- हजारों प्रवासी श्रमिक पैदल ही अपने घरों को निकल गए हैं रास्ते में उन्हें तमाम दिक्कतें पेश आ रही हैं
- आगरा आईएसबीटी बस स्टैंड पर स्थानीय लोगों ने नंगे पैर चल रहे श्रमिकों के लिये एक छोटी सी मुहिम चलाई है
- जिन श्रमिकों के पैरों में चप्पल या जूते नहीं है वो अपने पैर का साइज चेक करके इनसे जूते ले जा सकता है
आगरा: कोरोना महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन 31 मई तक लागू है मगर प्रवासी मजदूर रिस्क उठाकर अपने घर वापसी पर अमादा हैं और पैदल ही गांव-घर की ओर निकल पड़े हैं, वहीं आगरा आईएसबीटी बस स्टैंड पर स्थानीय लोगों ने नंगे पैर चल रहे श्रमिकों के लिये एक छोटी सी मुहिम चलाई है। इस मुहिम के तहत उन्होंने इन श्रमिकों के लिए जूते-चप्पल उपलब्ध कराए हैं।
जिन श्रमिकों के पैरों में चप्पल या जूते नहीं है वो अपने पैर का साइज चेक करके इनसे जूते ले जा सकता है। स्थानीय निवासी कहते हैं, हमने देखा कि प्रवासी श्रमिकों के पैरों में जूते नहीं हैं। चलते-चलते उनके पैरों में छाले पड़ गये हैं।
तब 3 दिन पहले हमने एक छोटी सी मुहिम शुरु की थी जिसमें हमने अपने परिचितों और सोसाइटी के लोगों से कहा कि आप के पास जो भी अतिरिक्त जूते-चप्पल हों वो आप हमें दे दें। इसके बाद हमने बड़ी संख्या में ऐसे जूते-चप्पल इकट्ठा करके एक जगह रख दिया।
श्रमिक आते हैं, अपने लिए जूते चप्पल पहनकर आगे निकल पड़ते हैं
फिर इस मुहिम में और भी लोग शामिल हो गए और वे भी उन रास्तों पर जूते-चप्पल उपलब्ध कराने लगे, जहां से श्रमिक आ-जा रहे हैं। यहां श्रमिक आते हैं, अपने लिए जूते चप्पल का साइज चैक करते है और पहनकर अपने रास्ते पर आगे निकल पड़ते हैं।
हमने एक बच्चे से बात की जिसकी उम्र 10 वर्ष है वो नंगे पैर था और जूते पहन कर अपना साइज चैक कर रहा था। उसने बताया, मैं बिहार से आया हूं मेरे एक जूता ट्रक में चढ़ते वक्त गिर गया था। मेरे पैर में एक ही जूता बचा। यहां आकर मुझे अपने नाप का जूता मिल गया अब बहुत अच्छा लग रहा है।
इन दिनों कई हजार प्रवासी श्रमिक आगरा होते हुये अपने घर जा रहे हैं, इनमें से कई के पैरों में चप्पल नहीं हैं और जिनके पैरों में चप्पल हैं भी तो वो कई सौ किलोमीटर पैदल चलने की वजह से फट गई हैं या खराब हो गई हैं। इतनी तेज धूप में नंगे पैर चलने की वजह से बच्चे हो या बड़े उनके पैरों में छाले पड़ गये हैं।