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चंद्रयान-2 की चांद पर सफल सॉफ्ट-लैंडिंग को लेकर उत्सुकता का माहौल

Updated Sep 05, 2019 | 16:19 IST | भाषा

चंद्रयान-2 मिशन के शनिवार को चांद पर उतरने के अत्यंत महत्वपूर्ण घटनाक्रम से पहले इसरो में लोगों के मन में तमाम तरह के भाव उमड़ रहे हैं और यहां सभी भारतीय चंद्रयान-2 के चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने के लिए प्रार्

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
Chandrayaan-2

बेंगलुरू : चंद्रयान-2 मिशन के शनिवार को चांद पर उतरने के अत्यंत महत्वपूर्ण घटनाक्रम से पहले इसरो में लोगों के मन में तमाम तरह के भाव उमड़ रहे हैं और यहां सभी भारतीय चंद्रयान-2 के चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। यूं तो लोगों के मन में थोड़ी फिक्र और थोड़ी उत्सुकता है लेकिन बेंगलुरू स्थित इसरो के मुख्यालय में अधिकारी ‘विक्रम’ मॉड्यूल के शुक्रवार को आधी रात के बाद या शनिवार तड़के चंद्रमा की सतह पर उतरने को लेकर पूरी तरह आशान्वित हैं।

मिशन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को कहा, ‘सब मौन साधे हैं। मैं भी चुप हूं। अब मिशन पूरा हो जाए, बस।’ अधिकारी का कहना था,‘हर एक के मन में बस यही बात आ रही है कि अंतरिक्षयान और लैंडर विक्रम में क्या चल रहा होगा। आइए, सभी चंद्रयान की सफल सॉफ्ट-लैंडिंग की प्रार्थना करें।’

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के सिवन ने हाल ही में कहा था कि अंतरिक्ष एजेंसी ने मिशन की सफलता के लिए मानवीय तरीके से जो भी संभव है, वह सबकुछ किया है। शीर्ष अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने भी इस महत्वाकांक्षी परियोजना की कामयाबी को लेकर पूर्ण विश्वास व्यक्त किया है।

करीब एक दशक से पहले चंद्रयान-1 मिशन की कमान संभालने वाले इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर ने कहा,‘यह यादगार घटनाक्रम बनने जा रहा है और हम सभी इसे लेकर आशान्वित हैं। मुझे विश्वास है कि यह शत प्रतिशत सफल होगा।’ इसरो के एक और पूर्व चेयरमैन ए एस किरण कुमार ने प्रस्तावित सॉफ्ट-लैंडिंग को बहुत महत्वपूर्ण अभियान बताया।

उन्होंने कहा, ‘अभी तक सबकुछ योजना के मुताबिक संपन्न हुआ है और विश्वास है कि आगे भी सबकुछ योजना के अनुसार होगा।’ चंद्रयान-1 के परियोजना निदेशक तथा मंगलयान मिशन के कार्यक्रम निदेशक ए अन्नादुरई ने कहा कि इसरो के पास 40 से अधिक जियोसिंक्रोनस इक्वेटोरियल ऑर्बिट (जीईओ) मिशनों को संभालने का अनुभव है। उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि सॉफ्ट-लैंडिंग सफल होगी।’

अन्नादुरई ने इस मौके पर चंद्रयान-1 के 2008 में हुए प्रक्षेपण को याद किया और कहा कि उस दिन इसरो को बहुत कठिन हालात का सामना करना पड़ा था क्योंकि प्रक्षेपण के लिए समयावधि बहुत कम थी वहीं मौसम बहुत ही खराब था। उन्होंने कहा, समय गुजरता जा रहा था। वह चंद्रयान को भेजने का अंतिम दिन था। हमें कुछ तकनीकी चीजों को भी दुरुस्त करना था। श्रीहरिकोटा में मौसम बहुत खराब था।

अन्नादुरई ने बताया, ‘हर कोई व्याकुल था। किस्मत से आधे घंटे के लिए मौसम साफ हुआ लेकिन उसके बाद गरज के साथ छींटे पड़ने लगे। प्रक्षेपण का वह क्षण वाकई रोमांचित करने वाला था।’ ‘चंद्रयान-2’ ने धरती की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की तरफ अपनी यात्रा 14 अगस्त को शुरू की थी। इसके बाद 20 अगस्त को यह चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया था।