- ग्रेटर नोएडा के गांवों को कूड़ा मुक्त कराएगा प्राधिकरण
- ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ने बताई कई जरूरी बात
- कूड़ा डालने और पानी बहाने पर लगेगा अब जुर्माना
Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और मेरठ मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह ने कहा है कि, गांवों को कूड़े से मुक्त बनाने के साथ ही झगड़े से भी मुक्त करने की जरूरत है। आपसी सौहार्द को बढ़ाने के लिए गांवों में समितियां बनाई जाएं। गांवों में पानी के प्रदूषण को रोकने के लिए ग्राम प्रधान जुर्माना तय करें। प्रदूषण फैलाने वालों पर जुर्माना लगाएं। कार्यक्रम में सीईओ सुरेन्द्र सिंह ने डि-स्लजिंग कार्य में लगे लोगों को सर्टिफिकेट देकर पुरस्कृत किया गया। गांवों को साफ रखने पर रौनीजा और खैरपुर को भी सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया।
मिली जानकारी के अनुसार, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में मेरठ मंडलायुक्त व सीईओ सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि, ग्राम प्रधानों ने बीते कुछ वर्षों में बहुत सकारात्मक कार्य किए हैं। अब सरकारी पाठशालाएं किसी मॉडर्न स्कूल से कम नहीं हैं। गांवों में आधुनिक पुस्तकालय बन रहे हैं। जहां छात्र-छात्राएं सभी तरह (मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि) की किताबें पढ़कर अपना भविष्य बना रहे हैं। इससे उन्हें अनुकूल माहौल मिल रहा है।
गांवों में हुए बदलाव
गांवों में एस्ट्रॉनॉमी लैब बन रही हैं। पंचायत सचिवालयों का रंग-रूप व उपयोग बदल गया है। अब गांव नाली व खड़ंजे के लिए नहीं जूझ रहे, बल्कि खेलकूद के मैदान, ओपन जिम, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग आदि बन रहे हैं। हर 500 मीटर पर गांवों में अब वाटर कूलर भी दिखते हैं। दूरबीन के जरिए गांवों के लोग चंद्रमा, आकाश गंगा को देख रहे हैं। यह बदलाव बहुत अल्पकाल में हुआ है। सीईओ ने कहा कि, सभी अधिशासी अधिकारी, नगर विकास अधिकारी, ग्राम प्रधान पहले खुद सीखें और उसे क्रियान्वित करें। मंडलायुक्त ने कहा कि, बारिश का समय आने वाला है। पानी को संरक्षित करें। यह बहुत शुद्ध पानी होता है। इसे नाली या तालाब में जाने देते हैं। इसे संजोने की जरूरत है। घरों में पानी का उपयोग कम करना होगा। ग्राम पंचायतों को अपने कानून बनाना होगा। कूड़ा डालने, पानी बर्बाद करने आदि पर जुर्माना लगेगा।
जुर्माने की रकम करें तय
सीईओ ने आगे कहा कि, खुली बैठक कर जुर्माने की रकम तय करें। सामूहिक ग्राम पंचायतें मिलकर (को-ऑपरेटिव मॉडल) कई बड़े काम कर सकती हैं। ग्राम पंचायतों को भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर से ही मजबूत नहीं करना है, बल्कि आपसी सद्भाव को भी बढ़ाना होगा। इसके लिए समितियां बनाना होगा। सड़क टूट जाए तो दोबारा बन जाएगा, लेकिन दिलों की दूरी नहीं बनाई जा सकती है। गांवों में सामाजिक समरसता बढ़ाने की जरूरत है। कूड़ा मुक्त करने के साथ ही झगड़ा मुक्त बनाने की जरूरत है।