- कोरोना वायरस पूरी दुनिया में 23 हजार से अधिक लोगों की जान चली गई है, जबकि 5 लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित हैं
- अमेरिका के एक शीर्ष वैज्ञानिक ने चेताया है कि यह संक्रमण सीजनल हो सकता है और अगले सीजन में फिर लौट सकता है
- उन्होंने कहा कि इससे पहले कि यह घातक वायरस फिर दुनिया में कहर बरपाए, इसका उपचार और वैक्सीन ढूंंढ लिया जाना चाहिए
वाशिंगटन : कोरोना वायरस पूरी दुनिया में कहर बनकर टूट पड़ा है, जिसके कारण 23 हजार से अधिक लोगों की जान चली गई है, जबकि 5 लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित हैं। अभी दुनिया इस बीमारी का उपचार तक नहीं ढूंढ पाई है कि इससे पहले ही अमेरिका के एक शीर्ष वैज्ञानिक ने चेताया है कि यह संक्रमण सीजनल हो सकता है और अगले सीजन में फिर लौट सकता है। ऐसे में जरूरी है कि उससे पहले ही इसके उपचार और वैक्सीन की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं, वरना यह एक बार फिर इंसानी जिंदगी पर कहर बनकर टूट सकता है।
कोरोना का ठंड से है कनेक्शन?
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में संक्रामक रोग को लेकर रिसर्च की अगुवाई करने वाले एंथनी फुची ने एक बीफ्रिंग के दौरान कहा कि यह घातक संक्रमण अब दक्षिणी गोलार्ध क्षेत्र में बढ़ता जा रहा है, जहां ठंड का मौसम है। उन्होंने कहा, 'हम देख रहे हैं कि दक्षिणी अफ्रीका और दक्षिणी गोलार्ध क्षेत्र के देशों में इसके मामले सामने आ रहे हैं, जहां ठंड का मौसम है। ऐसे में यह जरूरी है कि आगामी सीजन में इस संक्रमण के फिर लौटने से पहले इसका उपचार व वैक्सीन तलाश लिया जाए।'
क्या गर्मी में कम होगा असर?
उनके इस बयान को इस धारणा से जोड़कर देखा जा रहा है कि कोरोना वायरस का यह संक्रमण ठंड के मौसम में अधिक असर कर सकता है, जबकि गर्म और आर्द्रता वाले वातावरण में इसमें कमी आने के आसार हैं। इस संबंध में एक चीनी शोध भी इसी नतीजे पर पहुंचा है। इन निष्कर्षों के पीछे वजह इस बात को बताया जा रहा है कि छींकने या खांसने के कारण जो ड्रॉपलेट्स संक्रमित मरीज से बाहर निकलते हैं, वे ठंड के मौसम में अधिक मजबूत व एयरबॉर्न (हवा के जरिये फैलने वाला) होते हैं, जो लोगों को तेजी के साथ चपेट में ले सकते हैं, क्योंकि इस दौरान उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होती है।
गर्म सतह पर समाप्त हो जाता है वायरस?
इसके पीछे एक और संभावित कारण यह बताया जा रहा है कि यह वायरस गर्म सतह पर अधिक तेजी के साथ समाप्त होने लगता है, क्योंकि इसका ऊपरी सतह वसा से निर्मित होता है, जो बाहरी वातावरण से इसे बचाने में अहम भूमिका निभाता है और वसा से निर्मित यही ऊपरी सतह गर्म सतह पर तेजी से नष्ट हो जाता है। हालांकि कुछ वैज्ञानिकों ने इस तर्क को बहुत ठोस नहीं माना है। इसके लिए उन्होंने ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का हवाला दिया है, जहां गर्म वातावरण के बावजूद कोरोना वायरस के कारण 8 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लगभग 2,500 लोग इससे संक्रमित हैं।