- डॉ. भीमराव अंबेडकर के स्मारक और घर 'राजगृह' में तोड़-फोड़
- बताया जा रहा है कि 2 लोगों ने ये तोड़-फोड़ की
- महाराष्ट्र सरकार ने दोषियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं
मुंबई: मंगलवार को मुंबई में स्थिति डॉ. भीमराव अंबेडकर के घर 'राजगृह' के परिसर में अज्ञात लोगों ने तोड़-फोड़ की। सीसीटीवी कैमरे भी क्षतिग्रस्त किए गए। घटना के बाद मौके पर पुलिस भी पहुंची। वहां के फोटो भी सामने आए हैं, जिसमें देखा जा सकता है कि पेड़-पौधे और गमले बुरी तरह से बिखरे हुए पड़े हैं। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि मैंने पुलिस को घटना की जांच करने और दोषियों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है।
घर में लगे कांचों पर पत्थर भी फेंके गए, इससे घर के बर्तनों को काफी नुकसान पहुंचा है। इस घर को किताबों के लिए बाबासाहेब अंबेडकर ने बनवाया था। दुनियाभर से अंबेडकर के अनुयायी रोजाना यहां आते हैं। यह अंबेडकर के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। घटना का सीसीटीवी फुटेज अंबेडकर परिवार द्वारा पुलिस को सौंप दिया गया है। आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की जा रही है।
वहीं वंचित बहुजन अगाड़ी (VBA) नेता प्रकाश अंबेडकर ने सभी से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा, 'मैं सभी से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं। यह सच है कि दो लोग 'राजगृह' आए और सीसीटीवी कैमरे के साथ-साथ अन्य चीजों से भी तोड़-फोड़ करने की कोशिश की। पुलिस ने तुरंत इस पर ध्यान दिया। सभी अधिकारी पहले ही घटनास्थल पर पहुंच चुके हैं और वे जांच कर रहे हैं। उन्होंने अच्छा काम किया है। इसलिए, मैं सभी से शांति बनाए रखने का अनुरोध करता हूं और 'राजगृह' के पास इकट्ठा नहीं होना है।'
जानें राजगृह के बारे में
राजगृह मुंबई में दादर की हिंदू कॉलोनी में स्थित है और ये अंबेडकर का स्मारक और घर है। प्राचीन बौद्ध साम्राज्य के संदर्भ में इसे राजगृह (अब राजगीर) नाम दिया गया था। यह स्थान भारतीयों, विशेषकर अम्बेडकरवादी बौद्धों और दलितों के लिए एक पवित्र स्थल है। अंबेडकर 15-20 वर्षों तक यहां रहे। अंबेडकर ने अपने समय के दौरान राजगृह में 50,000 से अधिक पुस्तकों का संग्रह किया। इससे ये उनकी मृत्यु के समय दुनिया के सबसे बड़े निजी पुस्तकालयों में से एक बन गया।
तीन मंजिला इमारत का भूतल अंबेडकर के स्मारक के रूप में एक विरासत संग्रहालय है। ऊपरी मंजिलो पर अंबडकर परिवार रहता है। हर साल 6 दिसंबर को मुंबई के शिवाजी पार्क में चैत्य भूमि से पहले लाखों लोग राजगृह आते हैं। इमारत को एक राष्ट्रीय स्मारक के रूप में नामित करने की योजना कानूनी और तकनीकी मुद्दों के कारण गिर गई, लेकिन 2013 में ये एक विरासत स्मारक बन गई।