- बीएसएफ का बुलेट दस्ता रांची में देगा परफॉर्मेंस
- महोत्सव में होगा खुखरी डांस का भी आयोजन
- कांके के पुलिस लाइन में होगा आयोजन
Amrit Mahotsav: सीमा सुरक्षा बल के बुलेट दस्ते के जवान राजधानी रांची के कांके स्थित न्यू पुलिस लाइन मैदान में 14 अप्रैल की शाम चार बजे अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध एवं उनमें रोमांच पैदा करने की कोशिश करेंगे। बीएसएफ का बुलेट दस्ता नब्बे के दशक से हर साल गणतंत्र दिवस की परेड में अपने नायाब कारनामों से देशवासियों के साथ-साथ विदेशियों का भी दिल जीतता आया है। लेकिन रांची में ऐसे कार्यक्रम का आयोजन संभवतः पहली बार हो रहा है।
कार्यक्रम के दौरान दस्ते के सदस्यों द्वारा बुलेट से संबंधित लगभग हर तरह के करतब ( स्टंट्स ) करते दिखाई देगे। इन स्टंट्स में पोल राइडिंग, फ्लैग मार्च, ऐरो पोजिशन, लेग गार्ड, लैदर विद जंप, राफेल, बैक राइडिंग पोल, लेयिंग ऑन सीट राइडिंग, महाशक्तिमान, नैक राइडिंग, शीर्षासन, चेस्ट जंप, लैडर ट्रिपल, फिस राइडिंग, 5 मैन बैलेंस, पोल एक्सरसाइज, सीटिंग ऑन पोल, रोप राइडिंग, सैल्फी पोजिशन, म्यूजिकल राइड, चेस्ट जंप, फायर जंप, ट्यूब लाइट जंप आदि शामिल होंगी।
ब्रास और जैब बैंड भी लोकप्रिय
बीएसएफ का बुलेट दस्ता ही नहीं बल्कि इसका ब्रास और जैज बैंड भी उतना ही लोकप्रिय है। इसके अलावा बीएसएफ जवानों के खुखरी डांस का अलग ही फैन बेस है। 14 अप्रैल की शाम रांचीवासियों के लिए यह सब प्रदर्शन एक साथ देखने को मिलेगी। कार्यक्रम का मकसद लोगों में देशभावना जगाना है। परिस्थितियों से सामंजस्य कैसे बैठाते हैं, यह दिखाना भी इन स्टंट्स का उद्देश्य है।
लिम्का बुक में दर्ज रिकॉर्ड
सीमा सुरक्षा बल के बुलेट दस्ते को कई सम्मान से नवाजा जा चुका है। सबसे बड़ा सम्मान 2018 में प्राप्त हुआ। इस दस्ते के जवानों ने उस साल अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के बल पर अपना नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में लिखवाया। इस दस्ते की ट्रेनिंग ग्वालियर स्थित टेकनपुर के सीमा सुरक्षा बल अकादमी के केंद्रीय यांत्रिक परिवहन विद्यालय में होती है। कार्यकुशलता से सबको मोहित कर देने वालों में आम ही नहीं बल्कि खास व्यक्ति भी शामिल हैं। दस्ते की प्रसिद्धि भारत की सीमा को पार कर गई है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी इसकी बहादुरी की प्रशंसा कर चुके हैं।
दस्ते की स्थापना 1990 में हुई
इन स्टंट से यह दिखाने की कोशिश होती है कि, हमारे सीमा के प्रहरियों का न सिर्फ सीमा पर नियंत्रण है बल्कि उनकी आत्म नियंत्रण और लचीलेपन की शक्ति भी अद्वितीय है। अपनी इसी अद्वितीय क्षमता के कारण 1990 में अपनी स्थापना से लेकर अब तक यह दस्ता लगातार लोगों को अपना दिवाना बनाए हुए है।