- चंद्रयान-2 ने खींची चंद्रमा के सतह की खूबसूरत तस्वीर, ऑर्बिटर पर लगा है आईआईआरएस
- चंद्रमा की सतह से परावर्तित किरणों में आई विभिन्नता का अध्ययन करेगा इसरो
- चंद्रमा की सतह पर गत छह सितंबर को 'सॉफ्ट लैंडिंग' करने में असफल हुआ विक्रम लैंडर
नई दिल्ली : चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' नहीं कर सका लेकिन इस अंतरिक्षयान का ऑर्बिटर चांद की सतह को समझने के लिए अपने परीक्षणों एवं प्रयोगों को अंजाम दे रहा है। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने अपने ऊपर लगे स्पेक्ट्रोमीटर कैमरे से चंद्रमा के सतह की चमकीली एवं खूबसूरत तस्वीर खींची है। भारत अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रमा की ताजातरीन तस्वीर शेयर की है। ऑर्बिटर द्वारा जारी परीक्षणों एवं जांच से चंद्रमा की सतह की बनावट एवं उसके बारे में नई जानकारियां मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
बता दें कि चंद्रमा प्रकाश का स्रोत नहीं है। पृथ्वी की तरह वह भी सूर्य की रोशनी से प्रकाशित होता है। सूरज कि किरणें चंद्रमा की सतह पर पड़ती हैं जिसके बाद वह रौशन होता है। चंद्रमा की सतह से परावर्तित होने वाले सूर्य के प्रकाश में विभिन्नताएं हैं। इसरो का मानना है कि प्रकाश में ये अंतर चंद्रमा की सतह पर मौजूद खनिज पदार्थों एवं सतह की अलग-अलग बनावट के चलते है।
आसान शब्दों में समझें तो चंद्रमा की सतह का वह हिस्सा जो विशेष खनिज पदार्थों से समृद्ध है, वहां से सूर्य के प्रकाश की किरणें कुछ अलग तरीके से परावर्तित होंगी। इस तरह सूर्य की परावर्तित किरणों में आए अंतर के अध्ययन से चंद्रमा की सतह की बनावट के बारे में जानकारी मिल सकती है। बता दें कि चंद्रयान-2 में लगे लैंडर चंद्रमा को छह सितंबर चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी लेकिन वह अपने अंतिम क्षणों में मार्ग से भटक गया। विक्रम लैंडर अभी भी चंद्रमा की सतह पर मौजूद है। इसरो ने उससे संपर्क करने की तमाम कोशिशें कीं लेकिन वह सफल नहीं हो सका।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने पिछले महीने कहा था कि विक्रम लैंडर की चंद्रमा की सतह पर 'हॉर्ड लैंडिंग' हुई और वे उसकी लैंडिंग की जगह के बारे में पता कर रहे हैं। नासा ने भी विक्रम लैंडर के उतरने वाली संभावित जगह की तस्वीरें लीं लेकिन इन तस्वीरों में लैंडर कहीं नजर नहीं आया। बताया जाता है कि नासा के ऑर्बिटर ने जब तस्वीरें लीं उस समय चंद्रमा के उस हिस्से में अंधेरा था।
चंद्रयान-2 यदि पूरी तरह सफल हो जाता तो भारत चंद्रमा पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' करने वाला अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया का चौथा देश बन जाता। चंद्रयान-2 की लागत 1,000 करोड़ रुपए है। विक्रम लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' करना था। चंद्रमा के हिस्से पर किसी ने अभी तक अपना मिशन नहीं भेजा है। चंद्रमा का यह हिस्सा अंधकारमय और छायायुक्त माना जाता है।