- ग्रेटर नोएडा में लोगों का विरोध पड़ रहा जनता पर भारी
- विरोध के चलते नहीं मिल पा रही गंगाजल की सप्लाई
- करीब आठ लाख लोगों पर पड़ रहा विरोध का प्रभाव
Greater Noida Authority: करीब आठ लाख ग्रेटर नोएडावासियों की गंगाजल की प्यास चंद लोगों के विरोध के चलते पिछले पांच महीनों से अटकी हुई है। दरअसल कुछ लोग दिसंबर 2021 से ही पल्ला स्थित डब्ल्यूटीपी पर धरना दे रहे हैं, जिसके चलते कमिश्निंग का काम पूरा नहीं हो पा रहा, जबकि गंगाजल सप्लाई का पूरा नेटवर्क तैयार हो चुका है। शासन ने भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से इस परियोजना को शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए हैं। अब अगर बातचीत से ये लोग नहीं मानें तो परियोजना को पूरा करने के लिए पुलिस की भी मदद ली जाएगी।
ग्रेटर नोएडा में अपर गंगा कैनाल हापुड़ के जरिए 85 क्यूसेक गंगाजल लाने का प्रस्ताव सबसे पहले 2005 में बना और 2012 से 2014 के बीच इस परियोजना के तहत ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में जलापूर्ति नेटवर्क को तैयार कर लिया गया। 2017 के बाद देहरा से जैतपुर तक 23 किलोमीटर की पाइपलाइन, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट व देहरा में इंटेक (प्रारंभिरक ट्रीटमेंट प्लांट) के निर्माण के कार्य शुरू किए। इस दौरान देहरा से 7.4 किलोमीटर की पाइप लाइन सिंचाई विभाग की जमीन पर की जानी थी।
हापुड़ में वन विभाग ने रुकवाया था काम
प्राधिकरण ने सिंचाई विभाग से अनुमति लेकर कार्य प्रारंभ किया लेकिन हापुड़ में वन विभाग ने यह कहते हुए काम रोक दिया गया कि, यह जमीन वन विभाग की है। अन्य भाग पर प्राधिकरण ने सिंचाई विभाग की अनुमति के अनुसार 2018 तक काम पूरा कर लिया। उसके बाद सात पाइपलाइन को गांवों की जमीन से गुजरना था, ग्राम रानौली लतीफपुर में कुछ लोगों द्वारा परियोजना में अवरोध पैदा किया गया, इसके बाद प्राधिकरण ने अन्य विकल्प तलाशा और एनटीपीसी की जमीन से पाइपलाइन बिछाने का निर्णय लिया। 2019 में एनटीपीसी से एनओसी लेकर काम शुरू कर दिया।
पल्ला के पास दिल्ली-हावड़ा रेलवे लाइन के नीचे पाइपलाइन डालने के लिए भी प्राधिकरण को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। एक अन्य बाधा आईओसीएल व गेल की गैस पाइप लाइन बनी। प्राधिकरण ने कई दौर की वार्ता के बाद इसे सुलझा लिया। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के नीचे से पाइपलाइन को क्रॉस कराने में भी दिक्कत आई। एक्सप्रेसवे की सुरक्षा का हवाला देकर काम रुकवा दिया गया।
डब्ल्यूटीपी पर धरने पर बैठ लोग
प्राधिकरण ने इसके एवज में अनुमति शुल्क, प्रोसेसिंग फीस और बैंक गारंटी देकर एनओसी प्राप्त की और ट्रंचलेस विधि से काम करके पाइपलाइन को एक्सप्रेसवे पार कराया। इस तरह तमाम बाधाओं को दूर करते हुए दिसंबर 2021 में गंगाजल पल्ला के डब्ल्यूटीपी तक पहुंच गया। उस समय ग्रेटर नोएडावासियों को उम्मीद हो गई कि, अब उनके घरों तक गंगाजल शीघ्र पहुंच जाएगा। इस बीच पल्ला में शरारती तत्वों के उकसाने पर कुछ लोग डब्ल्यूटीपी पर ही धरने पर बैठ गए, जबकि जमीन का यह विवाद दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से जुड़ा था,लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की गंगाजल परियोजना को रोक दिया गया।
लोगों के धरने पर बैठते ही रुक गया पूरा काम
पल्ला से जैतपुर तक करीब पांच किलोमीटर पाइपलाइन व डब्ल्यूटीपी की कमिश्निंग का काम होना था, जिससे ग्रेटर नोएडावासियों को शीघ्र गंगाजल मिलने लगता, लेकिन चंद लोगों के विरोध के चलते काम रुक गया। कुछ लोग अब भी धरने पर बैठे हुए हैं। परियोजना में देरी पर केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार ने भी नाराजगी जताई है। शासन ने इसे शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए पुलिस की मदद भी ली जा सकती है।
प्रधिकरण लेगा पुलिस की मदद
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ अदिति सिंह की तरफ से इसके लिए पुलिस आयुक्त को भी पत्र लिख दिया गया है। अगर धरनारत लोग बातचीत से जल्द न माने तो पुलिस की मदद से परियोजना को पूरा कराया जाएगा, ताकि ग्रेटर नोएडावासियों को शीघ्र गंगाजल मिल सके। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ अदिति सिंह ने लोगों से विरोध को वापस लेते हुए इस परियोजना को पूरा होने देने की अपील की है। गंगाजल परियोजना अधूरी होने के चलते एक तरफ ग्रेटर नोएडा की 8 लाख आबादी मीठे पानी से वंचित हैं।