नई दिल्ली। 36 साल पहले 1984 में जब भारत के पहले स्पेस यात्री राकेश शर्मा से तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने पूछा था कि भारत कैसा दिख रहा है तो उनका जवाब था कि सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा। 36 साल बाद उसी दिशा में भारत गगनयान मिशन के जरिए एक और कदम आगे बढ़ चुका है।रूस में जीएसटीसी पर इसरो की तरफ से चयनित चारों स्पेस यात्रियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत हो चुकी है।
इंडियन एयरफोर्स के पायलट को मिला अवसर
अंतरिक्ष में उड़ान भरने के लिए इसरो ने जिन चार लोगों का चयन किया है वो सभी इंडियन एयरफोर्स के पायलट हैं। इन सभी चारों स्पेस यात्रियों को 12 महीने का गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस ट्रेनिंग कार्यक्रम में बायोमेडिकल ट्रेनिंग के साथ साथ नियमित शारीरिक प्रशिक्षण पर भी ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा ये सभी चारों पायलट सोयूज स्पेशशिप के सिस्टम का गहराई तक अध्ययन करेंगे। इसके साथ ही भारहीनता का अनुभव करने के लिए स्पेशल ii- 76 MDK एयरक्राफ्ट पर ट्रेनिंग दी जाएगी।
रूस के जीएसटीसी में प्रशिक्षण शुरू
इसके अलावा ही चारों स्पेस यात्रियों को इस बात की भी ट्रेनिंग दी जाएगी कि अगर स्पेसशिप असामान्य तरीक से लैंडिग करता है तो किस तरह से उस हालात का सामना करना है। इसके साथ ही अलग अलग जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों से भी गुजारा जाएगा ताकि वो हर तरह के माहौल में अपने आप को ढाल सकें। इन सभी चारों यात्रियों की ट्रेनिंग जीसीटीसी पर होगी।
इस तरह करीब आए रूस और भारत
इसरो के ह्यूमन स्पेसफ्लाइट सेंटर और गावकॉस्मॉस के बीच ट्रेनिंग के लिए समझौता हुआ था। दस्तावेजों से पता चलता है कि ग्लॉवकॉस्मॉस को उम्मीदवारों के चयन, उनके मेडिकल परीक्षण, और अलग अलग स्पेस ट्रेनिंग से जुड़े मामलों में मदद की गुजारिश की गई थी। ग्लॉवकॉस्मॉस यानि जेएससी रूसी स्पेस कॉरपोरेशन रॉसकॉस्मॉल का एक सहयोगी संगठन है।
क्या है गगनयान मिशन
महत्वाकांक्षी परियोजना 'गगनयान' पर टिकी है, जिसे दिसंबर 2021 में लॉन्च करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके तहत भारत पहली बार मानवयुक्त यान अंतरिक्ष में भेजने जा रहा है, जिसके लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन भी कर लिया गया है। इससे पहले दिसंबर 2020 और जून 2021 में इसरो दो मानवरहित मिशन लॉन्च करेगा, जिसके तहत इसरो ने हाफ ह्यूमैनॉयड (half humanoid) को अंतरिक्ष में भेजने का फैसला किया है।
इसरो ने इस हाफ ह्यूमैनॉयड को 'व्योम मित्रा' नाम दिया है, जिसकी शक्ल किसी लड़की जैसी नजर आ रही है। यह एक रोबोट है, जिसे इसरो ने इंसानों की तरह बनाया है। लेकिन इसके सिर्फ शरीर का ऊपरी हिस्सा है और पैर नहीं हैं, इसलिए इसे हाफ ह्यूमैनॉयड नाम दिया गया है। इसरो के वैज्ञानिक सैम दयाल के अनुसार, 'व्योम मित्रा हाफ ह्यूमैनॉयड है