जब उसकी स्थिति गंभीर हो रही थी, रिश्तेदारों को फोन पर जानकारी दे दी गई थी।
'चींटियां थीं, लेकिन बिस्तर पर'
अधिकारियों के मुताबिक, मरीज के परिजन शाम 4:15 बजे तक अस्पताल पहुंचे और औपचारिकताएं पूरी होने तक शाम 6 बज चुके थे। उनके मुताबिक, चींटियां थीं, लेकिन वे बिस्तर पर थीं, न कि शव पर। उन्होंने सफाई दी कि रोगी को सलाइन पर रखा गया था और दूध भी दिया गया था। दोनों में मिठास होती है और ऐसे में हो सकता है कि चींटियां शव पर भी पहुंच गई हों। लेकिन इलाज में किसी तरह की लापरवाही नहीं की गई।