मुंबई : 'वसूली' कांड में बॉम्ब हाई कोर्ट का आदेश आने के बाद महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने अपने पद से हटने का फैसला किया है। सूत्रों का कहना है कि देशमुख राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सुप्रीमो से मिलने गए हैं, इसके बाद वह अपने पद से इस्तीफा देंगे। बता दें कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के आरोपों से जुड़ी अर्जी पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस 'वसूली' कांड में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि चूंकि देशमुख राज्य के गृह मंत्री हैं, ऐसे में पुलिस उनके खिलाफ निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती।
'कोर्ट के फैसले का सम्मान करना सरकार की जिम्मेदारी'
देशमुख के इस्तीफे पर राकांपा ने अपने बयान में कहा कि गृह मंत्री के खिलाफ परमबीर सिंह के लगाए गए आरोप सही नहीं हैं। कोर्ट ने सीबीआई से इन आरोपों की जांच करने के लिए कहा है, ऐसे में अदालत का सम्मान करना सरकार की जिम्मेदारी है। देशमुख ने पार्टी से कहा है कि सीबीआई जांच के दौरान उनका गृह मंत्री के पद पर बने रहना उचित नहीं होगा।
इस्तीफा देने के लिए ठाकरे से मिले देशमुख
राकांपा नेता नवाब मलिक ने कहा कि अपना इस्तीफा देने के लिए देशमुख ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। मुख्यमंत्री उनका इस्तीफा स्वीकार करने वाले हैं। मलिक ने बताया कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद देशमुख ने शरद पवार से बात की। उन्होंने बताया कि जांच पूरी होने तक वह अपने पद पर बने रहना नहीं चाहते। इसके बाद उन्होंने त्यागपत्र देने का फैसला किया। पार्टी ने भी सीएम से उनका इस्तीफा स्वीकार करने के लिए कहा।
कोर्ट ने दिया सीबीआई जांच का आदेश
दरअसल, बॉम्बे एचसी ने सिंह की ओर से देशमुख पर लगाए गए आरोपों की प्रारंभिक जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में सीबीआई से मामले की प्रारंभिक जांच 15 दिनों के भीतर शुरू करने के लिए कहा है। परमबीर सिंह के आरोपों से जुड़ी डॉ. जयश्री पाटील की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि चूंकि देशमुख गृह मंत्री हैं इसलिए उनके खिलाफ आरोपों की जांच 'पुलिस' निष्पक्ष तरीके से नहीं कर पाएगी।
'वसूली' कांड में घिरे हैं देशमुख
अपनी अर्जी में सिंह ने आरोप लगाया है कि गिरफ्तार एपीआई सचिन वाझे ने उन्हें बताया था कि देशमुख ने उसे 100 करोड़ रुपए की 'वसूली' करने का टारगेट दिया है। सिंह ने अपनी अर्जी में दावा किया है कि गत फरवरी में देशमुख के घर पर हुई बैठक में वाझे, पाटील सहित अन्य पुलिस अधिकारी मौजूद थे और इस बैठक में उन्हें 'वसूली' का लक्ष्य दिया गया।
कोर्ट ने क्या कहा
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता एवं जस्टिस गिरीश एक कुलकर्णी की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, 'हम जयश्री पाटील की दलीलों से सहमत हैं कि सच्चाई सामने लाने के लिए एक निष्पक्ष जांच कराए जाने की जरूरत है। देशमुख चूंकि गृह मंत्री हैं ऐसे में पुलिस इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती। इस मामले की प्रारंभिक जांच अगर सीबीआई के निदेशक की ओर से की जाती है तो मामले में न्याय हो सकेगा। कानून के अनुरूप एवं 15 दिनों के भीतर प्रारंभिक जांच शुरू करने के आदेश दिए जाते हैं।'