- क्लीनिकल रिसर्च इंडस्ट्री में युवाओं के लिए नहीं है जॉब की कमी
- क्लीनिकल रिसर्च में अधिकतर स्पेशलाइज्ड कोर्स ग्रेजुएशन के बाद
- कोर्स के बाद किसी भी कंपनी के साथ जुड़कर बनाया जा सकता है करियर
Career In Clinical Research: क्लीनिकल रिसर्च इंडस्ट्री करियर के वैसे तो हमेशा से डिमांडिंग रही है, लेकिन कोरोना महामारी के बाद इस इंडस्ट्री में बड़ा उछाल आया है। पिछले करीब तीन सालों से क्लीनिकल रिसर्च इंडस्ट्री में बूस्ट आया हुआ है। इस फील्ड में भारत भी बड़ा खिलाड़ी बनकर उभरा है। आज के समय पूरे विश्व में सबसे ज्यादा वैक्सीन भारत में ही बन रही है। जिस तरह से यह इंडस्ट्री आज आगे बढ़ रही है, उसी के अनुसार युवाओं को यहां करियर के मौके भी खबू मिल रहे हैं। अगर आपमें मैनेजमेंट की योग्यता के साथ एनालिसिस करने की क्षमता है तो क्लीनिकल रिसर्च के फील्ड में आप अपना करियर बना सकते हैं।
एजुकेशन व योग्यता
इस फील्ड में आने के लिए 12वीं के बाद क्लीनिकल रिसर्च से संबंधित डिग्री और डिप्लोमा कोर्स करना होगा। क्लीनिकल रिसर्च में अधिकतर स्पेशलाइज्ड कोर्स ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएट लेवल के हैं।
छात्र मेडिसिन, फार्मेसी, लाइफ साइंसेस या नर्सिंग में बैचलर डिग्री प्राप्त कर एमएससी, एमबीए या एम फार्मेसी कोर्सेस कर सकते हैं। इन कोर्सों के एडमिशन में प्रोफेशनल एक्सपीरियंस वाले छात्रों को वरीयता दी जाती है।
कोर्स के बाद यहां बना सकते हैं करियर:-
रिसर्च एंड डेवलपमेंट
इंडिया क्लीनिकल रिसर्च के क्षेत्र में तेजी से ग्रोथ कर रहा है। यहां पर लगातार नई-नई दवाइयों की खोज व विकास संबंधी कार्य हो रहे हैं। छात्र कोर्स पूरा करने के बाद रिसर्च एंड डेवलपमेंट से जुड़े जेनेटिक उत्पादों के विकास, एनालिटिकल आरएंडडी, एपीआई या बल्क ड्रग आरएंडडी के फील्ड में करियर बना सकते हैं।
यहां पर मॉलिक्युलर बायोलॉजिस्ट, टॉक्सिकोलॉजिस्ट, फार्माकोलॉजिस्ट या मेडिकल इन्वेस्टिगेटर जैसे पोस्ट मिलते हैं।
फार्मासिस्ट का फील्ड
फार्मासिस्ट का दवाओं के वितरण में सबसे बड़ा योगदान है। इस फील्ड पर दवाइयों और चिकित्सा संबंधी अन्य सहायक सामग्रियों के भंडारण और वितरण का जिम्मा होती है। यहां पर युवा कई जॉब प्रोफाइल पर रहकर कार्य कर सकते हैं।
क्लीनिकल रिसर्च
क्लीनिकल रिसर्च इस फील्ड की मुख्य शाखा है। यहां पर किसी दवा को बनाने से पहले उसके सुरक्षा व असर पर रिसर्च किया जाता है। इसके लिए टीम गठित होती है और फिर क्लीनिकल ट्रायल होता है। यहां पर दवाइयों की स्क्रीनिंग संबंधी काम में नई दवाओं या फॉर्मुलेशन का पशु मॉडलों पर परीक्षण व रिसर्च होगा।
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क्वालिटी कंट्रोल
इस फील्ड में क्वालिटी कंट्रोल का अहम रोल होता है। इसलिए यहां पर युवाओं को करियर बनाने का ढेरों मौके मिलते हैं। जब कोई नई दवा आती है तो यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत होती है कि इन दवाइयों के जो नतीजे बताए जा रहे हैं, वे सुरक्षित, स्थायी और आशा के अनुरूप हैं। यह काम क्वालिटी कंट्रोल के तहत आता है।
क्लीनिकल रिसर्च में जॉब प्रोफाइल
इंडिया के अंदर करीब 30 हजार जिस्टर्ड फार्मास्युटिकल कंपनियां हैं। जो नए-नए उत्पादों पर रिसर्च करती रहती हैं। इन कंपनियों के साथ जुड़कर आप डॉक्टर प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर, ड्रग डेवलपर, रेगुलेटरी अफेयर्स मैनेजर, मेडिकल एडवाइजर, पैरामेडिक्स, क्लीनिकल रिसर्च मैनेजर, क्लीनिकल रिसर्च एसोसिएट, लाइफ साइंस ग्रेजुएट मेडिकल राइटर्स, फार्माकोविजिलेंस एक्जीक्यूटिव, ड्रग रिव्यूर जैसे जॉब प्रोफाइल पर कार्य कर सकते हैं।