- ओरमांझी के बिरसा मुंडा जैविक उद्यान का मामला
- लोमड़ियों में निमोनिया के पाए जा रहे लक्षण
- मृत लोकड़ियों का सैंपल आवीआरआई को भेजा गया
Birsa Munda Park Ranchi: राजधानी के ओरमांझी स्थित बिरसा मुंडा जैविक उद्यान में लोमड़ियों के मरने का सिलसिला थम नहीं रहा है। अब तक छह लोमड़ियों की जान जा चुकी है। एक महीने के अंदर रहस्यमयी तरीके से लोमड़ियों की मौत से विभागीय अधिकारी चिंतित हैं।
लोमड़ियों में अब तक बुखार, सर्दी आदि लक्षण मिले हैं। इनके सैंपल को इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट में भेजा गया है। फिलहाल आवीआरआई से सैंपल रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है। वहीं, अन्य लोमड़ियों के बचाव के लिए उनके परिसर को दिन भर में चार बार सैनिटाइज कराया जा रहा ह।
रांची वेटनरी कॉलेज की जानकारी से अधिकारी संतुष्ट नहीं
लोमड़ियों के शव का रांची वेटनरी कॉलेज ने पोस्टमार्टम किया है। हालांकि इनकी रिपोर्ट से वन विभाग के अधिकारी संतुष्ट नहीं हुए, इसलिए मृत लोमड़ियों के शव से सैंपल लेकर आवीआरआई को भेजा गया है। बता दें इस जैविक उद्यान में 1450 जानवरी एवं पक्षी अभी मौजूद हैं। वहीं, लोमड़ी लुप्त प्राणियों की श्रेणी में आता है।
कैनिन डिस्टेंपर वायरस की आशंका
लोमड़ियों की मौत का कारण कैनिन डिस्टेंपर वायरस माना जा रहा है। पशु चिकित्सकों का कहना है कि सीडीवी एक वायरल इंफेक्शन है, जिससे लोमड़ियों की जान गई है। यह बीमारी लोमड़ी, कुत्ता और भेड़ियों में होती है। इससे इनकी जान तक चली जाती है। दरअसल, यह वायरल पशुओं के फेफड़ों और पाचन तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
जानवरों पर रखी जा रही नजर
बिहार मुंडा जैविक उद्यान के पशु चिकित्सक डॉ. ओमप्रकाश साहू का कहना है कि लोमड़ियों की मौत के बाद से उद्यान प्रबंधन और सतर्क हो गया है। अब सभी जानवरों के स्वास्थ्य पर पूरी निगरानी है। खासतौर पर जिन जानवरों की उम्र थोड़ी हो गई है, उन पर विशेष नजर है। पशु चिकित्सक ने कहा कि एक हफ्ते के अंदर आवीआरआई से रिर्पोर्ट जा जाएगी, उसके बाद लोमड़ियों के बचाव को लेकर कार्य शुरू किए जाएंगे। फिलहाल हम कोई प्रयोग नहीं कर सकते हैं।