- जापान में पालतू जानवर बच्चों की जगह ले रहे हैं वहीं जोड़ों में संतान पैदान करने का चाव भी कम हुआ है
- यहां अगर आप पालतू जानवरों को अपने साथ रखते हैं या उसे विदेश यात्रा पर ले जाते हैं तो रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है
- जापान में लोग अपने पालतू पशु की देखभाल भी शानदार तरीके से कर पाते हैं
जापान (Japan) एक ऐसा देश जहां तरक्की की बयार बह रही है वहीं वहां एक चलन देखने में आया था कि वहां जन्मदर कम होने के बीच लोग कुत्ते-बिल्लियां ज्यादा पाल रहे हैं यानि वहां बच्चों से ज्यादा पालतू जानवरों (Pets) का रजिस्ट्रेशन हो रहा है, इस अनोखे चलन के बारे में जनवरी में गोल्डमैन सैशे ने पता लगाया था।जब कंपनी ने गौर किया तो पाया कि वहां बच्चों की जगह पालतू पशु ले चुके हैं, बिजनेस इनसाइडर में कंपनी की इस रिपोर्ट के हवाले से बताया गया था कि कैसे जापान में जानवर बच्चों को रिप्लेस कर रहे हैं।
इसके मुताबिक साल 2014 में 15 साल के लगभग 16.5 मिलियन बच्चे जापान में थे, जबकि पालतू पशु जैसे कुत्ते-बिल्लियों की संख्या 21.3 मिलियन रही, जापान में पालतू जानवर बच्चों की जगह ले रहे हैं वहीं जोड़ों में संतान पैदान करने का चाव भी कम हुआ है
गौर हो कि जापान जैसे देशों में अगर आप पालतू जानवरों को अपने साथ रखते हैं या उसे विदेश यात्रा पर ले जाते हैं तो उसका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है हाल के सालों में बच्चों से ज्यादा पालतू पशुओं के पहचान पत्र बने हैं।
इसके पीछे की वजहों को जानना भी दिलचस्प है, कहते हैं कि जापानी अपने काम के प्रति दीवाने होते हैं और जापान में लोग छुट्टियां लेने से इतना बचते हैं कि खुद कंपनियों ने ऐसा नियम बना दिया कि हर कर्मचारी को सालाना कम से कम 14 दिनों की छुट्टी लेनी ही होगी ताकि उनकी मेंटल हेल्थ दुरूस्त रहे।
कहा जाता है कि यहां काम के प्रति दीवानगी पुरुषों-महिलाओं में एकदम बराबर है ऐसे में कोई भी संतान की जिम्मेदारी लेने से बचना चाहता है।
जापान में लोग अपने पालतू पशु की देखभाल भी शानदार तरीके से कर पाते हैं इसमें साफ-सफाई, खाना और समय पर वैक्सीनेशन के अलावा लोग ज्यादातर वीकेंड पर जानवरों के लिए शॉपिंग करते हैं और नए ट्रेंड के कपड़े लेते हैं यानि वो अपने जानवरों पर दिल खोलकर पैसा खर्च करते हैं।
विशेषज्ञों ने इसको लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि अगर जापान में जनसंख्या बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया गया, तो अगले 50 सालों में ये आबादी घटकर महज 80 मिलियन रह जाएगी और 100 सालों में ये 40 मिलियन हो जाएगी।
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